कोविड -१९ बड़ा वैश्विक रीसेट – इमाम महदी (अलैहिस सलाम) बनाम दज्जाल।
मौलाना (क़) के वास्तविकताओं से, जैसा कि शेख़ नूरजान मीरअहमदी ने सिखाया है।
A’udhu Billahi Minash Shaitanir Rajeem
Bismillahir Rahmanir Raheem
पनाह माँगता हूँ मैं अल्लाह की शैतान मर्दूद से,
शुरू अल्लाह का नाम लेकर, जो बड़ा मेहरबान, निहायत रहम वाला है।
अहलुल बैत (अलैहिस सलाम) का प्यार और अच्छा चरित्र मुश्किल समय में हमारा मोक्ष होगा।
इंशाल्लाह, हमारे पास संकट के समय और आपदाओं से राहत और मानवता की ओर बड़ रही कठिनाई की लहर के लिए ऐप में सलवात अल-नारीया है। कि अच्छा चरित्र उसका मोक्ष है। अहलुल बैत (अलैहिस सलाम) (नबी ﷺका पवित्र परिवार) का प्रेम ही उसकी मुक्ति है और यह कि यज़ीद हर किसी में है और उन्हें साय्यिदिना मुहम्मद ﷺ की पवित्र रोशनी के ख़िलाफ़ बनाता है। हर किसी में यज़ीद होने के कारण अहलुल बैत (अलैहिस सलाम) की पवित्र रोशनी के ख़िलाफ़ आने के लिए बनाता है और वह शैतानी चरित्र का प्रतिनिधित्व बन जाता है और उसे शरीर से निकालना और शुद्ध करना होता है। ताकि साय्यिदिना मुहम्मद ﷺ का प्रेम और वास्तविकता दिल के भीतर खिलने लगे, और अल्लाह (अज़्ज़ व जल) हमें असहाब अन-नबी ﷺ, अहलुल बैत ﷺ के प्रेमियों के पाठशाला में भेजता है और इस समय में सबसे कठिन और सबसे तनावपूर्ण और अपनी अपार शक्ति के कारण दज्जाल (छल का आदमी) द्वारा बनाया गया सबसे अधिक तनाव।
दज्जाल अहलुल बैत (अलैहिस सलाम) को नष्ट करना चाहता है।
दज्जाल के बारे में हदीस में उसका प्रवेश करना और दज्जाल क्या कर रहा होगा कि वह हर अली (अलैहिस सलाम), हसन (अलैहिस सलाम), हुसैन (अलैहिस सलाम) और सितना फ़ातिमा अज़-ज़हरा (अलैहिस सलाम) के नाम के सभी लोगों के पीछे जाएगा; वह अहलुल बैत (अलैहिस सलाम) को निशाना बनाएगा। यह नहीं कहा कि वह सहाबियों (साथियों) के नमों के ख़िलाफ़ जाएगा। वह जानता है कि साय्यिदिना मुहम्मद ﷺ का एक रहस्य उनके दिलों के भीतर है, वे मानवता के लिए क्या प्रतिनिधित्व करते हैं और वे साय्यिदिना मुहम्मद ﷺ के लिए क्या प्रतिनिधित्व करते हैं। यदि आप को किसी का वंशज मिलता है, तो आप उन्हें मारते हैं, मौखिक रूप से उन पर हमला करते हैं, उनका पीछा करते रहते हैं, निस्संदेह आप साय्यिदिना मुहम्मद ﷺ को चोट पहुचाने की कोशिश कर रहे हैं। तो इसका मतलब है कि दज्जाल का ज़ोर अहलुल बैत (अलैहिस सलाम) (नबी ﷺ का पवित्र परिवार) पर है, उन्हें तलाशना, उन्हें निशाना बनाना, और उनके लिए कठिनाई पैदा करना और अंततः उन्हें नष्ट करने का प्रयास करना। और जो अल्लाह (अज़्ज़ व जल) ने कहा है, यद्यपि वे प्रकाश को बुझाने की कोशिश करते हैं, वे इसे कभी नहीं बुझा सकते हैं। अल्लाह (अज़्ज़ व जल) रखेगा जिसे अल्लाह (अज़्ज़ व जल) संरक्षित रखना चाहता है।
इमाम महदी (अलैहिस सलाम) की रोशनी आ रही है जैसे जैसे दज्जाल धरती पर प्रवेश कर रहा है।
