पैगंबर ﷺ के पास दौड़ें और अल्लाह से माफ़ी मांगें “जाऊका फ़स्तग़फ़िरोल्लाह” तफ़सीर क़ुरान ४:६४
मौलाना (क़) के वास्तविकताओं से, जैसा कि शेख़ नूरजान मीरअहमदी ने सिखाया है।
A’udhu Billahi Minash Shaitanir Rajeem
Bismillahir Rahmanir Raheem
पनाह माँगता हूँ मैं अल्लाह की शैतान मर्दूद से,
शुरू अल्लाह का नाम लेकर, जो बड़ा मेहरबान, निहायत रहम वाला है।
﴾وَلَوْ أَنَّهُمْ إِذ ظَّلَمُوا أَنفُسَهُمْ جَاءُوكَ فَاسْتَغْفَرُوا اللَّـهَ وَاسْتَغْفَرَ لَهُمُ الرَّسُولُ لَوَجَدُوا اللَّـهَ تَوَّابًا رَّحِيمًا ﴿٦٤
4:64 – “Wa law annahum idh zhalamoo anfusahum jaooka fastaghfaro Allaha wastaghfara lahumur Rasolu lawajado Allaha tawwaban raheema.”
(Surat An-Nisa)
“और यदि वे उस समय, जबकि उन्होंने स्वयं अपने ऊपर ज़ुल्म किया था, आपके पास आ जाते और अल्लाह से क्षमा की प्रार्थना करते और रसूल से क्षमा मांगते तो निश्चय ही वे अल्लाह को अत्यन्त क्षमाशील और दयावान पाते।” (सूरत अन -निसा, ४:६४)
Alhamdulillahhir Rabbil Alameen wa Salatu wa Salaam Ashrafil Mursaleen Sayyidina wa Mawlana Muhammad ul Mustafa ﷺ Madad Ya Sayyidi Ya Rasul ul Kareem, unzur halana wa ishfalana wa abidona bi madadakum wa nazarakum. Madad Ya Sayyidi Ya Sultanul Awliya Mawlana Shaykh Abdullahil Faiz ad Daghestani, madad ya Sultanul awliya Muhammad Nazim Haqqani. Alhamdulillahhir Rabbil Alameen.
हम अपने आप पर ग़लत काम करने वाले और अत्याचारी हैं
अल्हमदुलिल्लाह, उनकी शिक्षा से कि मैं खुद स्वीकार करता हुँ कि मैं कुछ भी नहीं हुँ अना अब्दुकल ‘अजीज़, व दाईफ, व मिसकीन, व ज़ालिम, व जहल। यदि अल्लाह (अज़्ज व जल) की रहमाह नहीं होती तो मेरा अस्तित्व समाप्त हो जाता है। कि हामारे जिवन में सब कुछ अपने आप को लगातार बताना है कि हम कुछ भी नहीं हैं, मैं जहल हूं,मैं जहल (अज्ञानी) हूं, मैं ज़ालिम (उत्पीड़क) हूं। “ला इलाहा इल्ला अंता सुभानका, इन्नी कुंतु मिनज़ ज़ालिमीन।”
﴾لَّا إِلَـٰهَ إِلَّا أَنتَ سُبْحَانَكَ إِنِّي كُنتُ مِنَ الظَّالِمِينَ ﴿٨٧ …
21:87 – “… la ilaha illa anta Subhanaka, innee kuntu minazh zhalimeen.” (Surat Al-Anbiya)
“…तेरे सिवा कोई इष्ट-पूज्य नहीं; महिमावान है तू! निस्संदेह मैं दोषी हुँ!” (सूरत अल-अंबिया, २१:८७)
कि अगर हम उस दरवाजे से नहीं जाते हैं तो हर मुश्किल हमारे जीवन में आ जाती है। हमारे लिए शिक्षा है कि, यह नबियीन (नबियों) के हक़ाएक़ (हकीकत) से है। यह वही है जो वे लोगों को सिखाने के लिए पृथ्वी पर आ रहे थे, ‘ला इलाहा इल्ला अंता सुभानका, इन्नी कुन्तु मिनज़ ज़ालिमीन।‘ अल्लाह की महानता के अलावा कुछ नहीं, मैं जो कुछ भी करता हूं, अपने हर कार्य में खुद पर अत्याचार कर रहा हूं, और मैं अल्लाह (अज़्ज़ व जल) से प्रार्थना करता हूं कि वह मुझे क्षमा करे, और उस उत्पीड़न से मुक्ति प्रदान करें।
हमारा अहंकार नहीं चाहता कि हम क्षमा मांगे
अगर हम नहीं जानते हैं, तो इसलिए वे हमें तज़किया (शुद्धि), तरबिया (अनुशासन), सिखाने आते हैं। अगर हम नहीं जानते कि हम ज़ालिम हैं तो हमारे दिमाग़ में कभी माफ़ी माँगने की नौबत नहीं आती और दरवाज़ा बंद है। क्योंकि जब आप कहने लगते हैं, शायद मुझे अस्तग़फ़िरुल्लाह कहना चाहिए, नफ्स (अहंकार)आ कर कहता है, आप महान हैं। आप अच्छे हैं, आपको इस्तग़फ़ार क्यों कहना है, अस्तग़फ़िरुल्लाह, अस्तग़फ़िरुल्लाह क्यों कहना है? तब आप जानते हैं कि बरकाह (आशीर्वाद) के सभी दरवाजे बंद कर देते हैं, अल्लाह (अज़्ज़ व जल) की सभी रहमाह (दया), सब कुछ बंद हो जाती है।क्योंकि नफ़्स यह सोच कर हावी हो रही है कि यह बहुत अच्छा है, यह बहुत अच्छा है, शैतान की फुसफुसाहट सुन रही है।
