
अराजकता की तैयारी – दानव के लिए द्वार खुल रहे हैं।
मौलाना (क़) के वास्तविकताओं से, जैसा कि शेख़ नूरजान मीरअहमदी ने सिखाया है।
A’uzu Billahi Minash Shaitanir Rajeem
Bismillahir Rahmanir Raheem
पनाह माँगता हूँ मैं अल्लाह की शैतान मर्दूद से,
शुरू अल्लाह का नाम लेकर, जो बड़ा मेहरबान, निहायत रहम वाला है।
अलहमदुलिल्लाहि रब्बिल आलमीन, वस सलातू वस सलामु अला अश्रफुल मुरसलीन, साय्यिदिना व मौलाना मुहम्मदुल मुस्तफ़ा ﷺ। मदद या साय्यिदि या रसूलुल करीम, या हबीबुल अज़ीम, उंज़ूर हालना व इशफा’लना, आबिदोना बी मददिकुम व नज़रेकुम।
चेतावनी! आ रही है विनाशकारी स्थिति।
इंशाल्लाह, मौलाना शेख़ (क़) की शिक्षाओं से हमेशा मेरे अपने लिए सांझा करना और जिस तरह हमारी परवरिश की गयी है और अपने लिए सांझा करें। यदि कोई इस तरह की वस्तविकताओं पर इस्लाम के रास्ते में कोई लाभ लेता है, तो ईमान (विश्वास) वल एहसान (नैतिक उत्कृष्टता)। अलहमदुलिल्लह, कि हमें लोगों से कई अलग-अलग सूचनाएँ मिलती हैं और उन्होंने ईमेल भेजे हैं और यह विश्वास के साथ होता है। उन्होंने ईमेल भेजे कि उच्च रैकिंग वाले फ़्रांसीसी सरकारी अधिकारी और अमेरिकी सरकार के अधिकारी, उन्होंने एक प्रेस कॉनफ़्रेंस की और उन्होंने चेतावनी दी कि विनाशकारी मौसम की स्थिति, मौसम की घटनाओं तक ५०० दिन। इसका मतलब है – उस समय से जब उन्होंने यह घोषणा की थी – जो हमें २३ सितंबर, २०१५ पर लाता है।वह हमारे रिश्तेदारों के लिए प्रायश्चित का दिन है; यह उनके लिए महत्वपूर्ण दिन है और मुस्लिम लीगों के लिए यौमुल अरफ़ाह (अरफ़ाह का दिन)।
अहलुल ईमान दिल की निश्चितता के माध्यम से संकेतों को देखते हैं।
अब वे उस तारीख़ के साथ क्यों आए, वे उन संक्या के साथ क्यों आए, यह हमारे लिए नहीं है। लेकिन जब आध्यात्मिक शेख़, आध्यात्मिक शिक्षक, वे लगातार चेतावनी देते हैं कि ईमान के महासागरों से; ईमान एक क्रिया है, क्रियाओं का परिणाम है। आप कुछ कार्य करते हैं, वे आपके ईमान को सत्यापित और मान्य करते हैं। तो लोग यूं ही नहीं कह सकते, ‘मेरे पास ईमान है,’ लेकिन क्रियाएं कहाँ थीं?