तो, इसका मतलब है कि यह एक विशेष प्रेम है, एक विशेष वास्तविकता है, साय्यिदिना मुहम्मद ﷺ के दिल की एक विशेष निकटता है। अगर लोगों को केवल पता होता तो वे चकित हो जाते। लेकिन उनके बुरे चरित्र के कारण, वे शैतान की बुरी इच्छाओं का पालन करते हैं, और वे उनके ख़िलाफ़ वसवस (फुसफुसाना) शुरू करते हैं। वे उन पर हमला करना शुरू करने लगते हैं। वे उनके लिए अपना समर्थन छोड़ना शुरू कर देते हैं। और यह सब शैतानी प्रकाश की प्रेरणा से है कि दज्जाल प्र्थ्वी पर प्रवेश करना शुरू कर रहा है।
जैसे साय्यिदिना महदी (अलैहिस सलाम) की रोशनी आ रही है -वैसे दज्जाल की शुरुआत भी। और वह उसके मुरीद को इखट्टा करेगा और उसके मुरीद, उनके गुण इस शिक्षा से विपरीत हैं। उसके मुरीद वे हैं जो साय्यिदिना मुहम्मद ﷺ के अहलुल बैत (अलैहिस सलाम) के ख़िलाफ़ हैं, लेकिन वे भगवान से प्यार करते हैं। उन्हें कोई समस्या नहीं है। वे अल्लाह (अज़्ज़ व जल) के प्रेमी होने का दावा करने जा रहे हैं और वे दावा करने जा रहे हैं कि उनके पास सर्वशक्तिमान अल्लाह (अज़्ज़ व जल) का मार्ग और रास्ता है। हम उस मज़हब को जानते हैं। और वे यह सिखाते हुए सारे संसार में गए। तो, इसका अर्थ है कि उसके मुरीद – उनकी एक विशेषता है और वे जो साय्यिदिना मुहम्मद ﷺ के मुरीद हैं, जो अनुसरण कर रहे हैं साय्यिदिना महदी (अलैहिस सलाम) के हाथ के नीचे होने के लिए; वे अहबाब और प्रेमी हैं और उनका प्रेम उनके ईमान की निशानी है।
असली प्यार की परीक्षा होती है, तक़ाज़ा नहीं।
और अल्लाह (अज़्ज़ व जल) उस प्यार की परीक्षा लेता है। कि यदि आप प्यार करते हैं और प्यार करते हैं और प्यार करते हैं, लेकिन एक पल में आप क्रोधित और लड़ाकू हो जाते हैं और कोसना और चिल्लाना और उस प्यार के बारे में हर चीज़ पर हमला करने लगते हैं, यह एक मुनाफ़िक़ (पाखंडी) है। मुनाफ़िक़ वह है जो एक बात का दावा करता है लेकिन तुरंत कुछ और हो जाता है। इसका मतलब है कि उनका प्यार चट्टान पर एक फूल की तरह था जो आया था, एक ही धोने से धुल गया। सच्चा प्यार – कितना भी धोका दिया जाए, वो धोका नहीं देते। कितना भी उन पर हमला किया जाए उन्होंने कभी भी उस पर हमला नहीं किया जिससे वे प्यार करते हैं। उन्होंने अपना दिल और प्यार दिया। उन्हें प्यार से परखा गया है। २५ साल उन्होंने प्यार से सेवा की, ३० साल उन्होंने प्यार से सेवा की। चाहे उनके साथ कितना भी विश्वासघात किया गया हो, उन्होंने कभी विश्वासघात नहीं किया। उन पर कितने हमले हुए, उन्होंने कभी हमला नहीं किया। उनका कितना मज़ाक़ उड़ाया गया उन्होंने किसी का मज़ाक़ नहीं उड़ाया।
