ध्वनि और प्रशंसा की वास्तविकता। प्रशंसा और ज़िक्र इतने शक्तिशाली क्यों हैं
Original Article
मवलाना (क़) के वास्तविकताओं से जैसा कि शेख नूरजान मीरअहमदी ने सिखाया है।
पनाह माँगता हूँ मै अल्लाह की शैतान मर्दूद से,
शुरू अल्लाह का नाम लेकर, जो बड़ा मेहरबान, निहायत रहम वाला है।
A’udhu Billahi Minash Shaitanir Rajeem
Bismillahir Rahmanir Raheem
विज्ञान और समझ मानवता के लिए और हमें हमारी वास्तविकता की समझ देने के लिए खोलना शुरू करती हैं, ख़ासकर अगर विज्ञान सही है, क्योंकि यह आख़िर ज़मन (आख़िर दिन) है, अल्लाह (अज़्ज़ा व जल) हम पर यह वाँस्तविकताएँ (हक़ाएख) खोल रहा है; धवानी का महत्व। हमने कई बार पहले भी कहा है मगर हो सकता है के शायद तीसरी, चौथी या पाँचवी बार किसी के दिल में ये बात क्लिक हो….हह, मैंने तो ये बात पहले नहीं सुनी। ये इसलिए है कि ऐसी बात कुछ समय के बाद समझ आती है, और जब अपनी आत्मा इसे समझती है तो फिर यह समझ पूरी होती है।
हमद (प्रशंसा) क्या है?
आकार (रूप) की दुनिया; और इस आकार को प्रकट (ज़ाहिर) होने के लिए यूसब्बिहु बिहमदिही, हमद और तारीफ़ का होना ज़रूरी है।
﴾تُسَبِّحُ لَهُ السَّمَاوَاتُ السَّبْعُ وَالْأَرْضُ وَمَن فِيهِنَّ ۚ وَإِن مِّن شَيْءٍ إِلَّا يُسَبِّحُ بِحَمْدِهِ وَلَـٰكِن لَّا تَفْقَهُونَ تَسْبِيحَهُمْ ۗ إِنَّهُ كَانَ حَلِيمًا غَفُورًا ﴿٤٤
17:44 – “Tusabbihu lahus samawatus sab’u wal ardu wa man fee hinna wa in min shayin illa yusabbihu bihamdihi wa lakin la tafqahoona tasbeehahum innahu kana haleeman ghafoora.” (Surat Al-Isra)
“सातों आसमान और ज़मीन और जो कुछ इनमे हैं सब उसकी तसबिह करते हैं और सारे जहाँ मैं कोई चीज़ ऐसी नहीं जो (अल्लाह) की हमद व सना की तसबी ना करती हो, मगर तुम लोग उनकी तसबी नहीं समझते। इसमें शक नहीं की वह बड़ा बुर्दबार बख्श्ने वाला है। ( पवित्र क़ुरान, सूरत अल इसरा १७:४४)
इस आकार (रूप) की दुनिया की एक परमाणु (अटामिक) हक़ीक़त है, यह ऐटम्ज़ इतनी तेज़ गति से चल रहे हैं कि लगता है जैसे कोई ठोस चीज़ हो, पर वो सब ऐटम्ज़ चल रहे हैं। इन सब ऐटम्ज़ का ज़िक्र है।इसका मतलब यह है कि आकार की एटमीकि हक़ीक़त होती है और जब आप उस एटमिक स्तर तक पोहोंचते हैं तो वह सिर्फ़ रोशनी है।आकार की एटमिक हक़ीक़त रोशनी है; सब कुछ एक नूर (रोशनी) है जो ज़ाहिर होता है ज़िक्र से जिसे अल्लाह (अल्लाह अज़्ज़ा व जल) ने अनुमति दी प्रकट (ज़ाहिर) होने के लिए। रोशनी का विज्ञान और रोशनी का अस्तित्व (मौजूदगी) ऊर्जा (एनर्जी) से है। यह एनर्जी रोशनी को ज़ाहिर करती है और यह एनर्जी है हमद (तारीफ़)।
मुहम्मद ( सल्लाल्लाहु अलैहि व सल्लम) के पास हमद ( तारीफ़) का रहस्य है।
