
सफ़र और गुफ़ा, 18 की वास्तविकताएँ, परमात्मा का ह्रदय।
मौलाना (क़) के वास्तविकताओं से, जैसा कि शेख़ नूरजान मीरअहमदी ने सिखाया है।
A’udhu Billahi Minash Shaitanir Rajeem
Bismillahir Rahmanir Raheem
पनाह माँगता हूँ मैं अल्लाह की शैतान मर्दूद से,
शुरू अल्लाह का नाम लेकर, जो बड़ा मेहरबान, निहायत रहम वाला है।
Bismillahir Rahmanir Raheem. Wa Alhamdulillahhir Rabbil Alameen wa Salatu wa Salaam Ashrafil Mursaleen Sayyidina wa Mawlana Muhammad ul Mustafa ﷺ bi Madadakum wa Nazarakum Ya Sayiddi Ya Rasulul Kareem Ya Habib ul Azim. Madad Ya Sayiddi Ya Sultanul Awliya Mawlana Shaykh Abdullahil Faizad Daghestani, Sultanul Shaykh Muhammad Nazim Adil Haqqani, Ya Sahib waqt Muhammadul Mahdi (as), bi Madadakum wa Nazarakum sayiri sadatina wa Siddiqin. Al Fatiha. Aameen Ya Rabbul Aalameen.
अल्लाह (अज़्ज़ व जल) की कृपा से, हम अभी भी अस्तित्व में हैं।
Wa A’udhu Billahi Minash Shaitanir Rajeem Bismillahir Rahmanir Raheem Ati ullah ati ar Rasool wa ulil amri minkum
﴾أَطِيعُواللَّه وَأَطِيعُوٱلرَّسُولَ وَأُوْلِي الْأَمْرِ مِنْكُمْ… ﴿٥٩…
4:59 – “…Atiullaha wa atiur Rasula wa Ulil amre minkum…” (Surat An-Nisa)
“… अल्लाह की आज्ञा का पालन करो, रसूल का कहना मानो और उनका भी कहना मानो जो तुममें अधिकारी लोग हैं …” (सूरत अन-निसा, 4:59)
हमेश मेरे लिए एक अनुस्मारक कि अल्लाह (अज़्ज़ व जल) की कृपा से, कि वह हमें अस्तित्व में रखता है, और क्षमा करता है। वह अल्लाह (अज़्ज़ व जल) की असीम रहमा (दया) है। कि अगर किसी भी क्षण, वह थक जाता हैं, हमारा अस्तित्व समाप्त हो जाता है। अल्लाह (अज़्ज़ व जल) की दैवीय महानता के सामने कोई कुछ नहीं हो सकता, साय्यिदिना मुहम्मद ﷺ की दैवीय महानता के सामने, असहाब अन नबी ﷺ (नबी ﷺ के पवित्र साथी), अहलुल बैत अन नबी ﷺ (नबी ﷺ का पवित्र परिवार), और औलियाल्लाह (संत) के सामने, स्वर्ग से और पृथ्वी तक।
यदि आप हमारा चेहरा देख रहे हैं, तो अल्लाह (अज़्ज़ व जल) आपको बुला रहा है।
एक अनुस्मारक, इन पवित्र महीनों में, हर महीना एक पवित्र महीना है जो अल्लाह (अज़्ज़ व जल) की दैव्य उपस्थिति की ओर यात्रा कर रहा है। औलियाल्लाह आकर हमें उस यात्रा की समझ देते हैं, और उस यात्रा को हमारे लिए कुछ आसान बनाते हैं। एक बार जब हम समझ जाते हैं, तो हम अपने जीवन को परिप्रेक्ष्य में रखना शुरू कर देते हैं, और यह समझने में कि क्या हो रहा है जब अल्लाह (अज़्ज़ व जल) हमें चाहता है, और हमें ईश्वरीय उपस्थिति के लिए बुलाता है। अगर आप हमारी आवाज़ सुन रहे हैं तो अल्लाह (अज़्ज़ व जल) आपको बुला रहा है। अगर आप हमार चेहरा देख रहे हैं, तो अल्लाह (अज़्ज़ व जल) आपको बुला रहा है। अगर आप इन क़ालिनो के भीतर बैठे हैं, तो अल्लाह (अज़्ज़ व जल) आपको बुला रहा है। ऐसा हो नहीं सकता कि अगर अल्लाह (अज़्ज़ व जल) आपको हक़ाएक़ (वस्तविकताओं) की ओर नहीं बुला रहा होता तो अपने सुना होता, अपने देखा होता, या आप उस प्रकार की वास्तविकता की उपस्थिति में होते। वह बुला रहा है, यह एक इशारात (संकेत) हैं, जिसे आत्मा ने सुना, और अब उस दिव्य उपस्थिति की ओर बढ़ रही है।
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वस्तविकताओं की ओर यात्रा 9 संख्या की शक्ति के साथ है।