तो, सभी पैगंबर अलैहि सलातु सलाम सिखाने आए, नहीं, नहीं, स्वीकार करो, ‘अल्लाह की महानता के अलावा कुछ भी नहीं है, और वास्तव में, मैं अपने आप पर एक अत्याचारी हूं। ‘अना अब्दुकल आजीज़, मैं कमज़ोर हूं। दाइफ़, मुझमें कोई क्षमता नहीं है। मेरे पास गरीबी है, मेरे पास बिल्कुल कुछ भी नहीं है जब तक कि अल्लाह (अज़्ज़ व जल) मुझे न दे। अगर अल्लाह (अज़्ज़ व जल) मुझे दे, अल्हम्दुलिल्लाह । तो, फिर वे आते हैं और सिखाना शुरू करते हैं, कुछ नहीं बनो, कुछ भी मत बनो। लगातार एक ऐसा रास्ता अपनाएं जिसमें आप खुद को बंद कर लें, खुद को बंद कर लें, कि आप कुछ भी नहीं हैं। कि, या रब्बी, मैं कुछ भी नहीं हूं। यदि तेरी रहमत (दया) मेरे पास न आए तो मैं कुछ भी नहीं हूं।
﴾لَّا إِلَـٰهَ إِلَّا أَنتَ سُبْحَانَكَ إِنِّي كُنتُ مِنَ الظَّالِمِينَ ﴿٨٧ …
21:87 – “… la ilaha illa anta Subhanaka, innee kuntu minazh zhalimeen.” (Surat Al-Anbiya)
“…तेरे सिवा कोई इष्ट-पूज्य नहीं; महिमावान है तू: निस्संदेह मैं दोषी हुँ!” (सूरत अल-अंबिया, २१:८७)
अल्लाह (अज़्ज़ व जल) का हुक्म है: जब खुद पर ज़ुल्म करे तो रहमत का द्वार मांगो
फिर अल्लाह (अज़्ज़ व जल) ने क्या हुक्म दिया? क्योंकि लोग जानना चाहते हैं कि कुछ लोग अल्लाह (अज़्ज़ व जल) के इतने करीब कैसे हैं, पैगंबर ﷺ के करीब कैसे हैं? औलियाल्लाह हमारी ज़िंदगी में आते हैं, और मैं औलिया नहीं, गधा हूँ। मेरे शेख औलियाउल्लाह (संत) हैं, और वे सिखाते हैं – तुम आना चाहते हो, और हमारे रास्ते पर, अल्लाह (अज़्ज़ व जल) की निकटता में, सैय्यदीना मुहम्मद ﷺ की निकटता में आना चाहते हो? मान लो तुम ज़ालिम हो (उत्पीड़ित)। इसलिए, हमने एक ऐसा जीवन लिया जिसमें हम लगातार कहते हैं, या रब्बी, मैं एक ज़ालिम हूं, मैं अपने आप पर अत्याचारी हूं, मैं सबसे बुरा हूं। कृपया मेरा मार्गदर्शन करें या रब्बी। तौबा, या रब्बी। अस्तग़फ़िरुल्लाह अल अज़ीम, और अल्लाह (अज़्ज़ व जल) सैय्यदीना मुहम्मद ﷺ के प्यार की ओर आपका मार्गदर्शन करते हैं। जब वे ‘ज़ालमू‘ होते हैं, जब वे समझते जाते हैं कि वे स्वयं पर उत्पीड़क हैं, यह एक द्वार है। अगर हम द्वार नहीं देखते हैं, तो आप इससे अंधे हैं।
जाऊका: सैय्यदीना मुहम्मद ﷺ की उपस्थिति में अल्लाह (अज़्ज़ व जल) से इस्तिग़फ़ार मांगे
और अल्लाह (अज़्ज़ व जल) पवित्र क़ुरान में दे रहा है, मुझे लगता है कि सूरत अन-निसा, श्लोक ४६, मैं हाफ़िज़ नहीं हूं। ‘जब वे स्वयं के लिए उत्पीड़ित हैं, जाऊका।’
﴾وَلَوْ أَنَّهُمْ إِذ ظَّلَمُوا أَنفُسَهُمْ جَاءُوكَ فَاسْتَغْفَرُوا اللَّـهَ وَاسْتَغْفَرَ لَهُمُ الرَّسُولُ لَوَجَدُوا اللَّـهَ تَوَّابًا رَّحِيمًا ﴿٦٤
4:64 – “Wa law annahum idh zhalamoo anfusahum jaooka fastaghfaro Allaha wastaghfara lahumur Rasolu lawajado Allaha tawwaban raheema.” (Surat An-Nisa)
“और यदि यह उस समय, जबकि इन्होंने स्वयं अपने ऊपर ज़ुल्म किया था, आपके पास आ जाते और अल्लाह से क्षमा की प्रार्थना करते और रसूल से क्षमा मांगते तो निश्चय ही वे अल्लाह को अत्यन्त क्षमाशील और दयावान पाते।” ( सूरत अन -निसा, ४:६४)
उन्हें आना ही होगा, जाऊका। सैय्यदीना मुहम्मद ﷺ की उपस्थिति में आओ, और सैय्यदीना मुहम्मद ﷺ की उपस्थिति में अल्लाह से इस्तिगफ़ार माँगो। जब वे अपने आप पर अत्याचार करते हैं, और वे उपस्थिति में आते हैं, अल्लाह (अज़्ज़ व जल) एक द्वार दे रहा है। मुझसे अकेले में इस्तग़फ़ार मत माँगो। यह एक, एक गुप्त द्वार है। जब वे अपने आप पर अत्याचार करते हैं, और वे समझते हैं कि समस्या स्वयं है। द्वार पर आओ, जाऊका। सैय्यदीना मुहम्मद ﷺ के द्वार पर आओ और अल्लाह से इस्तग़फ़ार माँगो।वस्ताग़फिर्रुकुम रसूल, अस्तग़फ़िरुल्लाह, अल्लाह (अज़्ज़ व जल) कह रहे हैं, पैगंबर ﷺ की उपस्थिति में, मुझ से इस्तिग़फार माँगो। अपने आप से मत माँगो। केवल कहते ही मत रहो, मुझे बस अल्लाह (अज़्ज़ व जल) की जरूरत है, अल्लाह (अज़्ज़ व जल) कुरान में कह रहा है, अगर तुम सच में सोचते हो कि तुम खुद पर अत्याचार कर रहे हो, जाऊका। उनकी उपस्थिति में आओ और सैय्यदीना मुहम्मद ﷺ की उपस्थिति में मेरा इस्तग़फ़ार मांगो। फिर, सैय्यदीना मुहम्मद ﷺ से क्षमा माँगो। यह हमारा अक़ीदा इसी विश्वास पर बना है।