ज़िक्र, यह हमद (प्रशंसा) एनर्जी ला रहा है, मगर इसका साधन क्या है? हमद। (अलिहिस सलात् व सलाम) हमद — है (हा,मीम,दाल),यह कोई संयोग नहीं है. “अत्यन्त हमद” “ मु- हम्मद” —— (अलिहिस सलात् व सलाम) का मतलब है “ जिसकी सबसे अधिक प्रशंसा की जाती है”। इसी नाम में प्रशंसा (तारीफ़) का रहस्य है। इन आख़िर अज़ ज़मन ( आख़री दिन) में हमारे नबी (अलिहिस सलात् व सलाम) इस हक़ीक़त को बता रहे हैं, क्योंकि हमने पहले भी कहा है कि रूप की दुनिया ढह रही है।
पूर्व संदेश आकार पर आधारित थे। जो संदेश रूह–उल्लाह साय्यिदिना इसा (आ) से इंजील में आया, “बोले गए शब्द” सब ज़ुबान से निकले ध्वनि पर आधारित थे। फिर पवित्र क़ुरान आयी, यह किताब जो ध्वनि के माध्यम से पढ़ी जाती है, वह किस से आ रही है ? हमद से! वह आ रही है उस संदेहवाहक से जिसकी सबसे अधिक प्रशंसा की जाती है, लिवा अल हमद ( प्रशंसा का ध्वज )
नबी ( सल्लाल्लाहु अलैहि व सल्लम) की ज़ुबान ही दिव्य उपस्थिति की ज़ुबान है और इस दिव्य उपस्थिति की ज़ुबान से अल्लाह (अज़्ज़ा व जल ) नबी (सल्लालहे अलैहि व सल्लम ) की आत्मा को दे रहा है, वह किताब जो बनायी नहीं गयी।अजमतुल क़ुरान ( क़ुरान की महानता ) ये है कि वह बनायी नहीं गयी, बल्कि वह अल्लाह (अज़्ज़ा व जल) के प्राचीन शब्द हैं जो नबी (सल्लाल्लाहु अलैहि व सल्लम ) की ज़ुबान के माध्यम से आ रहे हैं।
जब हम रूप की दुनिया को समझते हैं तो वह ऐटम्ज़ (परमाणु) और मॉलेक्यूल्ज़ (अनु) हैं।यह ऐटम्ज़ और मॉलेक्यूल्ज़ रोशनी हैं।इस रोशनी का मौजूद होना ही एक हमद, एक तारीफ़ (प्रशंसा) है। विज्ञान में इसे “स्ट्रिंग थीयोरि ” कहते हैं, हर चीज़ एक तारीफ,वायब्रेशन (कम्पन) है। अल्लाह (अज़्ज़ा व जल) कहता है, “ वास्तव में हर चीज़ मेरी प्रशंसा कर रही है”। अल्लाज (अज़्ज़ा व जल) ने हर चीज़ को एक ज़िक्र दिया है।
﴾تُسَبِّحُ لَهُ السَّمَاوَاتُ السَّبْعُ وَالْأَرْضُ وَمَن فِيهِنَّ ۚ وَإِن مِّن شَيْءٍ إِلَّا يُسَبِّحُ بِحَمْدِهِ وَلَـٰكِن لَّا تَفْقَهُونَ تَسْبِيحَهُمْ ۗ إِنَّهُ كَانَ حَلِيمًا غَفُورًا ﴿٤٤
17:44 – “Tusabbihu lahus samawatus sab’u wal ardu wa man fee hinna wa in min shayin illa yusabbihu bihamdihi wa lakin la tafqahoona tasbeehahum innahu kana haleeman ghafoora.” (Surat Al-Isra)
“सातों आसमान और ज़मीन और जो कुछ इनमे हैं, सब उसकी तसबिह करते हैं और सारे जहाँ मैं कोई चीज़ ऐसी नहीं जो (अल्लाह) के हमद व सना की तसबी ना करती हो, मगर तुम लोग उनकी तसबी नहीं समझते। इसमें शक नहीं की वह बड़ा बुर्दबार बख्श्ने वाला है। ( पवित्र क़ुरान, सूरत अल इसरा १७:४४)
शरीर को इस्लाम के माध्यम से वश में लाओ और नियंत्रित करो।
हमें आकार की दुनिया को तोड़ कर विचार करना चाहिए, क्योंकि हम यहाँ आकार (रूप) के लिए नहीं है; हम यहाँ शरीर को उत्तम या सुंदर बनाने के लिए नहीं हैं क्योंकि शरीर तो क़ब्र में जाने वाला है।इस्लाम में हर कार्य जो हम करते हैं वह शरीर जिसे हम गधा कहते हैं उसे वश और क़ाबू में लाने के लिए करते हैं। यह शरीर तो अल्लाह (अज़्ज़ा व जल) तक नहीं जा रहा है, इसलिए, शरीर के साथ व्यस्त (मसरूफ) मत रहो।अपने शरीर को इस्लाम के द्वारा क़ाबू में लाओ, बुरे विशेषताओं को वश में करो और अपने बुरे इच्छाओं को; ताकि आत्मा का नूर और रोशनी मुक्त हो सके।शरीर के भीतर आत्मा की रोशनी फँसी हुई है।