एक महत्वपूर्ण कार्य यह है कि हमेशा तत्परता का जीवन जीना है। कि, हम मानते हैं कि यह दुनिया (भौतिक जगत) समाप्त हो रही है। हर चीज़ की प्रकृति से एक शुरुआत होती है और उसका अंत होता है। और आप इस समझ के साथ जीवन जीते हैं कि यह दुनिया ख़त्म हो रही है। कि हर तरफ़ मुश्किलों के दिन हैं। और यह कहने की चिंता न करें, ‘यह ५०० साल दूर है,’ क्योंकि पैग़म्बर ﷺ साथियों को सिखा रहे थे, ‘यह कल है।’ फिर जो कुछ भी पैग़म्बर ﷺ ने पवित्र साथियों को बताया, उनके दिल में एक यक़ीन एक निश्चितता थी कि उन्होंने जैसे इसे देखा। जब पैग़म्बर ﷺ ने क़ियामाह (मृतोत्थान) और अंतिम दिनों के संकेतों का उल्लेख किया, तो उन्होंने देखा। वे अंध-ह्रदय नहीं थे, वे बंद ह्रदय वाले नहीं थे। उन्होंने इसे देखा, उन्होंने विश्वास किया। उनके लिए मानो कल कुछ होने वाला है।
सारा दिन काम करने के लिए संघर्ष करें और पूरी रात प्रार्थना करें।
और आप अपना जीवन जीते हैं, अहलुल ईमान (आस्था के लोग), उन्हें जीना चाहिय, हम अपना जीवन उस समझ के साथ जीते हैं। की आप पूरी रात प्रार्थना करते हैं जैसे कि कल ख़त्म होने वाला है और आप पूरे दिन कड़ी मेहनत करते हैं जैसे कि यह हमेशा के लिए रहने वाला है। तो आपको लगातार काम करना है; इसका मतलब है कि आप अपना दिन भरते हैं। आपको काम करना है, आपको संघर्ष करना है जैसे कि यह जीवन हमेशा के लिए चल रहा है। क्योंकि आपको आपका पेट भरना है, आपको आपके बिलों का भुगतान करना है।
लेकिन रात में, इमाम अली (अलैहिस सलाम) ने भी पुष्टि की, कि रात में आपके पास एक यक़ीन और एक निश्चितता होती है कि यह समाप्त होने वाला है; यह दुनिया ख़त्म होने वाली है। और किस को पता, ‘मेरी अपनी दुनिया ख़त्म हो सकती है, बस।’ हर किसी को जाना ज़रूरी नहीं है, बस इतना काफ़ी है कि मैं सुबह नहीं उठता, मेरी क़ियामाह आयी ,मैं चला गया। कोई नहीं जानता कि वे अपने बिस्तर में मरने वाले हैं या नहीं। हम नहीं जानते कि अल्लाह (अज़्ज़ व जल) ने किस परिस्थिति में हमारा जाना लिखा है। लेकिन जब दुनिया लगातार चिंता और चेतावनी दे रही है,तो लोग गूगल कर सकते हैं कि २३ सितंबर क्या है? २०१५ क्या है? ५०० दिन क्यों? उन्होंने ५०० दिन की चेतावनी क्यों दी? इससे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता, लेकिन आप इसे गूगल कर सकते हैं। मैं आपको गूगल की सलाह देता हूँ। क्या होता है?
अपने अज्ञान के कारण ईश्वर की दया से अंधे ना हो।