यह सिर्फ़ दर्शन नहीं है। अल्लाह (अज़्ज़ व जल) उनकी परीक्षा लेता है कि उनका प्यार सच्चा है। आप उनको पलटते हैं, निचोड़ते हैं, मारते हैं, गाली देते हैं – वे अपने प्यार में बने रहते हैं क्योंकि उनके प्यार का स्तर खरा होता है। प्यार का दावा करना और तुरंत मुड़ कर नफ़रत में बदलना पागल कुत्ते की तरह था। आपने सोचा था कि इसे पालतू बनाया गया है और आपने सोचा था यह कुछ अच्छा और सुखद होगा, लेकिन जैसे ही आप इसे नहीं खिलाएंगे, यह आपका चेहरा खा जाएगा। यह पूरी दुनिया में है। हमने तब भी कहा था, हमने कई बार कहा है, मेरे लिए अनुस्मारक कि ये युद्ध शेत्र हैं, उन्होंने कहा कि युद्ध से भीषण वह था जो जीव इंसान (मनुष्य) को कर रहे थे। लोग सोचते थे कि वे जीव उनके पालतू जानवर हैं, वे उन्हें खा रहे थे।
धरती पर आ रही है मुश्किलों की ज़बरदस्त लहर।
और यही कारण है कि तरीक़ा (आध्यात्मिक मार्ग) यह सिखाने के लिए आता है कि यह वह नहीं है जो आप सोचते हैं कि आप अच्छे हैं, आप विनम्र हैं, आप दयालु हैं और आप प्यार करते हैं, लेकिन जब अल्लाह (अज़्ज़ व जल) इसे कठिन और कड़ा बनाता है, आपका प्यार कभी नहीं बदला। आपके शब्द कभी भी आपके विश्वास के परिवर्तन के प्रतीक नहीं बने। और यही आज का हमारा संघर्ष है। यही अल्लाह (अज़्ज़ व जल) इस धरती पर ला रहा है, अति दारुण मुश्किलें, और अतिविशाल विपदा। अगर आप को लगता है कि आप इससे गुज़र चुके हैं, तो लहर अभी शुरू हुई है। यह अब लगभग सौ फ़ीट ऊँची है।
आप जो कठिनाई देख रहे हैं वह तब है जब समुद्र पीछे हट जाता है। क्योंकि आप कहते हैं, ‘ओह, सागर यहाँ था। मेरा माल यहाँ था, संपत्ति यहाँ थी, पैसा यहाँ था, नौकरियाँ यहाँ थी।’ लेकिन ज्वार की लहर से पहले सागर पीछे हटने लगता है। और आप कहते हैं, ‘अब मेरा सागर कहाँ है?’ और यही लोग अभी पूछ रहे हैं। दुनिया (भौतिक जगत) कहाँ है? दुकान कहाँ हैं? मेरी नौकरी कहाँ है? मेरा काम कहाँ है? और उन्हें लगता है कि यह ख़त्म हो गया है। नहीं, यह बस पीछे खिंच रहा है और अब सुनामी आ रही है।
पथ के साधक पर्यवेक्षण करते हैं कि अल्लाह (अज़्ज़ व जल) हर स्थिति का कारण बनता है।
और फ़िर आप शुरू करते हैं, आप पर्यवेक्षण करते हैं। पथ के साधक के रूप में, हम पर्यवेक्षक हैं। लोग जानना चाहते हैं कि आपके पास किस प्रकार की अलौकिक शक्ति है या किस प्रकार की अलौकिक क्षमताएँ हैं। वह, वह एक पक्ष वास्तविकता है, लेकिन वे पर्यवेक्षक हैं। अल्लाह (अज़्ज़ व जल) उन्हें पर्यवेक्षण करने के लिए एक दिल दिया है। कि वे देखते हैं और वे मानवता और या मुसब्बीबल असबाब के संकेतों को देखते हैं। अल्लाह (अज़्ज़ व जल) वह है जो हर स्थिति का कारण है और मुफ़त्ततिहुल अबवाब, कि हर स्थिति का एक द्वार होता है।
يَا وَهَّابُ يَا وَهَّابُ يَا وَهَّابُ، يَا مُسَبِّبَ الأَسْبَابِ، يَا مُفَتِّحُ الأَبْوَابِ، يَا مُقَلِّبُ الْقُلُوْبِ وَالأَبْصَارِ. يَا دَلِيْلَ الْمُتَحَيِّرِيْنَ يَا غِيَاثَ الْمُسْتَغِيْثِيْنَ، يَا حَيُّ يَا قَيُّوْمُ، يَا ذَا الْجَلاَلِ وَالإِكْرَامِ. وَاُفَوِّضُ أَمْرِيْ اِلَى اللهِ. اِنَّ اللهَ بَصِيْرٌ بِالْعِبَادِ.