जब आप 9 के इस आरेख को देखते हैं। हमारे वास्तविकता के सर्कल के केंद्र में 9 है। और हमें एक वास्तविकता देने के लिए सब कुछ उस 9 से गुणा किया जाता है। तो, गुणन का रहस्य एक वास्तविकता है, उस 9 के साथ एक रहस्य है, और 12 महीने के हर महीने, 1, 2, 3, 4, 5, 12 तक सभी का 9 की उस वास्तविकता से गुणा किया जाता है। इसका गुणनफल है हक़ाएक़ । तो, पहला महीना, पहला चंद्र कैलेंडर, पहला महीना मुहर्रम है। तो, आप 9 की उस वास्तविकता को लेते हैं, आप इसे 1 से गुणा करते हैं, यह 9 की शक्ति का एक रहस्य खोलता है। वास्तविकताओं की यह यात्रा संख्या 9 की शक्ति की वास्तविकता है।
संख्या 3, 6, और 9 की चमत्कारी प्रकृति।
अब, पक्ष के लोगों के लिए, किसी को भ्रमित करने के लिए नहीं। भौतिकी और विज्ञान का अध्ययन करने वाले लोग, उस वास्तविकता के उस्तादों में से एक थे टेस्ला, निकोला टेस्ला। और उसने अपने लेखों में लिखा कि जो कोई 3, 6, और 9 की वास्तविकता जानता है, उसे स्वर्ग का रहस्य दिया गया है। इसका अर्थ है कि 3, 6, और 9 औलिया (संतों) का ज्ञान है। वह 3, और आत्मा की वास्तविकता। 6, वदूद (सबसे प्यारा) की वास्तविकता। और 9 सल्तनत और अल्लाह (अज़्ज़ व जल) का राज्य है। और वह ऊपर की ओर त्रिभुज उस 3, 6 और 9 पर आधारित होता है। और इन 3 संख्याओं की चमत्कारी प्रकृति।
लेकिन, सभी नंबरों का सुल्तान (राजा), 9 है। कि 9 को किसी भी चीज़ से गुना करने का अर्थ है गुना, फ़ना (विनाश) की एक वास्तविकता है। जब आप 9 की ओर आते हैं, तो हमें केवल समझने के लिए, वस्तविकताओं को हमेशा शब्दों में बयां करना कठिन है।यदि 9 एक प्राणी है और आप स्वयं को उस 9 से गुना करते हैं, तो प्रत्येक गुनफल वापस आ जाएगा और स्वयं को घटाकर 9 कर देगा। इसलिए, 9 जब 1 से गुना करता है, तो 9 होता है। 9 जब 2 से गुना करता है तो 18 हो जाता है। 1 और 8, 9 बन जाते हैं। इसका मतलब है कि आप फ़ना के महासागरों में आते हैं और पैग़म्बर ﷺ की वास्तविकता में विनाश करते हैं, यह आपको पैग़म्बर ﷺ की वास्तविकता से बना देगा।
दिल के ज्ञान के लिए अपना सिर बंद करें।
तो, इसका मतलब है गुफा का यह रहस्य, रास्ते का यह रहस्य, यह पवित्र क़ुरान से शुरू होता है जो वास्तविकताओं की उच्चतम और सबसे सिद्ध यात्रा है। तो, शम्स उल अरीफीन के रास्ते में, सूर्य और सभी ज्ञान का सर्वोच्च शिखर उस समझ में है। वे हमें बाब ए नौ तक ले जाते हैं। तो, पवित्र क़ुरान का 9वां सुराह, कोई बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम नहीं है। क्योंकि यह यात्रा ज्ञान के शहर की ओर है, इसके द्वारपाल, इमाम अली (अ स), ओ बाबा हू हैं। वे फाटक पर ज़ुल्फ़िक़ार के साथ बैठते हैं और कहते हैं कि इस फाटक से गुज़रने के लिए कोई बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम नहीं है, बस बिस्मिल्लाह अल्लाहु अकबर है। कि इस द्वार में प्रवेश करने से पहले आपका सिर हटाना होगा।
इसका मतलब है कि यह अति-सोचने वाला दिमाग़, अति सक्रिय विचार प्रक्रिया, हमारे लिए वस्तविकताओं तक पहुँचने का कोई रास्ता नहीं है, इस अक़्क़ल (बुद्धि) के साथ। यह अक़्क़ल, यह सर, आपके हिसाब के लिए है, आपके पार्किंग टिकट का भुगतान कैसे करें, आपके रात का खाना कैसे बनाएं। अल्लाह (अज़्ज़ व जल) की वस्तविकताओं को खोजने के लिय नहीं। स्वर्ग की वस्तविकताओं को समझने के लिए नहीं। अल्लाह (अज़्ज़ व जल) कहता है, ‘मैं स्वर्ग में नहीं, न धरती में, बल्कि अपने आस्तिक के दिल में हूँ।’
مَا وَسِعَنِيْ لَا سَمَائِيْ ولا اَرْضِيْ وَلَكِنْ وَسِعَنِيْ قَلْبِ عَبْدِيْ اَلْمُؤْمِنْ
“Maa wasi`anee laa Samayee, wa la ardee, laakin wasi’anee qalbi ‘Abdee al Mu’min.”