लेकिन अहलुल ईमान के लिए एक और पुष्टि कि आप नहीं कह सकते, ‘जब कठिनाई आई या रब्बी, आपने मेरी मदद क्यों नहीं की? आपने मेरी मदद कैसे नहीं की?’ और वे उदाहरण देते हैं कि जहाँ आदमी एक छत पर खड़ा है और बाढ़ आ रही है। और एक व्यक्ति छत पर उसकी मदद करने के लिए आता है कि, ‘पानी आधे से ऊँचा हो गया है। आओ, आओ, हमारी नाव में आओ। नाव में आओ मैं तुम्हें ले जाता हूँ।’कहा, ‘नहीं, नहीं, नहीं।’ मुझे भगवान पर भरोसा है।’ [उन्होंने कहा] ‘ठीक है।’ बारिश लगभग घर के ऊपर आती है, एक और नाव आती है, ‘हमारी नाव में चढ़ो चलो चलें।’ कहा, ‘नहीं, नहीं, नहीं, नहीं, मुझे भरोसा है भगवान पर।’ और फिर पानी पूरी तरह से आदमी को ले लिया और वह चला गया। और जब वह स्वर्ग में गया तो वह व्याकुल हो उठा, ‘हे मेरे प्रभु, मुझे तुम पर बहुत विश्वास था और तुमने मेरी सहायता क्यों नहीं की? ‘डिंग! आप V8 ‘डिश’ के लिए वाणिज्यिक जानते हैं [शेख हंसते हैं]। ‘मैंने तीन भेजे, मैंने आपकी मदद के लिए तीन भेजे।’ इसका मतलब है कि ये रहमा (दया) और नबी ﷺ की शिक्षा हैं – अलामात और संकेत, जब आप ‘अज़ाब‘ को हर जगह देखते हैं, आप जब अज़ाब देखते हैं और लोगों पर जब कोई मानवता नहीं रही।
सावधान! आप जो देखते हैं वह आध्यात्मिक रूप से आपको तैयार करता है।
लोग अन्य लोगों की भयानक यातनाओं के वीडियो चलाते हैं और वे इसे आपके साथ साझा करना चाहते हैं। अगर आप ‘अज़ाब’ देखते हैं, तो ‘अज़ाब‘ आपको पकड़ेगा क्योंकि यह एक अच्छी घटना नहीं है। यही कारण है कि जब साय्यिदिना लूत (अलैहिस सलाम) दौड़ रहे थे, तो उन्होंने उन्हें चेतावनी दी, ‘पीछे मत देखो! क्योंकि ‘अज़ाब अब उस शहर में आ रहा है। पीछे मुड़कर न देखें!’ लेकिन उनकी पत्नी के पास यक़ीन (निश्चितता) नहीं थी जो उनके पास थी। उसने तुरंत पीछे मुड़कर देखा, ‘अज़ाब ने उसे पकड़ लिया और उसे पत्थर का बना दिया। क्योंकि ये बहुत ही भयावह घटनाएँ हैं।
लोगों पर भारी कठिनाई आ रही है; उदासी, दुख और पीड़ा और आप इसे देख रहे हैं जैसे कि यह एक दर्शक खेल है और नीचे जाओ और एक सैंडविच खाओ जबकि कोई किसी को यातना दे रहा है? और वे पूरे फेसबुक पर, पूरे इंटरनेट पर चलाते हैं। इसका मतलब अब कोई मानवता नहीं है। पैगंबर ﷺ ने चेतावनी दी, ‘जब आप इसे देखें, तो डरें, तैयार रहें।’
प्र्थ्वी मानवता पर कठिनाई के निशानियाँ दिखाती है।
फिर अन्य संकेत, दुनिया की ओर देखो! जब दुनिया कहती है, ‘मुझे यह लोग नहीं चाहिए!’ क्योंकि दुनिया हमें दिखा रही है, ‘ओह, मैं उन्हें डुबो देना चाहती हूँ।’ तो आप हर जगह बाढ़ देखते हैं। क्या आपने हर जगह पानी और अचानक आने वाली बाढ़ को देखा है? फिर ज़लज़लाह और भूकंप। सभी शिकायत कर रहे हैं, ‘मैं उन्हें मुझ पर नहीं चाहता हूँ, या रब्बी। मैं उन्हें हिलाने और ज़मीन में गाड़ने जा रहा हूँ।’ और पृथ्वी उनपर बरसती है और महासागरों में बाढ़ आ जाती है। इसका मतलब हर जगह यह ‘अज़ाब’ की निशानी है। अब कोई मानवता नहीं रही और भारी कठनाई है। और यदि ये अज़ाब आ रहे हैं और ये लोग चेतावनी दे रहे हैं तो फिर अहलुल ईमान हमेशा एक तैयारी का जीवन जीना चाहिए।