“Ya Wahhab. Ya Wahhab. Ya Wahhab. Ya musabbibal asbab, ya mufattihul abwab, ya muqallibul qulubi wal absar. Ya Dalilal mutahayyirin, ya Ghiyathal mustaghithin, ya Hayyu ya Qayyum, ya dhalJalali wal Ikram. Wa ufawwidu amri illAllah, innAllaha basirun bil ‘ibad.
“हे दाता! हे दाता! हे दाता! हे कारणों के जनक! हे द्वार खोलने वाले! हे दिलों और आखों के ट्यूनर (परिवर्तक) ! हे भ्रमित के मर्गदर्शक! हे उनकी सहायता करने वाले जो आपकी सहायता चाहते हैं! हे जीवित! हे स्वावलंबि! (आप जो हैं) महिमा और उदारता के अधिकारी हैं! मैं अपना मामला अल्लाह (अज़्ज़ व जल) को सोंपता हूं। वास्तव में, अल्लाह (अज़्ज़ व जल) अपने बंदों के बारे में जानता है।”
साय्यिदिना मुहम्मद ﷺ के माध्यम से ईश्वरीय राज्य का द्वार खुल रहा है।
आप न केवल सृष्टि का परीक्षण करते हैं, बल्कि आप उन्हें हिलाते हैं और सेंकते हैं और फिर दरवाज़े पेश करते हैं। इस कठिनाई से आपको कौन सा द्वार चाहिए? तो, जो हम पर्यवेक्षण कर रहे हैं और लोग पर्यवेक्षण कर सकते हैं कि वे इस कठिनाई को प्र्थ्वी पर प्रवेश करते हुए देख रहे हैं और हर कोई सुमक के लिए दौड़ रहा है। वे समाधान चाहते हैं। वे एक उपाय चाहते हैं। वे हर प्रकार के चीज़ें चाहते हैं, मैं यह पीऊंगा, मैं इसे धूम्रपान कर्रूँगा, मैं इसे अपने चेहरे पर फूकूँगा, मैं यह पहनूँगा। मैं हर प्रकार की कठिनाई या हर प्रकार के उपाय आज़माऊँगा और वास्तव में उन्हें यह समझ नहीं आया।
अब क्या होता है अल्लाह (अज़्ज़ व जल) अपने ईश्वरीय राज्य का द्वार खोल रहा है। उसने उन्हें एक रेहमाह (दया) के रूप में भेजा है क्योंकि मैने (अल्लाह अज़्ज़ व जल) साय्यिदिना मुहम्मद ﷺ को रेहमाह के रूप में भेजा है और आप इस दुनिया में अंतिम पैग़म्बर के झंडे के नीचे हैं।
﴾وَمَا أَرْسَلْنَاكَ إِلَّا رَحْمَةً لِّلْعَالَمِينَ ﴿١٠٧
21:107 – “Wa maa arsalnaka illa Rahmatal lil’alameen.” (Surat Al-Anbiya)
“(ओ मुहम्मद ﷺ) हमने तो आपको सारे दुनिया जहाँन /सृष्टि के लोगों के हक़ में अज़सरतापा रहमत बनाकर भेजा।” (सूरत अल-अंबिया, २१:१०७)
एक छोटा सा अदृष्ट वायरस झूट को हिला रहा है।
नहीं तो मैं एक ही चिल्लाहट से इस सृष्टि को नष्ट कर देता। पोम्पेई और अन्य राष्ट्रों के लोगों को देखो। एक ही आवाज़ में अल्लाह (अज़्ज़ व जल) ने उन्हें नष्ट कर दिया कि वे उनकी राख से जम गए।
﴾إِن كَانَتْ إِلَّا صَيْحَةً وَاحِدَةً فَإِذَا هُمْ خَامِدُونَ ﴿٢٩
36:29 – “In kanat illa sayhatan wahidatan fa idha hum khamidoon.” (Surat YaSeen)
“वह तो केवल एक प्रचंड चीत्कार थी, तो सहसा क्या देखते हैं कि वे बुझकर/नष्ट हो कर रह गए।” (यासीन, ३६:२९)