अगर हम नहीं जानते कि हम खुद पर अत्याचार कर रहे हैं, तो यह एक अलग द्वार है। एक द्वार जिसमें शैतान खेल रहा है हम सबसे अच्छे हैं, हम सबसे अच्छे हैं। वह नहीं झुका। वह नहीं था, वह तस्लीम नहीं था, वह अधीन नहीं हो रहा था।
﴾وَإِذْ قُلْنَا لِلْمَلَائِكَةِ اسْجُدُوا لِآدَمَ فَسَجَدُوا إِلَّا إِبْلِيسَ أَبَىٰ وَاسْتَكْبَرَ وَكَانَ مِنَ الْكَافِرِينَ ﴿٣٤
2:34 – “Wa idh qulna lilmalayikati osjudo li Adama fasajado illa ibleesa aba wastakbara wa kana minal kafireen.” (Surat Al-Baqarah)
“और (उस वक़्त को याद करो) जब हमने फ़रिश्तों से कहा कि आदम को सजदा करो तो सब के सब झुक गए मगर शैतान ने इन्कार किया और ग़ुरूर में आ गया और काफ़िर हो गया।” (सूरत अल-बक़रा, २:३४)
पैग़म्बर मुहम्मद ﷺ ने हमें जो महानता प्रदान की है, उसे प्राप्त न करने के लिए पश्चाताप करें
इस्लाम का यह द्वार तस्लीम पर आधारित है, नीचे आओ, अधीन हो। जैसे ही आप नीचे आते हैं और सबमिट करते हैं, जाऊका। अल्लाह (अज़्ज़ व जल) फरमाए सैय्यदीना मुहम्मद ﷺ के दरवाजे पर आओ। पैगंबर ﷺ की उपस्थिति में मेरी क्षमा माँगो। फिर सैय्यदीना मुहम्मद ﷺ से क्षमा मांगो और तुम मुझे दयालु पाओगे और सब कुछ क्षमा कर दिया जाएगा। यह हमारे घर के लिए, हमारे सिर के लिए, हमारे जीवन के लिए एक पट्टिका है। कि मुझे सैय्यदीना मुहम्मद ﷺ की उपस्थिति में जाना है, अल्लाह (अज़्ज़ व जल) से इस्तग़फ़ार माँगना है। फिर अल्लाह (अज़्ज़ व जल) से माँगो, फिर कहो, फिर सैय्यदीना मुहम्मद ﷺ से इस्तिग़फ़ार माँगो। इसका मतलब यह है कि आप पैगंबर ﷺ से भी क्षमा चाहते हैं कि उन्होंने हमें क्या महानता दी, और हमने हासिल नहीं किया। कौन सी बरकत और रहमत उन्होंने हमें अलैहिस सलतू सलाम न दी, और हम हासिल नहीं कर पाए? तो, और जब वह अक़ीदा (विश्वास प्रणाली) है, तो मेरा अक़ीदा उस वास्तविकता तक पहुँचने के लिए, अल्लाह के इस्तिग़फ़ार तक पहुँचने के लिए, पैगंबर ﷺ की उपस्थिति में होना है।
मौलीद, महफ़िल, दुरूद, ज़िक्र, नबी ﷺ के द्वार की चाभी हैं
सैय्यदीना मुहम्मद ﷺ की उपस्थिति तक कैसे पहुंचे? वे चाबी लेकर आते हैं। यदि हमें वह नहीं पता, तो वो कहते रहते हैं कि महफ़िल क्यों करनी पड़ती है? आपको मौलीद क्यों करनी चाहिए? आपको दुरूद शरीफ क्यों पढ़ना है? आपको एहतिराम (सम्मान) क्यों दिखाना है और सैय्यदीना मुहम्मद ﷺ के लिए खड़े क्यों होना है? क्यों? क्यों? क्योंकि अल्लाह (अज़्ज़ व जल) ने हुक्म दिया,जाऊका, और पैगम्बर ﷺ से इस्तग़फ़ार मांगो । तो, फिर औलियाल्लाह (संत) हमारे जीवन में आते हैं और कहते हैं, आप कैसे पैगंबर ﷺ की क्षमा चाहते हैं, दुरूद शरीफ पढ़ें। जैसे ही आप सैय्यदीना मुहम्मद ﷺ पर एक सलवात (प्रशंसा) करते हैं, रूहानियत अन नबी ﷺ (पैगंबर मुहम्मद ﷺ की आध्यात्मिकता) आपके साथ मौजूद होनी चाहिए, आपको दस सलवात वापस भेजने के लिए।
عَنْ أَنَسِ بْنِ مَالِكَ رَضِيَ اللهُ عَنْهُ، قَالَ: قَالَ رَسُولُ اللَّهِ – صلى الله عليه وسلم -: ” مَنْ صَلَّى عَلَيَّ صَلَاةً وَاحِدَةً، صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ عَشْرَ صَلَوَاتٍ، وَحُطَّتْ عَنْهُ عَشْرُ خَطِيئَاتٍ، وَرُفِعَتْ لَهُ عَشْرُ دَرَجَاتٍ “
Qala Rasulullah (saws): “Man Salla `alaiya Salatan wahidatan, Sallallahu `alayhi `ashra Salawatin, wa Huttat `anhu `ashru khaTeatin, wa ruf`at lahu `ashru darajatin.”