तैयारी का जीवन जिएँ – आपात स्थिथियों के लिए तैयार रहें।
इसका मतलब है आपके घर में खाना है, आपके घर में तेल है, आपके घर में बैटरी है, आपके घर में कंबल है, दरवाज़े के पास जूते हैं। वे कहते हैं जब भूकंप आता है तो अधिकांश लोगों के पैर में भयानक चोट आती है क्योंकि वे टूटी हुई काँच पर भाग रहे होते हैं, उनके पैर क्षतिग्रस्त हो जाते है, क्योंकि उन्होंने तैयारी नहीं की थी।
फ़ायरमैन जैसा जीयो। अपने जूते दरवाज़े के पास रखो, एक बैग जिसके साथ आप भाग सकते हैं, एक तौलिया के साथ, कुछ अंडरवीयर के साथ, कुछ मूंगफ़ली का मक्खन, कुछ क्रेकर्स, कुछ बैटरीज़ के साथ। और सरकार के पास आपातकालीन वेबसाइटें हैं कि आपको किसी आपात स्थिति के लिए एक विशेष बैग में क्या रखना चाहिए। और वह है अहलुल ईमान क्योंकि आप विश्वास करते हैं कि कठिनाई आ रही है, कठिनाई हर जगह है। और फिर अल्लाह (अज़्ज़ व जल) परिमाणित करना शुरू करता है, ‘हाँ, आपको विश्वास है क्योंकि आप वास्तव में इन वस्तविकताओं में विश्वास करते हैं, आप उस पर विश्वास करते हैं जो नबी ﷺ ने सिखाया था।’
आपकी बरज़ख वास्तविकता धरती पर आपकी शारिरिकता को प्रभावित करती है ।
ये सभी चीज़ें हो रही हैं और ये सभी अलग और विचित्र चीज़ें हो रही हैं दुनिया में। और कुछ लोग कहते हैं कि स्विट्ज़रलैंड में कुछ खोल रहे हैं। यह एक ज़बरदस्त ऊर्जा क्षेत्र बनाने जा रहा है और उस ऊर्जा क्षेत्र के माध्यम से कई अलग अलग चीज़ें आ सकती हैं और बाहर जा सकती हैं। इसका मतलब है दुनिया में अकल्पनीय घटनाएँ हो सकती हैं। और हमारे लिए फिर से, एक गहरी वास्तविकता यह है कि हमने मौलाना शेख़ (क़) की शिक्षा से कई बार सिखाया है कि बरज़ख (पापशोधन स्थल) की एक वास्तविकता होती है। बरज़ख का मतलब है कि आपकी ख़ुद की एक वास्तविकता है जो एक अलग आयाम में मौजूद है, और इस धरती पर आपकी एक भौतिकता की वास्तविकता है। उस वास्तविकता के लिए अल्लाह (अज़्ज़ व जल) ने जो लिखा है, उसके आधार पर यह आपकी शारिरिकता को प्रभावित करती है।
जब बरज़ख का फ़ासला बहुत दूर था, बरज़ख में मौजूद वास्तविकता, यदि आप नूरानी (प्रकाशमान) थे या नारानी (अग्निमय), चाहे आपके लिए प्रबुद्ध और प्रकाश से भरे होने के लिए लिखा गया था या आग के गहराई से, वह वास्तविकता भौतिकता को तैयार करने की कोशिश कर रही है। यदि वास्तविकता ख़राब है, लगातार फुसफुसाते हुए, लगातार अपनी नज़र (निगाह) भेजते हुए, लगातार भौतिकता को प्रभावित करने की कोशिश कर रही है जैसे कि एक चुंबक इसे अपनी वास्तविकता और अंतिम लक्ष्य की ओर आकर्षित करने की कोशिश कर रहा है – नकारात्मकता। यदि वास्तविकता रुहानी (आध्यात्मिक) है तो आपकी बरज़ख वास्तविकता की निरंतर रुहानी पोशाक आपकी शारिरिकता को प्रभावित करने की कोशिश कर रही है। इसलिए, “थुम्मा आमनो थुम्मा कफ़रो।” एक दिन मैं विश्वास करता हूँ, एक दिन मैं विश्वास नहीं करता हूँ, एक दिन मुझे विश्वास होता है, एक दिन मुझे विश्वास नहीं होता है, क्योंकि वह बरज़ख का संकेत लेने की कोशिश कर रही है।