और अल्लाह (अज़्ज़ व जल) रेहमाह और रेहमत के रूप में दें रहा है, ‘मैं एक भेज रहा हूँ। वे क्षुदग्रहों के दुनिया में आने से चिंतित हैं। मैं एक छोटा, नन्हा सा वायरस भेजता हूँ जो इस वातावरण में प्रवेश कर गया है।’ बस, ‘फ़ीव, बैंम।’ जैसे ही वह इस वातावरण मैं प्रवेश किया, इसने पूरी दुनिया (भौतिक संसार) को हिलाकर रख दिया – न सेनाएँ, न विमान, न युद्ध में खरबों डॉलर।
इस धरती में एक अदृष्ट वायरस प्रवेश कर गया है और अल्लाह (अज़्ज़ व जल) का वर्णन है कि, जब मेरे स्वामी का राज्य आ रहा है, जब सत्य प्रथवि पर स्थापित होना चाहता है, तो हर झूठ हिलना शुरू हो जाएगा और मिटा दिया जाएगा। और सब कुछ ढह रहा है, ढह रहा है, ढह रहा है। अब क्या अल्लाह (अज़्ज़ व जल) इसे अंतिम पतन बना देता है या यह सिर्फ़ एक चेतावनी पतन है।
﴾وَ قُلْ جَآءَالْحَقُّ وَزَهَقَ الْبَطِلُ، إِنَّ الْبَطِلَ كَانَ زَهُوقًا ﴿٨١
17:81 – “Wa qul jaa alhaqqu wa zahaqal baatil, innal batila kana zahoqa.” (Surat Al-Isra)
“और कह दो, सत्य आ गया और असत्य मिट गया। और असत्य (अपने स्वभाव से) मिट जानेवाला/नाश होने वाला ही होता है।” (सूरत अल-इसरा, १७:८१)
क्या आप अपने प्रभु से मिलने के लिए तैयार हैं?
हमारे लिए, यह वह है जो खोज रहा है और लगातार देख रहा है कि आप परिस्थिति पैदा कर रहे हैं। अल्लाह (अज़्ज़ व जल), या रब्बी, आप मुझसे क्या चाहते हो? और वह चाहता है कि मेरा राज्य तुम्हारे सामने हो। क्या तुम मुझसे मिलने के लिए तैयार हो? क्या तुम साय्यिदिना मुहम्मद ﷺ के साथ रहना के लिए तैयार हो और क्या तुम्हें विश्वास है कि यही तुम्हारी मंज़िल होगी? बोलना आसान है। जिन लोगों ने कहा और लोगों को नुक़सान पहुँचाया और लोगों को जला दिया और लोगों के हाथ काट दिए, आपको अभी अल्लाह (अज़्ज़ व जल) से मिलने से बहुत डरना चाहिए। जिन्होंने झूट बोला और पिया और उन सभी चीज़ों को अपने पूरे शरीर पर लगाया और कहा, ‘हाँ, मैं भगवान का प्रतिनिधित्व करता हूँ।’ आपको अभी बहुत डरना चाहिए।
अब समय है कि पहले से अधिक मुहम्मदन प्रेम का प्रचार करें।
जिनका चरित्र अच्छा था और जिनका चरित्र प्रेमपूर्ण था और वे जो अल्लाह (अज़्ज़ व जल) चाहता था, उसके माध्यम से प्रेम के मार्ग का प्रचार किया, हम मुहम्मदन द्वार का प्रतिनिधित्व करते हैं। साय्यिदिना मुहम्मद ﷺ के हक़ाएक़ (वास्तविकता) का रास्ता। हमने साय्यिदिना मुहम्मद ﷺ के साथ रहने के लिए जीवन जिया।
तो, यह दौड़ने और इसे आज़माने के बारे में नहीं था, इसे पियें, एक विडीओ लें , इसे भेजें, इसे करें, इसे खाएँ, इसे सप्रे करें। यह इस बारे में था – क्या आप दहलीज़ पर और साय्यिदिना मुहम्मद ﷺ के पवित्र चरणों में हैं? क्या आप पैग़म्बर ﷺ के साथ अच्छे हैं? क्या आप पैग़म्बर ﷺ से ख़ुश हैं? क्या आप साय्यिदिना मुहम्मद ﷺ से प्यार कर रहे हैं? और क्या आप मानते हैं कि पैग़म्बर ﷺ आपसे प्यार कर रहे हैं, कि आपने अपना सर्वश्रेष्ठ किया? कि पैसा उसके खातों में रखने से आपको नहीं बचाएगा। क्या आपने वह सब कुछ किया जो आप उस प्रेम का प्रचार करने के लिए कर सकते थे? क्या आपने अपना समय, अपना धन, अपनी क्षमता, सब कुछ अपने बारे में ख़र्च किया? क्या आपने वास्तव में इसे दिया और किया और उस वास्तविकता की सेवा की? यदि नहीं, तो अल्लाह (अज़्ज़ व जल) यह समय दे रहा है।