मैंने अपनी आत्मा की रोशनी खो दी है
मेरे शरीर के अंधेरे में
ओ, यह जोसेफ़
की क़मीज़ में हार गया हूँ।
(मौलाना जलालुद्दीन मुहम्मद रूमी)
सबकुछ जो हमारे लिए महत्वपूर्ण है वो है मल्लकूत (स्वर्गीय क्षेत्र)। मुल्क (सांस्कारिक क्षेत्र) जिस में हम मौजूद हैं वहाँ से हमें पलट कर जाना है स्वर्गीय क्षेत्र और कुल्ली शय्यि में, वह मल्लकूत जो सुरे यासीन में है;
﴾فَسُبْحَانَ الَّذِي بِيَدِهِ مَلَكُوتُ كُلِّ شَيْءٍ وَإِلَيْهِ تُرْجَعُونَ ﴿٨٣
36:83 – “Fasubhanal ladhee biyadihi Malakotu kulli shay in wa ilayhi turja’oon.” (Surat YaSeen)
“तो पवित्र है वह, जिसके हाथ में हर वस्तु का राज्य है और तुमसब उसकी और फिर लौटाए जाओगे।” (सुरा यासीन ३६:८३)
अल्लाह वर्णन करता है “यह सब शामिल है”, क्योंकि वह हमें विज्ञान उस प्रकाश की दुनिया का दे रहा है जिस में रूप की दुनिया शामिल है।आप को जो आकार नज़र आ रहा है वह सब (वस्तु) हक़ीक़त में ऐटम्ज़ और मॉलेक्यूल्ज़ हैं।जब इन ऐटम्ज़ और मॉलेक्यूल्ज़ को माइक्रस्कोप में देखते हैं तो उन्हें रोशनी नज़र आती है, जिसे “ कुआँटअम थीयोरी” के नाम से जाना जाता है।
क्वांटम प्रकाश का सिद्धांत है। उन्होंने पाया कि प्रकाश की एक प्रशंसा है, और एक ज़िक्र। जब आप अपने स्रोत पर वापस जाते हैं तो सब कुछ मौजूद है ध्वनि के आधार पर, प्रशंसा के आधार पर। दुनिया के अंत को लाने के लिए अंतिम पैग़म्बर प्रशंसा पर आधारित क्यों है। वह पैगंबर (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) प्रशंसा का ध्वज हैं, अलैहिस सलात् व सलाम, अल्लाह (अज़्ज़ा व जल) की वास्तविकताओं का संदेश लाने के लिए। पुनरुत्थान पर और एक प्रशंसा करने के लिए जो सब कुछ नीचे लाएगा और फिर सब कुछ वापस लाएगा।
﴾مَا يَنظُرُونَ إِلَّا صَيْحَةً وَاحِدَةً تَأْخُذُهُمْ وَهُمْ يَخِصِّمُونَ ﴿٤٩
36:49 – “Ma yanZhuroona illa sayhatan wahidatan ta akhudhuhum wa hum yakhissimoon.” (Surat YaSeen)
“वह नहीं प्रतीक्षा कर रहे हैं, परन्तु एक कड़ी ध्वनि (धमाका) की, जो उन्हें पकड़ लेगी और वो झगड़ रहे होंगे।”(क़ुरान ३६:४९) (यूसुफ़ अली)
﴾إِن كَانَتْ إِلَّا صَيْحَةً وَاحِدَةً فَإِذَا هُمْ جَمِيعٌ لَّدَيْنَا مُحْضَرُونَ ﴿٥٣
36:53 – “In kanat illa sayhatan wahidatan fa idha hum jamee’un ladayna muhdaroon.” (Surat YaSeen)
“बस यह एक सख़्त धमाका (आवाज़) होगा, फिर एक ही दम सब के सब हमारे सामने हाज़िर कर दिए जाएँगे।” (पवित्र क़ुरान, यासीन)
जब अल्लाह (अज़्ज़ा वा जल) पुनर्जीवित (सभी निर्माण) करता है और सैय्यदीना मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) की शफाअत है, इसका मतलब है कि ध्वनि का महत्व सब कुछ है। फिर हमारे पूरे जीवन की खोज ध्वनि पर आधारित है।