﴾إِنَّ الَّذِينَ آمَنُوا ثُمَّ كَفَرُوا ثُمَّ آمَنُوا ثُمَّ كَفَرُوا ﴿١٣٧
4:137 – “Innal ladheena amano thumma kafaro thumma amano thumma kafaroo…” (Surat An-Nisa)
“रहे वे लोग जो ईमान लाए, फ़ीर इनकार किया, फिर ईमान लाए, फिर इनकार किया…” (सूरत अन-निसा, ४:१३७)
आस्था के रास्ते पर चलें – आख़िराह की ओर क़दम बड़ाएं।
तो जब यह आयाम बहुत दूर था तो सिग्नल प्राप्त करना बहुत मुश्किल था। जैसे-जैसे आप नबी ﷺ के अंतिम दिनों की भविष्यवाणी के करीब आते हैं और यह विश्वास का तरीका है, कि आपको विश्वास करना होगा कि ये आखिरी दिन हैं ताकि आप मक़ामुल ईमान (विश्वास का स्थान) तक पहुंच सकें। क्योंकि यदि आप वास्तव में मानते हैं कि ये आखिरी दिन हैं तो आप आख़िरा (परलोक) की वास्तविकता में और अधिक कदम उठाएंगे। क्योंकि आपके पास हुब्ब ए दुनिया नहीं है, आपके पास भौतिक दुनिया का प्यार नहीं है। अगर वे आते हैं और वे आपको इस भौतिक दुनिया को खाने की थाली की तरह दिखाते हैं, ‘ओह, देखो, देखो! यह बहुत सड़ा हुआ है, यह सब सड़े चीज़ों से भरा हुआ है, यह सड़ा हुआ है, यह सड़ा हुआ है।’ आपकी इच्छा और इसके लिए आपका स्वाद हटने लगता है। यदि आपकी इच्छा दुनिया के प्रति समाप्त हो जाती है, तो आपका प्राकृतिक आकर्षण आख़िरा के लिए होगा। इसलिए ईमान के लोगों में आख़िरा के लिए एक जबरदस्त आकर्षण है, इसलिए इसे नूरल ईमान (विश्वास की रोशनी) कहा जाता है। उन्होंने अपनी आत्मा के भीतर एक नूर (प्रकाश) प्राप्त किया कि उन्हें दिव्य उपस्थिति के लिए एक जबरदस्त प्यार है और वे अपनी दिव्य वास्तविकता, उनके स्वर्गीय स्थान से अधिक जुड़े हुए हैं। और जैसे-जैसे वे निर्माण और निर्माण और निर्माण करते हैं, वे पूर्णता के मक़ाम (दरजात) तक पहुँचते हैं क्योंकि वे इस तरफ की तुलना में उस तरफ अधिक होते हैं।
दज्जाल ‘एंटी-रियल’ का प्रतिनिधित्व करता है और उसका आयाम निकट आ रहा है।
तो हमारे विश्वास को मानना हमारे लिए फ़ाएदेमंद है। इस पर सवाल नहीं करना है और ना ही कहना है, ‘नहीं, नहीं! वह ५०० साल दूर है।’ एक विद्वान के उद्देश्य का क्या मतलब होगा जब वह लोगों को आ कर बताता है, ‘यह ५०० साल दूर है, मॉल जाओ।’ आप लोगों के ईमान (विश्वास) को बढ़ाते है? वह किस प्रकार की विचारधारा है? पैग़म्बर ﷺ साथियों से क्यों कह रहे थे ‘दज्जाल (पुरुष/धोके की प्रणाली) बहुत ख़रीब है।’ वे डर गए। उन्होंने सोंचा कि किसी भी समय एंटिक्राईस्ट – दज्जाल, एंटिक्राईस्ट नहीं क्योंकि इसका क्राईस्ट से कोई लेना-देना नहीं है – पूरी दुनिया में इस्लामिक प्रणाली के भीतर दज्जाल । यही है ‘एंटी-रियल’ और सब कुछ एक भ्रम है जिसमें वे विश्वास करते हैं और अपना जीवन उसिके अनुसार जीते हैं। लेकिन अब जब हम मानते हैं और हमारी शिक्षाएँ आ रही हैं कि ये आयाम बहुत क़रीब है।