पैगंबर मुहम्मद (ﷺ) ने कहा: “जो कोई भी मुझ पर आशीर्वाद [प्रशंसा] भेजता है, भगवान उस पर दस बार अपना आशीर्वाद बरसाएगा, और उसके दस पापों को मिटा देगा, और उसके [आध्यात्मिक] स्थान को दस गुना ऊंचा कर देगा।” [हदीस नसाई द्वारा दर्ज]
जैसे ही आप दुरूद शरीफ़ पढ़ते हैं, पैगंबर ﷺ की रूहानियत, सभी पवित्र हदीस, सभी स्वीकृत हदीसें (पैगंबर ﷺ की परंपराएं), जो एक बार मेरा जिक्र करता है, अल्लाह (अज़्ज़ व जल) मेरी आत्मा, मेरी रोशनी भेज देता है। मेरा प्रकाश हर जगह हो सकता है। शैतान का प्रकाश हर जगह है। शैतान की शक्ति, … ‘इज़्ज़तुल्लाह, ‘इज़्ज़त अर रसूल, ‘इज़्ज़त अल मु’मिनीन।’ (क़ुरान ६८:८) उसके पास कम शक्ति है, वह औलियाल्लाह की शक्ति से ले रहा है, वह पैगंबर ﷺ की शक्ति से लेता है। अल्लाह ने शैतान को जो कुछ दिया, अल्लाह (अज़्ज़ व जल) ने अर रहमान को अरब गुना अधिक दिया।
﴾وَلِلَّهِ الْعِزَّةُ وَلِرَسُولِهِ وَلِلْمُؤْمِنِينَ وَلَكِنَّ الْمُنَافِقِينَ لَا يَعْلَمُونَ ﴿٨
63:8 – “…Wa Lillahil ‘izzatu wa li Rasooli hi wa lil Mumineena wa lakinnal munafiqeena la y’alamoon..”(Surat Al-Munafiqoon)
“…हालाँकि इज़्ज़त तो [खास] खुदा और उसके रसूल और मोमिनीन के लिए है मगर मुनाफ़ेकीन नहीं जानते।” (सूरत अल-मुनाफ़िक़ून, ६३:८)
दुरूद शरीफ़ पढ़ें और नबी ﷺ से हमारी क्षमा माँगने के लिए कहें
इसका मतलब है कि पैगंबर ﷺ के पास क्या शक्ति है, कि जब आप उस उपस्थिति में जा रहे हैं, तो आप दुरूद शरीफ पढ़ते हैं, रुहानियत अन नबी ﷺ मौजूद है। उस समय, या साय्यिदि या रसूल उल करीम या हबीब उल अज़ीम, कृपया अल्लाह (अज़्ज़ व जल) से मेरी क्षमा माँगें। मैं अपने प्यार के साथ आपके दरवाजे पर आ रहा हूं। मैं कुछ भी नहीं हूँ, मुझे अपने प्यार से सजाओ। सैय्यदीना मुहम्मद ﷺ की प्रशंसा और प्रार्थना करें। दुरूद शरीफ पढ़ें, अल्लाहुम्मा सल्ली अला सैय्यदीना मुहम्मद वा अला आली सैय्यदीना मुहम्मद ﷺ। तुरंत पैगंबर ﷺ की उपस्थिति वहाँ है, आपको दस सलाम वापस दे रही है।
اللَّهُمَّ صَلِّ عَلَى سَيِّدِنَا مُحَمَّدٍ، وَعَلَى آلِ سَيِّدِنَا مُحَمَّدٍ وَ سَلِّمْ
Allahumma salli ‘ala Sayyidina Muhammadin wa ‘ala aali Sayyidina Muhammadin wa Sallim.