“न तो मेरा आकाश और न ही मेरी पृथ्वी मुझे समा सकती है, परन्तु मेरे विश्वस्योग्या दास का हृदय।” (हदीस क़ुदसी पैग़म्बर मुहम्मद ﷺ द्वारा बतायी गयी)
इसलिए, वे तुरंत अंतर करना चाहते हैं। यदि आप अपना सिर चाहते हैं, और आप सिर की वास्तविकताओं को चाहते हैं, तो यह एक बाहरी ज्ञान है; आप इसे यू टीयूब पर पा सकते हैं और किसी अन्य पुस्तक पर जिसे आप पढ़ना चाहते हैं। यदि आप वास्तविकताओं के रास्ते पर आना चाहते हैं, तो यह एक आंतरिक ज्ञान है। यह हृदय का ज्ञान है। दिल के हक़ाएक़, और इसके लिए सिर को बंद करने की आवश्यकता है। क्योंकि सिर हर उस चीज को रोकता रहेगा जिसे दिल समझने की कोशिश कर रहा है। आज रात जैसे ही आप यहां से निकलेंगे, आपका सिर हर तरह के वसवस (फुसफुसाते हुए) से आप पर बमबारी करने वाला है। कि, मैं उस से सहमत नहीं हूं जो उसने कहा, अल्लाह (अज़्ज़ व जल) ने हमें एक अक्कल दिया, और कहा कि हमारे अक्कल का उपयोग करें। हर प्रकार की हदीस (पैगंबर ﷺ की परंपराओं) को गलत तरीके से उद्धृत करने जा रहा है कि पैगंबर ﷺ ने कहा, अपने ऊंट को बांधो। यह एक ऊंट के बारे में नहीं है। यह नबी ﷺ की इन सभी अन्य हदीसों के बारे में नहीं है। वे भौतिकता के संदर्भ में हैं। अपने ऊँट को बाँधो, हाँ क्योंकि तुम्हें अपना किराया देने के लिए काम पर जाना है। तुम नहीं कहते, नहीं, अल्लाह (अज़्ज़ व जल) मेरा किराया देने वाला है। इसका मतलब है कि यह ज़ाहिर है, यह एक बाहरी समझ है। तो, आप काम करते हैं ताकि आप अपने किराए का भुगतान कर सकें। लेकिन हक़ाएक़ और वास्तविकता, बस दिल से है। चमत्कार दिल के भीतर होता है।
हिजराह में गुफ़ा में जाना रोशनी के शहर की ओर।
यह गुफा इश्क और प्यार की गुफा है। प्यार कोई ऐसी चीज नहीं है जिसे आप छू सकते हैं लेकिन आप इसे महसूस करते हैं। यह एक हक़ीक़त है। तो, फिर वे हमें सिखा रहे हैं कि यह फाटक, बाब अत तौबा (पश्चाताप का द्वार), मुहर्रम में खुलता है। और यह जाता है, सूरह तौबा के द्वारा, सूरत अत तौबा में एक और दरवाज़े तक, छंद 40, गुफा के बारे में है। वहां से हम इस सफर के महीने में प्रवेश करते हैं।
…ثَانِيَ اثْنَيْنِ إِذْ هُمَا فِي الْغَارِ إِذْ يَقُولُ لِصَاحِبِهِ لَا تَحْزَنْ إِنَّ اللَّـهَ مَعَنَا ۖ فَأَنزَلَ اللَّـهُ سَكِينَتَهُ عَلَيْهِ وَأَيَّدَهُ بِجُنُودٍ لَّمْ تَرَوْهَا…
9:40 – “…thaniya ithnayni idh huma fil ghari idh yaqolu lisahibihi la tahzan inna Allaha ma’ana, fa anzalAllahu sakeenatahu, ‘alayhi wa ayyadahu, bi junodin lam tarawha…” (Surat At-Tawba)
“…वह केवल दो में के दूसरे थे, जब वे दोनो गुफ़ा में थे। जबकि वह अपने साथी से कह रहे थे , “शोकाकुल न हो । अवश्यमेव अल्लाह हमारे साथ है।” तो अल्लाह ने उन पर अपनी तसकीन नाज़िल फ़रमाई और फ़रिश्तों के ऐसे लश्कर से उनकी मदद की जिनको तुम लोगों ने देखा तक नहीं …” (सुराह अत-तौबा, 9:40)
हम सूरत अत तौबा का पाठ करते हैं, छंद 40, सैय्यदीना मुहम्मद ﷺ और सैय्यदीना अबू बक्र अस सिद्दिक़ (अ स) की घटना के बारे में है, वे गुफा में प्रवेश कर रहे हैं क्योंकि वे मक्का से हिजराह (प्रवास) कर रहे हैं और संघर्ष कर रहे हैं। पैगंबर ﷺ हमारे लिए एक शाश्वत यात्रा है, यह कोई कहानी नहीं है। यह हमारे जीवन में है; जब आप संघर्ष करते हैं, और 13 साल आप अपनी सभी बुरी विशेषताओं के ख़िलाफ़ संघर्ष करते हैं, तो अल्लाह (अज़्ज़ व जल) एक इशारात देगा, कि, अब संघर्ष से रोशनी के शहर की ओर बढ़ें। रोशनी के शहर में जाने की उस घटना में, पैगंबर ﷺ ने सैय्यदीना अबू बक्र अस सिद्दिक (अ स) की वास्तविकता को लिया, कि एक सिद्दिक़िया और सिद्ध चरित्र रखें और फिर इस गुफा, सिद्दिक़िया गुफा में प्रवेश करें। जिसमें पैगंबर ﷺ आपके साथ बैठना चाहते हैं और आपकी आत्मा को हक़ाएक़ और वास्तविकताएं प्रदान करना चाहते हैं।
इमाम अली (अ स) ने अपनी जान की बाज़ी लगा दी हिजराह के खुलने के लिए।