दज्जाल आयाम लोगों पर नकारात्मक शारीरिक अभिव्यक्तीयों को प्रेरित करता है।
संकेतों को देखो! सब कुछ जो पैग़म्बर ﷺ ने कठिनाइयों और अज़ाब के बारे में वर्णन किया है। उन्होंने दोज़ख़ की सज़ा बिच्छुओं के साथ, साँपों के साथ और मकड़ियों के साथ वर्णित की थी। और हमने पहले भी कहा कि फिर दुनिया की ओर देखो और आप देखेंगे लोग बिच्छुओं, साँपों और मकड़ियों का रेखांकन कर रहे हैं। क्यों? क्या ऐसा इसलिए है क्योंकि वह आयाम पहले से ही उन पर हावी है? वे प्रेरित महसूस करते हैं? कौन अपने सही दिमाग़ से बैठने और कहने के लिए प्रेरित होता है, मेरी यह त्वचा है, कुछ स्थायी रूप से भयानक बनाओ।’ क्या? ‘मैं चाहता हूँ कि एक बड़ा सांप मेरी बाहं की चारों ओर लिपटा हो, मुझे अपने चेहरे पर एक मकड़ी चाहिए, मुझे मेरी गर्दन पर एक बिच्छू चाहिए।’
यह, आपको लगता है कि यह आपकी आत्मा की प्रेरणा से है? नहीं! इसका मतलब है कि यह अब एक बड़ा संकेत है कि वह आयाम ने उन्हें इतना प्रभावित किया है कि वह उन पर हावी हो जाता है, और वे अपनी वास्तविकता से मिलते जुलते लगते हैं। और इसीलिए आप पवित्र लोगों को भी देखते हैं। कि उस वास्तविकता का प्रकाश उन्हें इतना अधिक सुशोभित कर रहा है क्योंकि उनकी आत्मा की वास्तविकता उनकी शारीरिकता को सुशोभित कर रही है और वे ज़िक्र (दिव्य स्मरण) की मजलिस (सम्मेलन) में बैठते हैं और वे इसकी ऊर्जा महसूस करते हैं। क्योंकि अब बरज़ख (पापमोचन-स्थान) हावी हो रहा है और ये परदे खुल रहे हैं। तो फिर कल्पना कीजिए कि जब वे वर्णन करते हैं कि वे एक दरवाज़ा खोलने के लिए कुछ करने जा रहे हैं।
९९% लोगों के पास पैशाचिक बरज़ख वास्तविकता है।
जब वे इन वास्तविकताओं के लिए एक द्वार खोलते हैं, तो कल्पना करें कि १००% लोगों में से ९९% लोगों की बरज़ख वास्तविकता पैशाचिक है। इन लोगों के साथ क्या होता है जब शैतान (शैतान) उन पर पूरी तरह से हावी हो जाते हैं, उन्हें पूरी तरह से पछाड़ देते हैं, पूरी तरह से उन्हें वह करने के लिए मजबूर कर देते हैं जो वे करना चाहते हैं? और यह एक बार सैय्यदीना सुलेमान (अलैहिस सलाम) के समय में हुआ था और अल्लाह (अज़्ज़ व जल) ने परदे उठा दिए थे और शयातींन (शैतान) ने प्रवेश किया, सभी घातक, सभी शरारती प्राणी आए और लोगों पर हावी हो गए। उन्होंने उन्हें ऐसे लिया जैसे यह एक गाड़ी थी और उन्होंने वही किया जो वे करवाना चाहते थे। हमारे लिए इसका मतलब है कि जब हम इन सभी अलामातों और इन सभी संकेतों को देख रहे हैं, तो ये अत्यधिक कठिनाई के संकेत हैं।