ओ अल्लाह! हमारे मालिक पैगंबर मुहम्मद और हमारे मालिक पैगंबर मुहम्मद के परिवार पर शांति और आशीर्वाद भेजें (उन पर शांति हो) पैगंबर मुहम्मद का ध्यान आकर्षित करें
पैगंबर मुहम्मद ﷺ हस्तक्षेप करते हैं और हमारे लिए प्रार्थना करते हैं
और सबसे बड़ी हिमायत सैय्यदीना मुहम्मद ﷺ की है। इसका मतलब है कि अब आपके पास इस आयतुल कुरान, ‘जाऊका‘ से पैगंबर ﷺ का ध्यान है। (कुरान ४:६४) अब आप पर नबी ﷺ का ध्यान है क्योंकि आप दुरूद शरीफ पढ़ रहे हैं और सलवात बहुत पढ़ रहे हैं। अब नबी ﷺ आपका मामला अल्लाह (अज़्ज़ व जल) के पास ले जा रहे हैं। पैगंबर ﷺ आपके मामले को अल्लाह (अज़्ज़ व जल) के पास ले जा रहे हैं क्योंकि यह क़ुरान के आदेश से है
﴾وَلَوْ أَنَّهُمْ إِذ ظَّلَمُوا أَنفُسَهُمْ جَاءُوكَ فَاسْتَغْفَرُوا اللَّـهَ وَاسْتَغْفَرَ لَهُمُ الرَّسُولُ لَوَجَدُوا اللَّـهَ تَوَّابًا رَّحِيمًا ﴿٦٤
4:64 – “Wa law annahum idh zhalamoo anfusahum jaooka fastaghfaro Allaha wastaghfara lahumur Rasolu lawajado Allaha tawwaban raheema.” (Surat An-Nisa)
“और यदि यह उस समय, जबकि इन्होंने स्वयं अपने ऊपर ज़ुल्म किया था, आपके पास आ जाते और अल्लाह से क्षमा की प्रार्थना करते और रसूल से क्षमा मांगते तो निश्चय ही वे अल्लाह को अत्यन्त क्षमाशील और दयावान पाते।” (सूरत अन-निसा, ४:६४)
कि ‘या रब्बी वे मेरी उपस्थिति में आए। उन्होंने दुरूद शरीफ़ पढ़ा और उन पर बहुत मुश्किलात हैं, बहुत कठिनाई हैं। या रब्बी, मुझे इसे भंग करने और इसे दूर करने दो। इसे हटाने दो। बीमारियों को दूर होने दो। दरिद्रता दूर होने दो। उन्हें उनका इस्लाम प्रदान करें, उन्हें उनका ईमान (विश्वास) प्रदान करें, उन्हें मक़ामुल एहसान (नैतिक उत्कृष्टता का स्थान) प्रदान करें। यह किससे है? जब अल्लाह (अज़्ज़ व जल) कहे ‘जाऊका‘, आओ, सैय्यदीना मुहम्मद ﷺ की उपस्थिति में आओ। अगर आप उस कुंजी को समझ गए, तो आपके जीवन में सब कुछ महफ़िल ए नबी ﷺ होगा। क्यों?
सैय्यदीना मुहम्मद ﷺ उनके सम्मान में आयोजित कार्यक्रमों में उपस्थित रहेंगे
अगर आज रात, जिन लोगों ने इस महफ़िल का आयोजन किया और सैय्यदीना मुहम्मद ﷺ के प्यार के लिए सब कुछ किया, उनके पास पैसा नहीं है। हमारे यहां आने के लिए कोई भी $5000 का भुगतान नहीं कर रहा है। वे ऐसा प्यार के कारण करते हैं। उन्होंने प्यार से अपना परजम (ध्वज) लगा दिया। वे अपना भोजन प्रेम से लाकर रखते हैं। उन्होंने उनके प्रति प्रेम के करण फ़्लायर बनाय। आपको नहीं लगता कि सैय्यदीना मुहम्मद ﷺ का ध्यान आपने आकर्षित किया? आप एक बुरा काम करते हो और शैतान आपके साथ है। अगर आप किसी नेक अमल का सिर्फ खयाल रखते हैं तो नबी ﷺ की रूहानियत आपके साथ होनी चाहिए। तो महफिल में कौन है? जैसे ही आप आते हैं, क्योंकि ख़ुलूख़ अल-अज़ीम। अल्लाह (अज़्ज़ व जल) ने उन्हें ख़ुलूख़ अल-अज़ीम (शानदार चरित्र) के रूप में वर्णित किया। कि आपने मेरे हबीब (प्रिय) के लिए आज रात उनके लिए जन्मदिन मनाने का इरादा किया, जन्मदिन की दावत, जश्ने नबी मुहम्मद ﷺ। आपको नहीं लगता कि पैगंबर ﷺ यहां बैठे हैं और सभी के कमरे में आने का इंतजार कर रहे हैं? यह ख़ुलूख़ अल-अज़ीम नहीं है?
﴾وَإِنَّكَ لَعَلَىٰ خُلُقٍ عَظِيمٍ ﴿٤
68:4 – “Wa innaka la’ala khuluqin ‘azheem.” (Surat Al-Qalam)
“निस्संदेह आप (ओ मुहम्मद!) एक महान नैतिकता के शिखर पर हो।” (सूरत अल-क़लम, ६८:४)
क्या यह अदब (शिष्टाचार) सबसे अच्छा नहीं है? कैसा अदब ? कि अगर आप मेरे लिए दावत करने जा रहे हैं और मैं नहीं आ रहा हूं? पैगंबर ﷺ ने कहा, मैंने कभी भी निमंत्रण से इनकार नहीं किया, चाहे वह अमीर हो, चाहे वह गरीब हो। उसने न्योता दिया तो सैय्यदीना मुहम्मद ﷺ आ गए। वह हय्यू अल क़य्यूम (सदा जीवित रहने वाला, पालने वाला)हैं। कि नबी ﷺ के अदब कभी नहीं बदलते। यदि आप मेरे लिए उत्सव मनाने जा रहे हैं, तो मेरी आत्मा वहां होंगी क्योंकि मेरे पास सबसे अच्छे शिष्टाचार हैं। क्या आप कल्पना कर सकते हैं, कि मेरे लिए एक दावत है और मैं वहाँ नहीं आता? और आप खाना बनाते हो, आप सब कुछ करते हो। और आप अपने परिवार के सामने शर्मिंदगी महसूस करते हैं कि मेहमान नहीं आया। यह कैसे हो सकता है? अगर आप यह 100% सच मानते हैं, तो आज रात यहाँ कौन था? सैय्यदीना मुहम्मद ﷺ।