जो लोग रूप के बारे में अधिक सोच रहे हैं, तो वे ग़लत सोंच रहे हैं,फॉर्म पर जोर बहुत अस्थायी है। आप धोते हैं, आप साफ करते हैं, आप अनुशासन में रखते हैं, बस और कुछ नहीं।आप शरीर को दिव्य उपस्थिति में नहीं ले जा रहे हैं, यह शरीर वास्तव में क़ब्र (कब्र) में जा रहा है। जब आप यह समझने लगते हैं कि, या रब्बी मैंने शरीर को साफ कर दिया है, लेकिन मुझे अपनी आत्मा और मेरे प्रकाश को सक्रिय (एनर्जायज़) करने दें। फिर वे सिखाते हैं, यदि आप प्रकाश को उभारना चाहते हैं तो प्रशंसा को ठीक करें। आपका प्रकाश एक ध्वनि के आधार पर प्रकट हो रहा है।
जिकरुल्लाह और पैग़म्बर ( सलल्लाहु व सल्लम) की प्रशंसा करने से अपना दर्जा बड़ा सकते हैं।
तो फिर जिकरुल्लाह क्यों इतना महत्वपूर्ण है? क्यों साय्यिदिना मुहम्मद सलल्लाहु अलैहि व सल्लम की प्रशंसा करना महत्वपूर्ण है?
﴾يُسَبِّحُ لِلَّـهِ مَا فِي السَّمَاوَاتِ وَمَا فِي الْأَرْضِ ۖ لَهُ الْمُلْكُ وَلَهُ الْحَمْدُ ۖ وَهُوَ عَلَىٰ كُلِّ شَيْءٍ قَدِيرٌ ﴿١
64:1 – “Yusabbihu lillahi ma fis Samawati wa ma fil ardi, lahul Mulku wa lahul Hamdu, wa huwa ‘ala kulli shay in Qadeer.” (Surat Al-Taghabun)
जो चीज़ आसमानों में है और जो चीज़ ज़मीन में हैं (सब) खुदा की तसबिह करती है। उसी की बादशाहत है, और तारीफ़ उसी के लिए सजावर है और वही हर चीज़ पर क़ादिर है। ( पवित्र क़ुरान ६४:१)
इसका मतलब है कि सबसे अच्छा अमल वो अमल है जो आपकी रोशनी के दरजात (स्टेशन) को बढ़ाएगा। तो अब आपकी रोशनी एक निश्चित प्रशंसा पर है, आप इसे अब नकारात्मकता और अंधेरे की दुनिया में देखेंगे। प्रत्येक ध्वनि जो वे रॉक कॉन्सर्ट की तरह u ऊऊ र् र ह ह ’से निकलती हैं, उनके सभी बुरे शोर जो वे निकाल रहे हैं, क्या है? आवृत्ति (फ़्रीक्वन्सी) को निम्नतम (नीचे) स्तर पर ले जाने के लिए। शैतान और शैतानी आवृत्ति (फ़्रीक्वन्सी) से एक ध्वनि निकलती है जो ध्वनि के स्पेक्ट्रम पर बहुत कम है, क्या लाने के लिए? यह इसलिए कि शैतान असलियत जानता है। अगर मैं इस मानव को गिराना चाहता हुँ, अगर वह इस ऊँची (उच्च) (फ़्रीक्वन्सी) रोशनी से निकल रहा है जो अल्लाह (अज़्ज़ा व जल) ने दी है, क्योंकि हर कोई पवित्रता पर पैदा होता है और अल्लाह (अज़्ज़ा वा जल) ने एक शुद्ध प्रकाश दिया और वे एक निश्चित आवृत्ति पर निकल रहा है। शैतान की भूमिका उस उत्सर्जन को नीचे लाने के लिए है।
आप जो सुनते और कहते हैं वह ह्रदय और आत्मा को प्रभावित करता है।