और यह केवल इमाम अली (अ स) द्वारा अपनी जान की बाज़ी लगाकर ही हो सकता था, कि दोनों मदीने की ओर निकल सकें। तो दोनों ही इस रहस्य में अहम भूमिका निभाते हैं। वह इमाम अली (अ स) द्वारपाल की तरह, कि मेरे अपने बलिदान से, हिजराह खुल रहा था। क्योंकि वे पैगंबर ﷺ को मारने आए थे। इमाम अली (अ स) ने खुद को बलिदान करने के लिए एक व्याकुलता के रूप में पैगंबर ﷺ की जगह ली क्योंकि ये कवथर (बहुतायत का फव्वारा) के उत्तराधिकारी हैं। यह कावथरी (बहुतायत के फव्वारे से तैयार लोग) अधिनियम, फ़स्सल्ली ली रब्बिका वनहार है। इसका मतलब है कि अपने ईश्वर से प्रार्थना करें और बलिदान का जीवन जिएं।
﴾فَصَلِّ لِرَبِّكَ وَانْحَرْ ﴿٢
108:2 – “Fasali li rabbika wanhar’. ” (Surat Al-Kawthar)
“अतः तुम अपने रब के लिए नमाज़ पढ़ो और क़ुरबानी करो।” (सूरत अल-कौथर, 108:2)
“डरो मत, अल्लाह (अज़्ज़ व जल) हमारे साथ है” – क़ुरान 9:40
जैसे ही वह वास्तविकता खुल रही है, तो अल्लाह (अज़्ज़ व जल) गुफ़ा की घटना और 40वीं आयत का वर्णन करता है, इंशाल्लाह।
إِلَّا تَنصُرُوهُ فَقَدْ نَصَرَهُ اللَّـهُ إِذْ أَخْرَجَهُ الَّذِينَ كَفَرُوا ثَانِيَ اثْنَيْنِ إِذْ هُمَا فِي الْغَارِ إِذْ يَقُولُ لِصَاحِبِهِ لَا تَحْزَنْ إِنَّ اللَّـهَ مَعَنَا ۖ فَأَنزَلَ اللَّـهُ سَكِينَتَهُ عَلَيْهِ وَأَيَّدَهُ بِجُنُودٍ لَّمْ تَرَوْهَا وَجَعَلَ كَلِمَةَ الَّذِينَ كَفَرُوا السُّفْلَىٰ ۗ وَكَلِمَةُ اللَّـهِ هِيَ الْعُلْيَا ۗ وَاللَّـهُ عَزِيزٌ حَكِيمٌ ﴿٤٠﴾
9:40 – “Illa tansuroohu faqad nasarahullahu idh akhrajahul ladheena kafaro thaniya ithnayni idh huma fil ghari idh yaqolu lisahibihi la tahzan inna Allaha ma’ana, fa anzalAllahu sakeenatahu, ‘alayhi wa ayyadahu, bi junodin lam tarawha wa ja’ala kalimatal ladheena kafaro assufla, wa kalimatUllahi hiya al’ulya, wAllahu ‘Azeezun Hakeem.” (Surat At-Tawba)
“अगर तुम रसूल की सहायता न भी करो तो अल्लाह उनकी सहायता उस समय कर चुका है जब इंकार करनेवालों ने उन्हें निकाल बाहर [मक्का] किया उस वक़्त सिर्फ़ दो में के दूसरे थे,जब वे दोनो गुफ़ा में थे।जबकि वे अपने साथी से कह रहे थे, “शोकाकुल न हो। अवश्यमेव अल्लाह हमारे साथ है।” फिर अल्लाह ने उन पर अपनी ओर से तसकीन नाज़िल फ़रमाई और फ़रिश्तों के ऐसे लश्कर से उनकी मदद की जिनको तुम लोगों ने देखा तक नहीं और अल्लाह ने काफ़िरों की बात नीची कर दिखाई और अल्लाह ही का बोल ऊँचा है और अल्लाह तो ग़ालिब हिकमत वाला है।” (सूरत अत-तौबा, 9:40)
सारांश सैय्यदीना अबू बक्र अस सिद्दीक (अ स) पैगंबर ﷺ के साथ गुफा में होने की घटना के बारे में है। और यह डर कि वे हमला करने आ रहे हैं, और, ‘डरो मत, अल्लाह (अज़्ज़ व जल) हमारे साथ है।’ गुफा की वह वास्तविकता इस हक़ाएक़ की वास्तविकता है। हम यही खोज रहे हैं, या रब्बी, और फिर सफ़र के पवित्र महीने में खुल जाता है।
सफ़र, दूसरा चंद्र मास 2 x 9 =18
18 की वास्तविकता और अल हयात का महासागर।
आप ऐप पर जाएं, आप सफ़र पर क्लिक करते हैं, इसकी कोडिंग देना शुरू करते हैं जिसे हमने एक साथ रखा है। सफ़र के महीने के लिए 18 की वास्तविकता में 9 गुना 2 का रहस्य है। 18 का महत्व और जो 18 का प्रतिनिधित्व करता है वह अल हयात का महासागर है। 18 की संख्या सुनने और रुचि रखने वाले किसी व्यक्ति के लिए 18 अल हयात (सदा जीवित) के महासागरों का रहस्य है। हय (सदा जीवित) का हा ح और या ي, हा 8 है, या 10, 18 का रहस्य है।