मजलिस ज़िक्र में नबी ﷺ के उपस्थिति में जाओ
आप मदीना जाने के लिए हजारों डॉलर खर्च करना चाहते हैं, और सोचते हैं कि मदीना में, मुझे अपना विश्वास मिल जाएगा। वह मदीना हर जगह है जब आप सैय्यदीना मुहम्मद ﷺ से प्यार करते हैं, यह एक जगह नहीं है। अगर आप सैय्यदीना मुहम्मद ﷺ से प्यार करते हैं और उनके लिए जश्न और महफ़िल करते हैं, तो क्या वहाँ पैगंबर ﷺ की रूहानियत (दिव्य प्रकाश) नहीं है? क्योंकि आयतुल क़ुरआन, क़ुरआन, कोई रची हुई किताब नहीं है, और न ही पुरानी कहानियाँ हैं। यदि आप ऐसा कहते हैं तो यह विश्वास से बाहर है। यह एक किताब है जो जीवित है। इसलिए, जब अल्लाह (अज़्ज़ व जल) जाऊका कह रहा है, उपस्थिति में जाओ, हमारे पास दिशा होनी चाहिए। या रब्बी उपस्थिति कहाँ है? मैं ज़ालिम (उत्पीड़क) हूँ, मैं अपने लिए ज़ालिम हूँ। मैं सैय्यदीना मुहम्मद ﷺ की उपस्थिति कहाँ खोजने जा रहा हूँ? कहते हैं हर जश्न और हर महफ़िल और ज़िक्र के हर घेरे में सैय्यदीना मुहम्मद ﷺ की मौजूदगी होनी चाहिए।
ज़िक्र के घेरे के चारों ओर अर्श तक फ़रिश्ते घेरे बनाते हैं
ज़िक्र के घेरे की हदीस भी, उन्होंने हदीस दी कि मलाइका (फ़रिश्ते) ज़िक्र के घेरे की परिक्रमा कर रहे हैं, अर्श अर रहमान तक।
عَنْ أَبِي هُرَيْرَةَ رَضِيْ اللهُ عَنْهُ، عَنِ النَّبِيِّ صَلَي اللُه عَلَيْهِ وَآلِهِ وَسَلِّمْ، قَالَ: إِنَّ لِلَّهِ مَلَائِكَةً سَيَّارَةً فُضُلًا يَتَتَبَّعُونَ مَجَالِسَ الذِّكْرِ. فَإِذَا وَجَدُوْا مَجْلِسًا فِيهِ ذِكْرٌ، قَعَدُوْا مَعَهُمْ وَحَفَّ بَعْضُهُمْ بَعْضًا بِأَجْنِحَتِهِمْ، حَتَّى يَمْلَئُوْا مَا بَيْنَهُمْ وَبَيْنَ السَّمَاءِ الدُّنْيَا.
(أَخْرَجَهُ مُسْلِمْ)
‘An Abi Huraira (as) ‘anhu, ‘an Nabi (saws) qal: “Inna Lillahi malayikatan sayyaratan fudulan yatatabba’ona majalisaz Zikre, fa iza wajadu majlisan fihi zikrun, qa’adu ma’ahum wa haffa ba’duhum ba’dan bi ajnihatihim, hatta yamlao ma baynahum wa baynas samayid dunya.”
“अबू हुरैराह पैगंबर मुहम्मद (ﷺ) से वर्णन करते हैं कि ‘स्वर्गदूतों का एक समूह है जो ज़िक्र (ईश्वरीय स्मरण) की सभाओं की तलाश में पृथ्वी पर गश्त करता है। जब वे ज़िक्र की सभा पाते हैं तो वे एक दूसरे को पुकारते हैं और इस सभा के चारों ओर एक घेरा बनाते हैं, उनके पंख एक के ऊपर एक चढ़ते हैं, तब तक परतें बनाते हैं जब तक कि पृथ्वी और पहले स्वर्ग के बीच की जगह भर नहीं जाती।“ [साहिह मुस्लिम]
यदि पैग़म्बर ﷺ मौजूद हैं, तो निश्चित रूप से अल्लाह (अज़्ज़ व जल) और फ़रिश्ते मौजूद होंगे
अगर मलाइका (फ़रिश्ते) कहीं हैं, तो वे अल्लाह (अज़्ज़ व जल) की मौजूदगी के बिना कहीं नहीं जाते। अगर अल्लाह (अज़्ज़ व जल) का नूर मौजूद है, मलाइका मौजूद होना चाहिए। और अगर अल्लाह (अज़्ज़ व जल) मौजूद है, मलाइका मौजूद है, तो साय्यिदिना मुहम्मद ﷺ मौजूद होना चाहिए। अगर सैय्यदीना मुहम्मद ﷺ नहीं जा रहे हैं, और वे कहते हैं, नहीं, मैं नहीं जा रहा हूँ। क्या अल्लाह (अज़्ज़ व जल) और उसके फ़रिश्ते आ रहे हैं? अल्लाह (अज़्ज़ व जल) ने फरमाया, नहीं, मैं ‘नबियीन, सिद्दीक़ीन, शुहादा ही व सालिहीन‘ के साथ हूं, और यह सबसे अच्छी संगत है
﴾وَمَن يُطِعِ اللّهَ وَالرَّسُولَ فَأُوْلَـئِكَ مَعَ الَّذِينَ أَنْعَمَ اللّهُ عَلَيْهِم مِّنَ النَّبِيِّينَ وَالصِّدِّيقِينَ وَالشُّهَدَاء وَالصَّالِحِينَ وَحَسُنَ أُولَـئِكَ رَفِيقًا ﴿٦٩
4:69 – “Wa man yuti’ Allaha war Rasola faolayeka ma’al ladheena an’ama Allahu ‘alayhim minan Nabiyeena, was Siddiqeena, wash Shuhadai, was Saliheena wa hasuna olayeka rafeeqan.” (Surat An-Nisa)