जब आप राप सुनते हैं तो ये भयानक आवाज़ (ध्वनि) और बुरे शब्दों से शैतान उस व्यक्ति की आत्मा को नीचे ला रहा है।क्योंकि आप जो सुनते हैं वह आपकी आत्मा को प्रभावित कर रहा है, जो आप सुनते हैं वह आपके ह्रदय को प्रभावित करता है। आप क्या प्रशंसा करते हैं और आप जो कहते है वह आपके ह्रदय को प्रभावित करता है, आपकी आत्मा को प्रभावित करता है, क्योंकि दोनो जुड़े हुए हैं। इसलिए शैतान का कर्तव्य है कि वह आपकी आव्रत्ति (फ़्रीक्वन्सी) को नीचे लायें और जैसी ही वह ऐसा करता है वह आपकी रोशनी का स्पेक्ट्रम नीचे लाता है, और आप पास हो जाते हैं और आप शैतानी हमले के अधीन हो सकते है।यही शैतान की पूरी इच्छा है।
अब आप मुड़कर दुनिया को देखिए, क्या है उनके पास? एक आइपॉड। जिस समय से वालकमऐन आया सारा विश्व ढक गया है काटे गए सेब से। क्यों काटा हुआ सेब? क्योंकि अल्लाह (अज़्ज़ा व जल) दयालु और महान है। अल्लाह (अज़्ज़ा व जल) कहता है: यह दुनिया एक कार्यक्रम (प्रोग्राम) है, मैं इसे लिख चुका हूँ और अगर तुम थोड़े चालक हो तो तुम इन विभिन्न संकेतों को चुन सकते हो। शैतान सेब का उपयोग कर रहा है जिसकी वजह से हम स्वर्ग से निकाले गए थे, उनका प्रतीक चिन्ह (लोगो) काटा हुआ सेब है। इसमें इतना कठिन सोंचने की ज़रूरत नहीं है। वह (शैतान) इस यंत्र का प्रयोग क्यों कर रहा है? विश्वासियों की आवृत्ति को कम करने के लिए।विश्वासियों की आवृति कम करके वह उनके प्रकाश को प्रभावित करता है और उसे कम करता है, उन्होंने अब अपनी रक्षा प्रणाली कम कर दी। रक्षा प्रणाली कम होने से अब शैतानी हमला शुरू होता है और कठिनाई और नुक़सान हमारे शरीर पर असर करते हैं।
रहमतल लील आलमीन आपकी आवृत्ति उपर लातें है।
तो लिवा ल हमद, “प्रशंसा का ध्वज” और रहमतन लील आलमीन दुनिया पर आकर आपकी आवृत्ति ऊपर करते हैं।
﴾وَمَا أَرْسَلْنَاكَ إِلَّا رَحْمَةً لِّلْعَالَمِينَ ﴿١٠٧
21:107 – “Wa maa arsalnaka illa Rahmatal lil’alameen.” (Surat Al-Anbiya)
“और हमने आपको, (ओ मुहम्मद), दुनिया के लिए एक दया के अलावा नहीं भेजा।” ( अल अंबिया २१:१०७)
आप जब पवित्र क़ुरान पढ़ते हैं, और जितना अधिक उसे पढ़ते हैं, और बहोत अधिक दुरुद शरीफ़ और प्रशंसा कर रहे हैं; तो आपकी आवृत्ति बढ़ रही है, बढ़ रही है हक़ की तरफ़।अल्लाह किस तरह से हक़ का वर्णन करता है? हक़ और बातिल का मिश्रण नहीं है। आपकी आवृत्ति जब बढ़ती है तो आत्मा से निकलने वाला प्रकाश अधिक शक्तिशाली होते जाता है, तो हक़ और झूट साथ नहीं मिलते।
﴾وَ قُلْ جَآءَالْحَقُّ وَزَهَقَ الْبَطِلُ، إِنَّ الْبَطِلَ كَانَ زَهُوقًا ﴿٨١
17:81 – “Wa qul jaa alhaqqu wa zahaqal baatil, innal batila kana zahoqa.” (Surat Al-Isra)
“ और कह दो: “सत्य आ गया है और असत्य मिट गया; असत्य ( उसकी प्रकृति से) मिट जाने वाला ही होता है।” (सूरत अल इसरा १७:८१)
इसका मतलब ये है कि जब असत्य और बुराई आपकी तरफ़ बढ़ते हैं, तो प्रकाश की वह आवृत्ति और वह आव्रत्ति जो आपके ज़िक्र ,सलावत और दुरूद शरीफ़ से आपके आत्मा पर असर कर रही है वह आपके आत्मा की शक्ति को बढ़ा रही है, तो इससे नकारात्मकता (नेगेटिविटी) दूर हो जाती है और यह इसके साथ कुछ भी वास्ता नहीं रखना चाहती है।यह अब जाहूखा होगा। अल्लाह (अज़्ज़ा व जल) कहता है,”यह (हक़) इसे नष्ट कर देगा”।