ईश्वर की रहमाह आपको औलिया के साथ बैठने के लिए प्रेरित करती है।
ज़िक्र की मजलिस का महत्व, सैय्यदीना मुहम्मद ﷺ के प्यार की मजलिस, ईमान का निर्माण, प्रकाश का निर्माण, सुरक्षा का निर्माण करना है। कि या रब्बी, इन ज़िक्रों द्वारा और इन संघों द्वारा और प्रकाश के लोगों की संगत को बनाए रखते हुए क्योंकि हम नहीं जानते कि क्या आ रहा है, इसलिए आप नहीं जानते कि अल्लाह (अज़्ज़ व जल) ने आपको यहां बैठने के लिए क्यों प्रेरित किया। क्यों अल्लाह (अज़्ज़ व जल) ने मुझे यहाँ रहने के लिए प्रेरित किया है? क्यों मैं सिर्फ एक सिनेमा थियेटर नहीं जा सकता था? क्योंकि यह ईश्वर की रहमा है!
कि आपको वह आग दिखाई नहीं दे रही है जो आ रही है लेकिन जब वह आपसे प्यार करता है, ‘जाओ बैठो और उस रोशनी से तैयार हो जाओ, उस रोशनी से धन्य हो जाओ!’ तो जब आग खुलती है तो आप खुद को कम से कम तैयार पाते हैं। रहमा क्या होती अगर अचानक आग लग जाती और आप मुश्किलों में मिट जाते? इसका मतलब है कि ईश्वर की रहमा है कि आप बस प्रेरित हों, ‘जाओ उनके साथ बैठो, अपनी रोशनी का निर्माण करो, अपने विश्वास का निर्माण करो, विश्वास के संकायों का निर्माण करो।’ जितना अधिक आप विश्वास करते हैं, उतना ही अधिक आप विश्वास करते हैं, आज रात इस सलाह से सबसे बुरा और क्या हो सकता है? आपको अधिक विश्वास होगा!
भौतिक इच्छाएँ एक लोहे की दीवार की तरह हैं जो आस्तिक को अवरुद्ध कर रही हैं।
अगर यह सब नहीं हुआ, तो कोई बात नहीं। यदि आप मानते हैं कि यह होने वाला है, तो आपकी भौतिक इच्छा कम हो जाती है और आपका ईमान बढ़ता है और आपको अल्लाह (अज़्ज़ व जल) के करीब होने के लिए पूरी दुनिया के अंत होने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन आपको अपनी इच्छाओं को समाप्त करने की आवश्यकता है। क्योंकि इच्छा एक लोहे की चादर की तरह है जो हमें अल्लाह (अज़्ज़ व जल) के प्यार से रोकती है, हमें सैय्यदीना मुहम्मद ﷺ के प्यार से रोकती है। और इच्छा बहुत प्रबल हो जाती है, इंतिखाब गलत हो जाते हैं। जब इच्छा समाप्त हो जाती है, तो इंतिखाब हमेशा सही हो जाते हैं। ये पैर, अगर लोहे की दीवार बहुत मोटी है, तो आपको नाचने ले जाते हैं। जब दीवार बहुत पतली है और अल्लाह (अज़्ज़ व जल) के लिए आपका प्यार अपार है, सैय्यदीना मुहम्मद ﷺ के लिए प्यार अपार है, आप अल्लाह (अज़्ज़ व जल) की स्तुति किए बिना नहीं रह सकते। क्योंकि आप उस ऊर्जा और उस भावना को ले रहे हैं। फिर ये पैर, वे आपको ज़िक्रों की मजलिस तक ले जाते हैं।