इसका मतलब है कि, 18 और अल हयात के महासागर, अल्लाह (अज़्ज़ व जल) ने हमारे दाहिने हाथ पर उस वास्तविकता को छाप दिया है। कि आपके पास 1 है, और फिर उल्टा V एक 8 है। तो, आपके दाहिने हाथ पर 18 की मुहर लगी है। इसलिए, दाहिने हाथ पर 18 की मुहर है, अल्लाह (अज़्ज़ व जल) चाहता है कि मैं इस रचना को सेवा के लिए बनाया हुँ मेरे राजा के लिए, मेरी सल्तनत के लिए, अल्लाह (अज़्ज़ व जल) के राज्य के लिए- जिसका प्रतिनिधित्व 1 द्वारा किया जाता है। 1 सैय्यदीना मुहम्मद ﷺ हैं। और यह कि यह सारी सृष्टि सैय्यदीना मुहम्मद ﷺ की सेवा करने के लिए है। यदि वे अपनी वास्तविकता की ओर पहुँचते हैं, और उस उपहार की ओर पहुँचते हैं जो मैंने उन्हें दिया है, तो वे समझने लगेंगे। कि जीवन का सर्वोच्च उद्देश्य अल्लाह (अज़्ज़ व जल) की इबादत करना है। अल्लाह (अज़्ज़ व जल) की सबसे अच्छी इबादत, ताज़ीम अन नबी है। अल्लाह (अज़्ज़ व जल) जिसे प्यार करता है और दया के रूप में भेजा है उसे प्यार करने से ज़ियादा आप अल्लाह (अज़्ज़ व जल) की महिमा, अल्लाह (अज़्ज़ व जल) का शुक्रिया अदा, और अल्लाह (अज़्ज़ व जल) की प्रशंसा कैसे कर सकते है।
साय्यिदीन मुहम्मद ﷺ के लिए अल्लाह (अज़्ज़ व जल) का शुक्रिया अदा करें।
तो, ताज़ीम अन नबी ﷺ का अर्थ है कि एक ऐसा जीवन जीना जिसमें हम अल्लाह (अज़्ज़ व जल) की महिमा करते हैं। अगर सूरत अर रहमान में अल्लाह (अज़्ज़ व जल) यह कह रहा है, मुझे अंजीर (अंजीर) के लिए धन्यवाद दो, मुझे खजूर के लिए धन्यवाद्द दो। आपको नहीं लगता कि अल्लाह (अज़्ज़ व जल) हमें साय्यिदिना मुहम्मद ﷺ के लिए धन्यवाद देने के लिए कह रहा है।
﴾فِيهِمَا فَاكِهَةٌ وَنَخْلٌ وَرُمَّانٌ ﴿٦٨﴾ فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴿٦٩
55:68-69 – ” Feehimaa faakihatunw wa nakhlunw wa rummaan (68) Fabi ayyi aalaaa’i Rabbikumaa tukazzibaan. (69)” (Surat Ar-Rahman)
“उन दोनो में हैं स्वादिष्ट फल और खजूर और अनार।(68) अतः तुम अपने रब की नेमतों में से किस-किस को झुठलाओगे? (69)” (सूरत अर-रहमान, 55:68-69)
पैग़म्बर मुहम्मद ﷺ की सुन्नत से सभी पैग़म्बर चाहते थे।
हर देश पैग़म्बर मुहम्मद ﷺ से सुन्नाह चाहता था। नबी मूसा (अ स) ने साय्यिदिना मुहम्मद ﷺ के बेंत की भीख माँगी। सब कुछ पैगंबर ﷺ के उदाहरण से है। सैय्यदीना सुलेमान (सॉलमन) (अ स) ने कहा, या रब्बी, मुझे एक शक्ति प्रदान करो। वह वास्तव में पैगंबर ﷺ से पूछ रहे थे, मुझे अपनी अंगूठी की सुन्नत दे दो। अगर आप मुझे अपनी अंगूठी से देते हैं, तो मैं आपकी वास्तविकताओं से पृथ्वी पर सभी स्वर्ग खोल सकता हूं। वे पैगंबर ﷺ की वास्तविकता को जानते थे। उन्होंने पैगंबर ﷺ की वास्तविकताओं के लिए भीख मांगी। और अल्लाह (अज़्ज़ व जल) उम्मत ए मुहम्मद ﷺ से होना एक साधारण विरासत के रूप में दिया।
तो फिर औलिया हमारी ज़िंदगी में आते हैं, और कहते हैं कि यही हमारा मक़सद है। या रब्बी आपके लिए हमारी सबसे अच्छी पूजा है ताज़ीम अन नबी ﷺ है। इस धरती पर सैय्यदीना मुहम्मद ﷺ के सम्मान और शानदार स्थिति को उठाएं। और फिर हमने कम से कम कुछ लाभ और कुछ उद्देश्य के साथ जीवन जिया। ऐसा नहीं है कि आप सम्मान बढ़ा सकते हैं, लेकिन कम से कम बाहर जाकर उस सम्मान को फैलाएं, उस प्यार को फैलाएं, सबसे अच्छे चरित्र का प्रसार करें, सबसे अच्छा उदाहरण। ताकि जब वे आपकी अच्छाई, आपकी ममता, आपकी दया को देखें, तो वे समझ सकें, ओह ये तो मुहम्म्दीयुन हैं। ये हैं पैगम्बर ﷺ की असली मिसाल। कि उन्हें जब वह प्यार मिल जाता है, वे उस विशेषता को अपने भीतर ढूंढ लेते हैं।
संख्यात्मक कोड पृथ्वी पर एक दिव्य वास्तविकता है।
फिर इस हयात, अल्लाह (अज़्ज़ व जल) ने हाथ पर मुहर लगा दी। फिर वे आते हैं और सिखाना शुरू कर देते हैं, जब आप इसे पढ़ते हैं तो कहते हैं ठीक है, 18. हर चीज का एक कोड होता है, अल्लाह (अज़्ज़ व जल) जानता है, कंप्यूटर प्रोग्रामर जानते हैं, हर चीज का एक कोड होता है। और बहुत सारे प्रोग्रामर वास्तविकता की ओर आते हैं क्योंकि वे जानते हैं कि सब कुछ एक कोड है, कुछ भी सरल नहीं है। जब अल्लाह (अज़्ज़ व जल) इस जीवन, इस अस्तित्व को लिखना चाहता है, यह एक कोड है जो पहले ही लिखा जा चुका है। तो, जब आप एक दिव्य प्रोग्रामर बन जाते हैं, तो आप देखना शुरू करते हैं, आपका दिल कोड को समझता है। यह रूप से विचलित नहीं है, लेकिन यह मैट्रिक्स को देख रहा है, संख्याओं को देख रहा है, वास्तविकताओं को देख रहा है।