ज़िक्र और प्रशंसा से हक़ का निर्माण करें।
हक़ (सच्चाई), पढ़ने और प्रशंसा के माध्यम से आप हक़ (सच्चाई) को बढ़ा सकते हैं और आप इस राह से अपनी आवृत्ति को बढ़ा सकते हैं। तो अवलिया और धर्मपरायण लोग हमारे जीवन में आकर समझातॆ हैं कि, “ यह आपका सबसे अच्छा अमल है क्योंकि यह अनिवार्य (लाज़िम) नहीं है, यह सुन्नाह है और यह अमल आपको स्वर्ग तक ले जाएगा।” ज़िक्र के मजलिस में शिरकत कर के, दुरूद शरीफ़ पढ़ के, ज़िक्र करते हुए, और पवित्र क़ुरान को पढ़ने और सस्वर पाठ (तिलावत) करते हैं, तो आपके यह सब अमल शक्तिशाली हैं आपकी आत्मा की आवृत्ति के लिए। यह आपकी आवृत्ति बदलता है, और आपकी आवृत्ति को चकनाचूर कर के ऊँचा उठाता है।जो कुछ परमात्मा की तरफ़ बढ़ता है, वह उठता है और पूर्णरनिर्मान करता है, उठता है और पूर्णर्णिमान करता है।
जैसा हमने कुछ महीने पहले कहा था, कि शैतान दुनिया में ध्वनि हथियारों का परिचय करेगा।वह उस वास्तविकता जो समझता है और वह जानता है कि वह एक संरचना (स्ट्रक्चर) को लेकर ध्वनि के माध्यम से जोड़तोड कर सकता है, और आवृत्ति पर खेल कर फिर इसे चकनाचूर कर सकता है।आप गूगल कर के देख सकते हैं ध्वनि का भौतिक विज्ञान (फ़िज़िक्स) तो आप देखते हैं कि वे (वैज्ञानिक) आइटम्ज़ की शारीरिकता को जोड़तोड़ करते हैं ध्वनि के आधार से।यह वो वास्तविकता है। शैतान इस वास्तविकता को जानता है और इस वास्तविकता को हथियार बनायेगा, और ध्वनि से हथियार बनायेगा।
और अल्लाह (अज़्ज़ा व जल) हमें सबसे अच्छा बचाव बताया है और वह है जिकरुल्लाह ! इस का मतलब ये है कि जब हर बार हम प्रशंसा करते हैं, हर बार जब हम दुरूद शरीफ़ में हैं, और हर बार जब हम ज़िक्र की मजलिस में शामिल हैं, तो इससे जो ऊर्जा आ रही है उसकी कल्पना हम नहीं कर सकते।आप अपनी आत्मा की आवृत्ति ऊँची करते हैं, वह प्रकाश, आपके आत्मा की रोशनी को अब बदल रहा है और यही है आपके शरीर का बचाव जो हर मुश्किल और कठिनाई को दूर करता है, दूर करता है हमारे बुरी विशेषताएँ और हमें नज़दीक लाता है उस वास्तविकता तक जो नबी (सल्लालहु अलैहि व सल्लम) हमारे लिए चाहते हैं।
हर मजलिस में जिकरुल्लाह और दुरूद शरीफ़ होना चाहिए।
बीस लोग बात करने से किसी की भी आत्मा को लाभ नहीं होता।यदि आप किस सम्मेलन (इवेंट) पर जाते हैं और वहाँ बीस लोग आते हैं बात करने के लिए, और दर्शकों को बात कर कर के सुनाते हैं तो इससे आपकी आत्मा को कोई लाभ नहीं है। अगर वे सही लोग नहीं हैं तो वे ‘इबाद उर रहमान’ में से नहीं हैं। जब ‘इबाद उर रहमान’ बोलते हैं तो वे अपने दिल से बोलते हैं और उनकी ऊर्जा दिल से आ रही है जो आपके दिल को प्रभावित करती है, आपकी आत्मा को प्रभावित करती है।अगर वह उस मेयार (कैलिबर) के नहीं हैं तो सारी दुनिया की बातें आपके सर तक जाती है, दिमाग़ बंद हो जाता है और सो जाता है।