आध्यात्मिक प्रथाएं विश्वास के प्रकाश से आपकी रक्षा करते हैं।
तो इसका एक लाभ है और एक जबरदस्त वास्तविकता है। और अगर वे कहते हैं कि वे जो कहते हैं वह सही है तो आप विश्वास की रोशनी, ईमान की रोशनी से और भी अधिक सुरक्षित रहेंगे। क्योंकि यदि ये आयाम खुलते हैं और आपकी वास्तविकता एक पवित्र वास्तविकता है, तो आपकी वास्तविकता उन आत्माओं से है जो अल्लाह (अज़्ज़ व जल) का ज़िक्र करती हैं। कल्पना कीजिए जब हम कहते हैं, ‘या रिजालुल्लाह (भगवान के पुरुष)’ – जब हम रिजालुल्लाह को बुला रहे हैं, तो कल्पना करें कि विश्वास करने वालों के लिए किस प्रकार की रोशनी आ रही होगी? विश्वास करने वालों के लिए कैसी आत्माएँ और अरवाह आ रही होंगी ! ये प्रथाएं इस भौतिक दुनिया के लिए नहीं हैं, यह सस्वर पाठ अवलिया (संतों) का आह्वान , सैय्यदीना मुहम्मद ﷺ का आह्वन और उनकी प्रशंसा करने के बारे में हैं, जब आपके पास नीला आसमान और मैकडॉनल्ड होता है आप इसकी क़दर नहीं करते हैं। लेकिन जब एक ‘अज़ाब, एक कठिनाई आती है या भयानक घटनाएँ आने लगती हैं, हम इन स्तुतियों और इन स्तुतियों की शक्ति को समझने लगते हैं।
साय्यिदिना मुहम्मद ﷺ के प्रेमी चमत्कारी जीवन जीते हैं।
पूरी दुनिया में लोग मुश्किल में हैं – अहले ज़िक्र (दिव्य स्मरण के लोग) – यदि आप उनसे उनके जीवन के बारे में पूछते हैं और उन्होंने क्या चमत्कार देखे हैं, उन्हें इन कठिनाइयों से कैसे बचाया गया है, कैसे उन्हें हर दिशा से आने वाली अकल्पनीय कठिनाइयों से बचाया गया है? लेकिन अहले ज़िक्र के लोग और साय्यिदिना मुहम्मद ﷺ से प्यार करने वाले लोग, उनका जीवन चमत्कारी है। इसलिए हम अल्लाह (अज़्ज़ व जल)) से हमें ख़ुद को जगाने के लिए और इन आशीषों से और इन रोशनी से सुशोभित करने के लिए प्रार्थना करते हैं।
पूरी दुनिया में लोग मुश्किल में हैं – अहले ज़िक्र (दिव्य स्मरण के लोग) – यदि आप उनसे उनके जीवन के बारे में पूछते हैं और उन्होंने क्या चमत्कार देखे हैं, उन्हें इन कठिनाइयों से कैसे बचाया गया है, कैसे उन्हें हर दिशा से आने वाली अकल्पनीय कठिनाइयों से बचाया गया है? लेकिन अहले ज़िक्र के लोग और साय्यिदिना मुहम्मद ﷺ से प्यार करने वाले लोग, उनका जीवन चमत्कारी है। इसलिए हम अल्लाह (अज़्ज़ व जल)) से हमें ख़ुद को जगाने के लिए और इन आशीषों से और इन रोशनी से सुशोभित करने के लिए प्रार्थना करते हैं।
Subhana rabbika rabbal ‘izzati ‘amma yasifoon, wa salaamun ‘alal mursaleen, walhamdulillahi rabbil ‘aalameen. Bi hurmati Muhammad al-Mustafa wa bi siri Surat al-Fatiha.
इस सोहबाह का प्रतिलेखन करने में हमारे प्रतिलेखकों के लिए विशेष धन्यवाद।
सुहबा की मूल तारीख: मई २६, २०१५
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