कलाम (शब्दों) में कई त्रुटियां और त्रुटियों की संभावनाएं हैं। आपने गलत T डाला, गलत I, पूरा वाक्य बदल जाता है। संख्यात्मक कोड में त्रुटि होना अधिक कठिन है। क्योंकि संख्यात्मक कोड संख्या है, आपके पास 786 है, यह 786 ही है। आप इसमें कोई अंतर नहीं कर सकते। लेकिन, यदि आप बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम की वर्तनी करते हैं, तो आप सीन س से चूक सकते हैं, और यह कुछ अलग हो जाता है। संख्यात्मक कोड पृथ्वी पर एक दिव्य वास्तविकता है। तो, संख्यात्मक कोड में सब कुछ एक दिव्य वास्तविकता पर है। तो, वे देखना शुरू करते हैं।
पैग़म्बर ﷺ के नाम से अल्लाह (अज़्ज़ व जल) से माँगो जो चाबी हैं।
जैसे ही वे संहिता की इस समझ में जाते हैं, पैग़म्बर ﷺ के 201 नाम दलैल उल खैरात (पैगंबर ﷺ पर स्तुति की पुस्तक) में हैं। अल्लाह (अज़्ज़ व जल) के 99 सबसे सुंदर नाम हैं। और वे समझ गए कि अल्लाह (अज़्ज़ व जल) से एक नाम खोलने के लिए, इसकी कुंजी सैय्यदीना मुहम्मद ﷺ का नाम है। इसका मतलब है कि दरवाजा खोलना और अल्लाह (अज़्ज़ व जल) के ताले को मिफ्ता अर रहमा, दया की कुंजी की आवश्यकता है, जो पैगंबर ﷺ की वास्तविकता है। हर चीज में एक ताला और एक दरवाजा होता है। बहुत से लोग सोचते हैं कि वे अल्लाह (अज़्ज़ व जल) के नाम पढ़ रहे हैं और ये सब चीजें आ रही हैं। पैगंबर ﷺ के नाम से और भी बहुत कुछ आएगा – जो उस वास्तविकता की रक्षा कर रहे हैं।
तो, जब वे 18 पर आते हैं, तो उन्होंने इस्मुल्लाह [(अल्लाह का नाम (अज़्ज़ व जल)], अल्लाह (अल्लाह अज़्ज़ व जल) का 18वां नाम , अल फत्ताह – जो खोलता है, को समझा। इसलिए, अब क्योंकि आप गुफा में प्रवेश कर रहे हैं आप माँग रहे हैं या रब्बी, मैं समझ रहा हूं कि अल फ़त्ताह का यह नाम इस गुफा के ऊपर का नाम है। कि मैं एक शुरुआत के लिए मांग रहा हूं, मैं इस उद्घाटन में प्रवेश करने के लिए मांग रहा हूं। फिर अहबाब अन नबी ﷺ, पैगंबर ﷺ के प्रेमी, उलुल बाब, पैगंबर ﷺ के द्वारपाल। कि उन्होंने उस वास्तविकता को पूरा किया और वे लोगों को अंदर लाने के लिए बाहर रहते हैं, कि अंदर आओ। अब, पैगंबर ﷺ के नाम से मांगो, सैय्यदीना मुहम्मद ﷺ का 18 वां नाम , रसूल अर रहमा ﷺ है। रसूल अर रहमा ﷺ 18वां नाम है। इसलिए, जब वे या सैय्यदी से मांगते हैं, या रसूल अर रहमा ﷺ, वे पैगंबर ﷺ के रहमा और फ़त्ताह के नाम से मांग रहे हैं; या रब्बी, हक़ (सच्चाई) और रसूलुल रहमा और नबी अर रहमा की वास्तविकता के द्वारा, एक फ़त्ताह खोलो, उस वास्तविकता में प्रवेश करने के लिए, या रब्बी, हमारे लिए एक उद्घाटन खोलो।
हाथों और उपचार की वस्तविकता – दाहिना हाथ दया का उद्घाटन है।
और वह दाहिना हाथ जो अल्लाह हमें देता है, उस पर फ़त्ताह लिखा हुआ है। तो, जब आप समझते हैं और आप खोलना चाहते हैं, या रब्बी, इस रहमा को खोलो, फ़त्ताह अर रहमा, क्योंकि रहमा पैगंबर ﷺ है। मुझे एक उद्घाटन दो, मुझे एक उद्घाटन दो। यह दाहिना हाथ रहमा और दया का द्वार है। बाद में उपचार के लिए, इसे अल काफ़ी के नाम से जाना जाता है। या शाफ़ी बायां हाथ है, एक कठिनाई को दूर करने के लिए आग है। दाहिना हाथ, अल काफ़ी है, पर्याप्त। तो, आप एक बीमारी जलाते हैं, और फिर दाहिने हाथ से, फ़त्ताह आता है और प्रबुद्ध करता है, या एक रहमा की बारिश करता है। तो, आपके पास कीमोथेरेपी है, जिसकी हम अत्यधिक अनुशंसा करते हैं, एक जलन है। तो दवा, वे कुछ लेते हैं और बीमारी को जला देते हैं, और फिर दाहिने हाथ की रहमा आती है और खोलना शुरू करती है। तो, इसका इस्तेमाल हर चीज के लिए किया जाएगा। जबकि वे चंगा भी कर सकते हैं, उन्हें ये सारी समझ क्यों है – क्योंकि वे समझते हैं, कि हम कोडित प्राणी हैं।