“जो अल्लाह और रसूल की आज्ञा का पालन करता है ,तो ऐसे ही लोग उन लोगों के साथ हैं जिनपर अल्लाह की कृपा/आशीर्वाद स्पष्ट रही है – वे नबी, सिद्दिक, शुहदा (गवाह) और अच्छे लोग हैं। और वे कितने अच्छे साथी हैं।“ (सूरत अन-निसा, ४:६९)
तो इसका मतलब ये हुआ कि जब नबी ﷺ की रूहानियत आती है तो कौन होता है? सारे सिद्दीक़ीन (सच्चे), सभी सहाबा (साथी)। पैगंबर ﷺ अकेले नहीं जाते। यदि मुझे निमंत्रण देते हो, तो कहते हो ठीक है, आप खुद जाओ और जाते हैं। सैय्यदीना मुहम्मद ﷺ साथ आते हैं? इसका मतलब है नबियीन (नबी), अगर पैग़म्बर ﷺ निमंत्रण लेते हैं, तो वे मेरे नाम का जिक्र कर रहे हैं, वे मेरे लिए जश्न और महफिल कर रहे हैं। सभी सिद्दीक़ीन, उनकी अरवाह (आत्माओं) को उपस्थित होना चाहिए। नबियीन, सिद्दीक़ीन, सभी शुहदा (गवाह), जिसका अर्थ है जिनके दिल खुले हैं। उनकी हक़ीक़त खुल गई है। सभी सालिहीन (पवित्र), और अल्लाह (अज़्ज़ व जल) उन सभी के साथ।
हमें स्वर्गीय सभाओं से दूर रखने वाले शैतान से सावधान रहना है
और इसीलिए महफिल और ज़िक्र की मजलिसें इतनी शक्तिशाली हैं, इतनी धन्य हैं। आप सोचिए जब रुहानियत और नबी ﷺ का नूर एक सभा में मौजूद हैं तो क्या कोई दरवाज़े से आ सकता है और पाक-साफ़ न हो? वे फौरन नीयत कर लेते हैं और उनके घर का हर शैतान उन्हें रोक रहा होता है। आज रात मत जाओ। आज रात मत जाओ। गाड़ी काम नहीं कर रही है। आप ऐसा नहीं कर सकते। आपको काम है। क्यों? क्योंकि वह नहीं चाहता कि उसका गुलाम रिहा हो और सैय्यदीना मुहम्मद ﷺ की उपस्थिति में आए। उसने उस पर जो काम किया और उसे नष्ट कर दिया, वह सब एक पल में नष्ट होने वाला है। जब वे जश्ने मिलाद में प्रवेश करते हैं।
यह सब नात जो हम पढ़ रहे थे, ‘आपका प्रकाश ब्रह्मांड का प्रकाश है।’ क्या आप ब्रह्मांड के प्रकाश की उपस्थिति में जा सकते हैं और आप पर कोई, कोई बुराई हो सकती है? तुम धोए और साफ़ कर दिए जाओगे। आप चमक रहे होंगे, कल्पना से परे। अब आप पर पैगंबर ﷺ का ध्यान है।
نور والا آیا ہے , نور لے کر آیا ہے
سارے عالم میں یہ دیکھو، کیسا نور چھایا ہے
اصلا ة وسلام و علیکَ یا رسول الله
Noor wala aya hay, Noor lay kar aya hay
Sare alam may yea dekho, Kaisa noor chaya hay
As Sallatu Was Salamu ‘Alayka Ya RasulAllah
प्रकाश के मालिक (पैगंबर मुहम्मद (ﷺ)) आ गए हैं,
वह अपने साथ प्रकाश लाए हैं,
देखो उन्होंने कैसे पूरे ब्रह्मांड में प्रकाश फैलाया है
आप पर शांति और आशीर्वाद, हे अल्लाह (अज़्ज़ व जल) के रसूल
हमारा पूरा जीवन ये जश्न (उत्सव) है। सारा रिज़्क और पैसा, और जो कुछ भी आप कर रहे हैं वह ध्यान भटकाने वाला है। कम से कम आओ और सैय्यदीना मुहम्मद ﷺ के साथ अपनी सफाई, और अपने आशीर्वाद, और अपने दर्शन को प्राप्त करो। इससे ज्यादा खूबसूरत और क्या हो सकता है? कोई $12,000 टिकट नहीं। यह बहुत आसान है, आप अपनी गाड़ी में बैठ गए, अपनी बस में चड़ गए, और आप आ गए। पैगंबर ﷺ का प्रकाश होना चाहिए। वह प्रकाश और वह आशीर्वाद अवश्य होना चाहिए। अब, एक बड़ी महफिल होने की कल्पना करें। वहाँ कौन है? वे नहीं आ रहे हैं? यदि आप आमंत्रित करते हैं, तो वे नहीं आ रहे हैं और आपको अपने परिवार के सामने शर्मिंदा कर रहे हैं? पैगंबर ﷺ हैं। सब साथी हैं। वह सब प्रकाश वहाँ है। हमें अपनी दुनिया (भौतिक दुनिया) के प्रकाश को छोड़ना होगा, और मलकूत (स्वर्गीय क्षेत्र) में वापस जाना होगा।
जब हम गिरते हैं तो पैग़म्बर ﷺ का प्यार हमेशा हमें ऊपर उठाता है