अच्छे चरित्र के साथ अपने भाग्य की ओर दौड़ें।
तो, सुमक के बारे में चिंता न करें। इन सब बातों की चिंता मत करें। ‘मेरी दैवीय उपस्थिति से मिलने, मेरे दैवीय राज्य में प्रवेश करने के बारे में चिंता करें।’ कि मैं चाहता हूँ कि केवल मेरा सिर दहलीज़ पर हो और वे मुझ से ख़ुश और रिदा रहें और मुझे उनके राज्य में रहना प्रदान करें और मुझे प्यार और कृपा का पद प्रदान करें और यह कि अल्लाह (अज़्ज़ व जल) मुझ से प्रसन्न रहें।
हम प्रार्थना करते हैं कि अल्लाह (अज़्ज़ व जल) हमारे दिलों को इन अच्छाइयों की ओर प्रेरित करें और घबराए नहीं। बस चिंतित रहें कि क्या हम अल्लाह (अज़्ज़ व जल) के साथ अच्छे हैं? क्या हमने वह सब कुछ किया जो हम कर सकते हैं? अगर हमने किया, तो अल्लाह (अज़्ज़ व जल) प्रेरित करता है, तो अपनी भलाई करो, अपनी प्रार्थना करो, अपनी ज़कात करो, अपनी दुआ (मिन्नत) करो। ये सब काम करो और बाक़ी सब अल्लाह (अज़्ज़ व जल) के हाथ में छोड़ दो और अल्लाह (अज़्ज़ व जल) से मिलने के लिए ख़ुश रहो। साय्यिदिना मुहम्मद ﷺ की उपस्थिति में प्रवेश करने में ख़ुश रहो। यह भागने के बारे में नहीं है लेकिन जो कुछ हमारा भाग्य है, उसका सामना करना है। लेकिन इसका सामना अच्छे चरित्र, अच्छे कार्यों और प्यार भरे दिल से करें। क्योंकि अगर कोई भी दिल उस उपस्थिति में बुराई या बुरे चरित्र के साथ प्रवेश करता है और सबसे बुरी बुराई साय्यिदिना मुहम्मद ﷺ के रोशनी के ख़िलाफ़ आना है।
इस दुनिया में जो अंधे हैं, वे परलोक में अंधे होंगे।
हम प्रार्थना करते हैं कि अल्लाह (अज़्ज़ व जल) साय्यिद शुहदा के जन्म की इस पवित्र रात में हमें सुशोभित करें, जिसने सच का प्रतिनिधित्व किया और ग़म के अलावा कुछ नहीं देखा, विपत्ति के अलावा कुछ नहीं देखा। उन्होंने मार्गदर्शन के लिए माँगा और फिर उन्होंने उन पर हमला किया। और यह रुकता नहीं है; हर जगह कर्बला है, और जब बात आती है तो हर कोई यज़ीद होता है।
साय्यिद शुहदा का अर्थ है वह जो देखने वालों का स्वामी है। ऐसा कोई वली या दास नहीं है जो अहलुल बसिराह (आध्यात्मिक दृष्टि के लोग) में से नहीं बनना चाहते हैं, जिस पर साय्यिदिना इमाम अल-हुसैन (अलैहिस सलाम) को हस्ताक्षर करना है। यदि वे नहीं जानते हैं, तो उन्होंने इसे प्राप्त नहीं किया है। और कल्पना कीजिए कि उनका वंशज वह हैं जो देखना सिखाता हैं। तब लोगों को बहुत सावधान रहना होगा कि वे लोगों के साथ कैसा व्यवहार करते हैं। आपके पास आँखें हैं लेकिन आप देखते नहीं हैं। आपके पास कान हैं लेकिन आप सुनते नहीं हैं।