मगर जिकरुल्लाह और ज़िक्र की मजलिस, इसका मतलब यह है कि, किसी भी समय जब एक सभा होती है जहाँ ज़िक्र होता है, और उस महफ़िल में दुरूद शरीफ़ होता है नबी (सल्लाल्लाहु अलैहि व सल्लम) पर,तो वह बनता है स्वर्ग का हलखा (सर्कल)।
हदीस ५
हज़रत अनास (र आ) बयान करते हैं कि रसूलल्लाह (सल्लाल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमाया है: आप जब भी स्वर्ग के बाग़ से गुज़रो तो अच्छी तरह देखलो। लोगों ने पूछा: स्वर्ग के बाग़ क्या हैं? नबी ने फ़रमाया: ज़िक्र के सभा।
क्यों? क्योंकि अब ये स्वर्ग का प्रकाश आ रहा है।
﴾إِنَّ اللَّهَ وَمَلَائِكَتَهُ يُصَلُّونَ عَلَى النَّبِيِّ يَا أَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُوا صَلُّوا عَلَيْهِ وَسَلِّمُوا تَسْلِيماً ﴿٥٦
33:56 – “InnAllaha wa malayikatahu yusalluna ‘alan Nabiyi yaa ayyuhal ladhina aamanu sallu ‘alayhi wa sallimu taslima.” (Surat Al-Ahzab)
“अल्लाह और उसके फरिश्ते पैगंबर पर सलाम भेजते हैं: ओ तुम सब जो विश्वास करते हो! उन पर अपना सलाम भेजो, और उन्हें पूरे सम्मान के साथ सलाम करो।”(पवित्र कुरान, संयुक्त बल, 33:56
हज़रत अबू हूरैरा (र आ) कहते हैं रसूलल्लाह (नबी मुहम्मद सल्लाल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमाया है कि स्वर्गदूतों (फ़रिश्ते) का एक समूह है जो प्र्थ्वी पर गश्त करते हैं और जब भी वे ज़िक्र की सभा पाते हैं तो वे एक दूसरे को पुकारते हैं और इस सभा के चारों और एक घेरा बनाते हैं जो आकाश तक पहुँचता है।जब ये सभा समाप्त होती है तो वे आकाश में लौट जाते हैं…
इसके बाद अल्लाह (अज़्ज़ा वा जल) की प्रशंसा उतरने लगती है, प्रशंसा करने वाले स्वर्गदूत उतरने लगते हैं और लोग गर्म होने लगते हैं; उनकी ऊर्जाएं और आवृत्तियां बदल रही हैं, उनके प्रकाश की रोशनी बदलने लगती है और उनका पूरा अस्तित्व बदलने लगता है। हम दुआ करते हैं कि अल्लाह (अज़्ज़ा वा जल) हमें अधिक से अधिक समझ प्रदान करें और हमें ज़िक्र और सल्लू अलन–नबी (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) की मजलिस से घिरा रखे।
Subhaana rabbika rabbil izzati `amma yasifoon wa salaamun `alal mursaleen wa ‘l-hamdu lillahi rabbil `aalameen. Bi hurmati Muhammad ul Mustafa wa bi sirri surat al Fatiha.
इस सोहबाह का प्रतिलेखन करने में उनकी मदद के लिए हमारे प्रतिलेखकों के लिए विशेष धन्यवाद।
सुहबा की मूल तारीख: जनवरी १५, २०१६
सम्बंधित आलेख:
- Light and Energy Originates from Sound
- Reality of light, and Intercession of The Flag of Praise
- Reality of Sound and Zikr – Part 2: Guides of Light, Malakut and Sound
- Playlist Reality of Sound and Resonance
कृपया दान करें और इन स्वर्गीय ज्ञान को फैलाने में हमारा समर्थन करें।
कॉपीराइट © 2020 नक्शबंदी, इस्लामिक केंद्र वैंकूवर, सर्वाधिकार सुरक्षित।