कि हमारी आत्मा से सोचो, कि या रब्बी, इन संघों में, शैतान इसके इतने खिलाफ क्यों है ? शैतान आपको लास वेगस जाने से नहीं रोकता। शैतान आपको कार्निवाल और नग्न कार्यक्रम करने से नहीं रोकता है, वह इसे प्रोत्साहित करता है। केवल एक चीज जो शैतान रोकता है वह है मिलाद अन नबी ﷺ (पैगंबर ﷺ के जन्म का उत्सव)। सबको राय रखनी होगी। उनके पास लास वेगस के बारे में कोई राय नहीं है – सब कुछ ठीक है। लेकिन शैतान जानता है, जब सेवक आशीर्वाद से तैयार होने जा रहा है, वह सबसे पवित्र आत्माओं की उपस्थिति में जा रहा है, उसे ब्लॉक कर दें, उसे ब्लॉक कर दें, उसे ब्लॉक कर दें। और इसीलिए औलीयल्लाह हमारी ज़िंदगी में आ जाते हैं क्योंकि उन पर शैतान का कोई हाथ नहीं होता। कि मजलिस (संगठन) होनी चाहिए, पैगंबर ﷺ की रूहानियत (दिव्य रोशनी) प्रकट होंगी, और जो कोई भी उस संघ में आएगा, उसे रोशनी और आशीर्वाद से सुशोभित कर दिया जाएगा जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती है।
वह रौशनी, कि जब आप सैय्यदीना मुहम्मद ﷺ की उपस्थिति में आते हैं, तो क्या आप इसे कभी छोड़ सकते हैं? आपको लगता है कि वह आपको छोड़ देंगे या वह लगातार आपको अपनी रोशनी से सजाएंगे अलैहिस्सलातु सलाम ? लगातार आप पर कृपा करते हैं, लगातार आप पर नज़र (निगाह) रखते हैं, कि हर बार जब आप गिरते हैं और गलत दिशा में जाते हैं, तो पैगंबर ﷺ का प्यार आपको वापस ऊपर उठाएगा और आपको उस उपस्थिति में वापस लाएगा, ताकि आप अल्लाह (अज़्ज़ व जल) के एक अच्छे सेवक बन सकें। और यही अल्लाह (अज़्ज़ व जल) ने कहा, ‘मेरा इस्तग़फ़ार, जाऊका, पैगंबर ﷺ की उपस्थिति में माँगो। यदि वह मुझसे माँगते हैं, तो यह माफ़ कर दिया गया। और सैय्यदीना मुहम्मद ﷺ से क्षमा मांगो, क्योंकि तुम नहीं जानते कि रहमतल लिल आलमीन क्या है। मैंने तुम्हें क्या उपहार दिया, यह तुम नहीं जानते।’
﴾وَمَا أَرْسَلْنَاكَ إِلَّا رَحْمَةً لِّلْعَالَمِينَ ﴿١٠٧
21:107 – “Wa maa arsalnaka illa Rahmatan lil’alameen.” (Surat Al-Anbiya)
“और हमने तो तुमको [ओ मुहम्मद (ﷺ)] सारे दुनिया/जहान के लोगों के हक़ में अज़सरतापा रहमत बनाकर भेजा।” (सूरत अल-अंबिया, २१:१०७)
हमें सर्वश्रेष्ठ रचना, सैय्यदीना मुहम्मद ﷺ के लिए आभार प्रकट करना चाहिए
हमने कहा सूरत अर-रहमान में, इमाम सूरत अर-रहमान पढ़ रहे थे, अल्लाह (अज़्ज़ व जल) ने कहा अनार के लिए मुझे धन्यवाद करो। मुझे तीन (अंजीर) के लिए धन्यवाद दो। घास के लिए मेरा धन्यवाद करो।
﴾فِيهِمَا فَاكِهَةٌ وَنَخْلٌ وَرُمَّانٌ ﴿٦٨﴾ فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴿٦٩
55:68-69 – ” Feehimaa faakihatunw wa nakhlunw wa rummaan (68) Fabi ayyi aalaaa’i Rabbikumaa tukazzibaan. (69)” (Surat Ar-Rahman)
“उन दोनों में है स्वादिष्ट फल और खजूर और अनार। (६८) अत: तुम अपने रब की अनुकम्पाओं में से किस-किस को झुठलाओगे? (६९)” (सूरत अर-रहमान, ५५:६८-६९)
और सैय्यदीना मुहम्मद ﷺ के लिए अल्लाह (अज़्ज़ व जल) का शुक्रिया अदा करने के बारे में क्या ? जश्न, जश्ने मिलाद, अल्लाह (अज़्ज़ व जल) का एक बड़ा धन्यवाद है। कि या रब्बी, आपने हमें सबसे अच्छी रचना दी, सृष्टि की सबसे अधिक प्रशंसा दी। यदि आप अनार के लिए धन्यवाद पाना चाहते हैं, तो सैय्यदीना मुहम्मद ﷺ की वास्तविकता के लिए अल्लाह (अज़्ज़ व जल) को धन्यवाद देने की क्या तुलना है? इसलिए हमारा पूरा जीवन इन वास्तविकताओं तक पहुँचना है।
हम दुआ करते हैं कि अल्लाह (अज़्ज़ व जल) हमारे लिए इन नेमतों को खोल दे, सैय्यदीना मुहम्मद ﷺ के प्यार को हमारे दिल में ज्यादा से ज्यादा खोल दे। और यह कि पूरा शहर, इस नात में जो हम पढ़ रहे थे, यह रौशनी या रसूलअल्लाह, न केवल मेरे परिवार, मेरे घर से है, बल्कि यह सैय्यदीना मुहम्मद ﷺ के प्रकाश से पूरे शहर को रोशन करेगा।
Subhana rabbika rabbal ‘izzati ‘amma yasifoon, wa salaamun ‘alal mursaleen, walhamdulillahi rabbil ‘aalameen. Bi hurmati Muhammad al-Mustafa wa bi sirri surat al-Fatiha.
सुहबा की मूल तारीख : अक्टूबर २२, २०१७
इस सोहबाह का प्रतिलेखन करने में हमारे प्रतिलेखकों के लिए विशेष धन्यवाद।
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