जब अल्लाह (अज़्ज़ व जल) ने आपके हाथ पर मेरी सिफत (विशेषता)है कहा, मैंने इस 18 के साथ यह सारी सृष्टि बनाई। कुछ में 3 (III) और कुछ में 8 है। बहुमत, इस 18 के तहत हैं। नतीजतन, वहां है एक फ़त्ताह, आपके हाथ का वहाँ उद्घाटन है। यदि आपने समझा कि सभी उद्घाटन नबी अर रहमा ﷺ के पास हैं, वह पैग़म्बर ﷺ। या रसूलुल करीम (सबसे उदार पैगंबर), या हबीबुल अज़ीम । इसलिए वे पैगंबर ﷺ को करीम कह रहे हैं। कि, जो अल्लाह (अज़्ज़ व जल) ने आपको वास्तविकताओं से दिया है, कि या क़ासिम (वितरक) ﷺ, आप ही हैं जो इन वास्तविकताओं को वितरित करते हैं, मेरे लिए एक उद्घाटन भेजें, एक आशीर्वाद भेजें, मुझे सुशोभित करें। फिर वे दिखाना शुरू करते हैं कि आपके दाहिने हाथ पर उस वास्तविकता की मुहर लगी है।
8 जो 1 राजा का सिंहासन थामे हैं।
और अल्लाह (अज़्ज़ व जल) वर्णन करता है कि यह वास्तविकता कितनी शक्तिशाली है, कि फ़ैसले के दिन 8, 1 का सिंहासन थामेंगे।
﴾وَالْمَلَكُ عَلَىٰ أَرْجَائِهَا ۚ وَيَحْمِلُ عَرْشَ رَبِّكَ فَوْقَهُمْ يَوْمَئِذٍ ثَمَانِيَةٌ ﴿١٧
69:17 – “Wal Malaku ‘ala arjayeha, wa yahmilu ‘Arsha Rabbika fawqahum yawmaidhin thamaniyatun.” (Surat Haqqah)
“और फ़रिश्ते उसके किनारों पर होंगे और उस दिन तुम्हारे रब के सिंहासन को आठ अपने ऊपर उठाए हुए होंगे।” (सूरत हाक़्क़ा, 69:17)
कि वे 8 होंगे जो ऊपर 1 राजा का सिंहासन थामेंगे। वह सिंहासन कभी अल्लाह (अज़्ज़ व जल) का नहीं हो सकता। अल्लाह (अज़्ज़ व जल) को कोई नहीं उठा सकते, न 8, न 80 मिलियन, न 80 अरब अल्लाह (अज़्ज़ व जल) को उठा सकते हैं। जो कुछ भी अल्लाह (अज़्ज़ व जल) को उठाता है, ईश्वर न करे, वह अल्लाह (अज़्ज़ व जल) से ज्यादा बलवान होगा। अल्लाह (अज़्ज़ व जल) हमें समझाना चाहता है कि, सुल्तान एक है और उस सुल्तान के दिल पर अल्लाह की इज़्ज़ा और पराक्रम है। और 8 उस सिंहासन को थामे हैं।
सेवा करें और साय्यिदिना मुहम्मद ﷺ के प्यार का प्रचार करें।
हमारे लिए, अल्लाह (अज़्ज़ व जल) हमारे लिए एक निशानी दे रहा है; हमारा जीवन उन 8 सा होना है। कि या रब्बी मुझे उन लोगों में से होने दो जो उस ज़िम्मेदारी को निभाते हैं। प्यार और अच्छे चरित्र का प्रचार करने के लिए, और सैय्यदीना मुहम्मद ﷺ का दावाह (धार्मिक प्रचार)। चाहे आप इसे कर सकें, चाहे आप इसका समर्थन कर सकें, चाहे आप इसमें भाग ले सकें, यह हमारे जीवन को उसका उद्देश्य देता है। यदि अल्लाह (अज़्ज़ व जल) ने आपको रिज़्क़ (उपजीवन) दिया और आप इसका समर्थन कर सकते हैं, तो सैय्यदीना मुहम्मद ﷺ के दावाह, प्यार और अच्छे चरित्र से बेहतर कोई समर्थन नहीं है। अगर अल्लाह (अज़्ज़ व जल) ने आपको कंप्यूटर पर क्षमता दी है, तो उसके लिए इसका इस्तेमाल करें। अगर अल्लाह (अज़्ज़ व जल) ने आपको लिखने की क्षमता दी है, तो उसके लिए इसका इस्तेमाल करें। अगर अल्लाह (अज़्ज़ व जल) ने आपको सुरीली आवाज दी है, तो क़ुरान और नशीद (स्तुति के गीत) से लोगों को अल्लाह (अज़्ज़ व जल) और उसके प्यारे सैय्यदीना मुहम्मद ﷺ के प्यार के लिए बुलाएँ। इसका मतलब है कि तब हमारे जीवन में हर चीज़ का अपना उद्देश्य और उसका फल होना शुरू हो जाता है। वह अल हयात का महासागर बन जाता है।
और वे सिखाते हैं कि यदि आप 8 के लोगों में से बन सकते हैं, जो 1 राजा को उठाए रखते हैं जिससे अल्लाह (अज़्ज़ व जल) अधिक प्रसन्न है, वे हमें 8 की इस वास्तविकता तक ले जाएंगे। वे हमें बाहरूल हयात और सदा जीवित आत्माओं के महासागर तक ले जाएंगे। जैसे-जैसे आप उस गुफा की ओर बढ़ते हैं और उस वास्तविकता की ओर बढ़ते हैं, आप उस गुफा में गहराई तक जाते हैं, वह गुफा, अपनी वास्तविकताओं में, आपकी आत्मा को तैयार करना शुरू कर देती है, आपकी आत्मा को आशीर्वाद देती है। तो फिर, यदि आप हयात के लोगों के साथ जा रहे हैं, तो वे आपको हयात बना देंगे। वे आपकी आत्मा को शाश्वत वास्तविकताओं की वास्तविकताओं में डुबाने के लिए यात्रा पर ले जा रहे हैं। हर ज्ञान और हर उलूम जो वे सिखाते हैं वह मृत ज्ञान नहीं है। यह एक जीवित ज्ञान है वह आपकी आत्मा को तैयार करता है। भले ही आपने इसे 3 साल, 5 साल, 10 साल, 100 साल तक सुना होगा, हर बार कुछ अलग और आत्मा पर कुछ नया होता है। जैसे ही आत्मा इन वास्तविकताओं को सुनती है, वह रात में तुरंत अल्लाह (अज़्ज़ व जल) के पास जाती है, कहती है या रब्बी, मैंने एक वास्तविकता सुनी, मुझे उस वास्तविकता से पीने दो, मुझे उस वास्तविकता के भीतर मछली की तरह तैरने दो और इसकी वास्तविकता से सुशोभित होने दो।