وَلَقَدْ ذَرَأْنَا لِجَهَنَّمَ كَثِيرًا مِّنَ الْجِنِّ وَالْإِنسِ ۖ لَهُمْ قُلُوبٌ لَّا يَفْقَهُونَ بِهَا وَلَهُمْ أَعْيُنٌ لَّا يُبْصِرُونَ بِهَا وَلَهُمْ آذَانٌ لَّا يَسْمَعُونَ بِهَا ۚ أُولَـٰئِكَ كَالْأَنْعَامِ بَلْ هُمْ أَضَلُّ ۚ أُولَـٰئِكَ هُمُ الْغَافِلُونَ ﴿
7:179 – “Wa laqad zara’naa li jahannama kaseeram minal Jinni wal Insi lahum quloobul laa yafqahoona bihaa, wa lahum a’yunul laa yubisiroona bihaa, wa lahum aazaanul laa yasma’oona bihaa; Olaayika kal an’aami bal hum adhal; Olaayika humul ghaafiloon” (Surat Al-A’raf)
“निश्चय ही हमने बहुत से जिन्नों और मनुष्यों को जहन्नम ही के लिए बनाया है। उनके पास दिल है जिनसे वे समझते नहीं, उनके पास आँखें हैं जिनसे वे देखते नहीं, उनके पास कान हैं जिनसे वे सुनते नहीं। वे पशुओं की तरह हैं, बल्कि वे उनसे भी अधिक पथभ्रष्ट हैं। वही लोग हैं जो (चेतावनी से) गफ़लत में पड़े हुए है।” (सूरत अल-आराफ़, ७:१७९)
इसमें फ़र्क़ क्या है? वे बहरे, गूंगे और अंधे हैं, जो इस दुनिया में अंधे हैं, वे परलोक में अंधे उठाए जाएंगे।
وَمَن كَانَ فِي هَـٰذِهِ أَعْمَىٰ فَهُوَ فِي الْآخِرَةِ أَعْمَىٰ وَأَضَلُّ سَبِيلًا ﴿٧٢
17:72 – “Wa man kana fee hadhihi a’ma fahuwa fee al akhirati a’ma wa adallu sabeela.” (Surat Al-Isra)
“और जो शख़्स इस दुनिया में अंधा बना रहा तो वह आखि़रत में भी अंधा ही रहेगा और नजात के रास्ते से बहुत दूर भटका सा हुआ।” (सूरत अल-इसरा, १७;७२)
अहलुल बैत (अलैहिस सलाम) के संघर्ष से ताक़त तलाशो।
यह रास्ता तफ़क्कुर और चिंतन के बारे में था। संकेत हर जगह है। कि उनके प्यार से हमने उनके संघर्ष को लिया और उनके संघर्ष में उन्होंने सिखाया कि यह दुनिया (भौतिक जगत) आपके लिए कभी आसान नहीं होगी। लोग आपके प्रकाश से ईर्ष्या और हसद करेंगे और यह कि आपको हमारे रास्ते से विरासत में मिला है, एक संघर्ष का रास्ता। अविश्वासियों से नहीं, विश्वासियों से। उन्हें अविश्वासियों से कोई कठिनाई नहीं हुई। उनकी कठिनाई उन लोगों से थी जिन्होंने ईमान का दावा किया था। इसका मतलब है कि आप अल्लाह (अज़्ज़ व जल) के रास्ते में संघर्ष करते हैं, केवल अल्लाह (अज़्ज़ व जल) और उसके रसूल, साय्यिदिना मुहम्मद ﷺ के लिय।
हम दुआ करते हैं कि सैय्यद शुहदा (अलैहिस सलाम) हमारे साथ ख़ुश रहें। हमें सुशोभित करें, आशीर्वाद दें। हमें इस्तिक़ाम और दृढ़ता दें। यह कहना आसान नहीं है कि आप उनसे प्यार करते हैं, लेकिन उनके चरित्र के अनुसार तैयार होना। भले उन्हें किसी का भी सामना करना पड़े, वे उसका सामना किए। मुश्किलें जो समझ में नहीं आती हैं लेकिन प्यार और मुहब्बत और एक मज़बूत पीठ के साथ , वे मुश्किलों में चले जाते हैं। कि एक ईमानदार चरित्र रखने के लिए और साय्यिदिना मुहम्मद ﷺ की सभी विशेषताओं को इस दुनिया (भौतिक संसार) में जो कुछ भी संभव है, रखने के लिए। इंशाल्लाह, अल्लाह (अज़्ज़ व जल) हमें सुशोभित करें और हमें इन पवित्र रातों में आशीर्वाद दें।