सफ़र की तज्जल्ली और सुभानल ‘अलीम अल हकीम का ज़िक्र।
गुफ़ा की उस वास्तविकता, ऐप (मुहम्मदन वे) के ज़रिए भी सीधी एक तज्जल्ली (अभिव्यक्ति) है। महीने की तज्जल्ली हैबा है और राजसी ताकत की एक पोशाक है जिसे अल्लाह (अज़्ज़ व जल) आत्मा पर सुशभित करता है। ज़िक्र जिसमें पैगंबर ﷺ को अल्लाह (अज़्ज़ व जल) की रोशनी से सुशोभित किया गया था। इसका मतलब है कि ये 12 हिजाब (परदा), ये 12 महीने, पैगंबर ﷺ के प्रति एक वास्तविकता हैं। कि अल्लाह (अज़्ज़ व जल) ने पैगंबर ﷺ की आत्मा को वास्तविकता के 12 पर्दों से सुशोभित किया है। यह परदा जो पैगंबर ﷺ को सुशोभित कर रहा है, अल्लाह (अज़्ज़ व जल) का ज़िक्र, वह था “सुभानल ‘आलिम अल-हकीम, मेरे प्रभु की महिमा हो, जो सब कुछ जानने वाला और बुद्धिमान है।” सब जानने वाला और बुद्धिमान। तो, इसका अर्थ है गुफा में प्रवेश।
سُبْحَانَ الْعَلِيْمُ الْحَكِيمْ
Subhanal ’Alim al-Hakim
मेरे प्रभु की महिमा हो, जो सब जानने वाला और बुद्धिमान है
फिर ऐप से, क्योंकि हम ऐप के बारे में थोड़ी बात करना चाहते थे। कि जैसे ही आप ऐप में जाकर उसे पढ़ते हैं और उसे समझते हैं कि वहाँ – 3, 4, 5, उस हक़ीक़त से जुड़े आर्टिकल हैं। जैसे ही आप उस वास्तविकता को पढ़ते हैं, आप समझने लगते हैं कि वे गुफा के बारे में क्या बात कर रहे हैं। क्या है उस गुफा का महत्व? असहाब उल कहफ (गुफा के साथी) से कैसा होना चाहिए। कि जब अल्लाह (अज़्ज़ व जल) ज़िक्र दे रहा है, “सुभानल मन ‘अलीम अल-हकीम,” इसका मतलब है कि हम जिस गुफा में प्रवेश कर रहे हैं, उसमें सभी ज्ञान और बद्धिमत्ता मौजूद हैं। कि, जब हम उस का ज़िक्र कर रहे हैं और हैबा की पोशाक हमारी आत्मा पर है, अल्लाह (अज़्ज़ व जल) हमें इस महीने के माध्यम से लगातार सिखा रहा है, सुभानल ‘अलीम अल-हकीम। कि मैं तुम्हें ज्ञान और बद्धिमत्ता, ज्ञान और बद्धिमत्ता के साथ हैबा और पराक्रम की पोशाक प्रदान करने जा रहा हूं।
सफ़र में आत्मा पर अल्लाह की राजसी पोशाक होती है।
इसलिए वे महीने को इतना भारी मानते हैं। कहते हैं, ओह सफर भारी महीना है। ओह, यह अल्लाह (अज़्ज़ व जल) की राजसी पोशाक आत्मा पर है। यह उन लोगों के लिए भारी है जो गुफा में नहीं जाना चाहते हैं। लेकिन अगर आप गुफा में जाना चाहते हैं, और आप उचित ज़िक्र करते हैं, तो यह शीतलत और शांतिपूर्ण होना चाहिए। उस सभी राजसी प्रकाश के साथ, उस राजसी दया के साथ, वह सब जो अल्लाह (अज़्ज़ व जल) सिफत अल फत्ताह, खोलनेवाला, से सुशोभित करना चाहता है। पैगंबर ﷺ के सिफत अर रहमा से, वह दया से, आत्मा को तैयार करने और आत्मा को आशीर्वाद देने लगती है, तो आप कल्पना कर सकते हैं कि यह सबसे धन्य गुफा है जिसमें सारी सृष्टि प्रवेश कर सकती है। तुलना में कुछ भी नहीं है, 2 नहीं है। इसका मतलब है कि आप पैगंबर ﷺ के दिल में प्रवेश कर रहे हैं। यह अब पैगंबर ﷺ के दिल में प्रवेश हैं। उस वास्तविकता में प्रवेश करना, ताज़ीम अन नबी ﷺ का जीवन जीना, सफ़र के पवित्र महीने की वास्तविकता है।
हम प्रार्थना करते हैं कि अल्लाह (अज़्ज़ व जल) हमें अधिक से अधिक समझ, और एक ऐसा जीवन दे जिसमें उस वास्तविकता को पूरा किया जा सके। यात्रा में उन लोगों के साथ जाने के लिए दें जो उस वास्तविकता से अवगत हैं कि वे सैय्यदीना मुहम्मद ﷺ के दिल की उपस्थिति में चले जाते हैं।
Subhana rabbika rabbal ‘izzati ‘amma yasifoon, wa salaamun ‘alal mursaleen, walhamdulillahi rabbil ‘aalameen. Bi hurmati Muhammad al-Mustafa wa bi siri Surat al-Fatiha.
इस सोहबाह का प्रतिलेखन करने में हमारे प्रतिलेखकों के लिए विशेष धन्यवाद।
सुहबा की मूल तारीख :अक्टूबर 19, 2018
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