अहलुल बैत (अलैहिस सलाम) साय्यिदिना मुहम्मद ﷺ के सुंदर बग़ीचे की निशानी हैं।
कल साय्यिदिना अब्बास (अलैहिस सलाम), उसके अगले दिन और कल हम दोनो मनाएंगे और इन सभी दो रातों को इमाम ज़ैन उल-आबिदीन (अलैहिस सलाम) और इमाम साय्यिदिना अब्बास (अलैहिस सलाम) के लिए, कि अल्लाह(अज़्ज़ व जल) हमें सुशोभित करें और आशीर्वाद दें, साय्यिदिना अब्बास (अलैहिस सलाम) के शिष्टता और चरित्र के साथ। इमाम अस-सज्जाद (अलैहिस सलाम) की दिल की पवित्रता, श्रेष्ठता और दुआ (प्रार्थना) से, जिसने अपना सारा जीवन सूजूद (दंडवत अवस्था) में बिताया, जिसकी दुआ अल्लाह (अज़्ज़ व जल) के सिंहासन को हिला देती थी। कि यदि साय्यिदिना मुहम्मद ﷺ के वंशज, सुंदरता और इस्लाम (अगज्ञानुकूलता) की वास्तविकता और ईमान (विश्वास) और एहसान (नैतिक उत्कृष्टता) लेकर आते हैं साय्यिदिना मुहम्मद ﷺ के साथ, एक फलदायक बग़ीचे की तरह, तो उनके अहलुल बैत (अलैहिस सलाम) (नबी ﷺ का पवित्र परिवार) इसके संकेत थे! कि यदि आप साय्यिदिना मुहम्मद ﷺ की वास्तविकता की विशालता और सुंदरता को समझते, तो उन्होंने अपने अहलुल बैत (अलैहिस सलाम) को उस बग़ीचे की निशानियाँ बना कर दीं हैं।
वे इस दुनिया (भौतिक जगत) में जो कुछ लेकर आए, उसे देख कर आप साय्यिदिना मुहम्मद ﷺ की शानदार रुतबे को समझ गए। इसकी वास्तविकता इमाम जाफ़र अल-सादिक़ (अलैहिस सलाम) के माध्यम से है; इन अहलुल बैत (अलैहिस सलाम) के माध्यम से जो हुक्म और वास्तविकताएँ लाई गईं थीं वह कुछ भी नहीं है जिसे समझा जा सकता है। लेकिन आपने जो समझा वह साय्यिदिना मुहम्मद ﷺ की महानता थी। उन्होंने वास्तविकता की शानदार प्रतिष्ठा को सामने लाया जो शायद पूरी तरह से नहीं समझा गया था लेकिन इन ख़ूबसूरत फूलों के माध्यम से और हम सब अभी भी उनकी सुगंध और प्यार से ले रहे हैं। हम अल्लाह (अज़्ज़ व जल) से प्रार्थना करते हैं कि हमें उनके प्रकाश से और उनके प्यार से, सुशोभित करें। इंशाल्लाह। और असहाब अन-नबी ﷺ, औलियाल्लाह फ़िस समावाती व फ़िल अर्द (स्वर्ग और पृथ्वी में) के प्यार से लेकिन आज रात उनकी रात है और ध्यान उनकी वास्तविकता पर है, इंशाअल्लाह।
Subhana rabbika rabbal ‘izzati ‘amma yasifoon, wa salaamun ‘alal mursaleen, walhamdulillahi rabbil ‘aalameen. Bi hurmati Muhammad al-Mustafa wa bi siri Surat al-Fatiha.
इस सोहबाह का प्रतिलेखन करने में हमारे प्रतिलेखकों के लिए विशेष धन्यवाद।
सुहबा की मूल तारीख: अप्रैल ५, २०२०
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