
प्रकाश, ऊर्जा ध्वनि से उत्पन्न होते हैं। (ध्वनि= > ऊर्जा => प्रकाश)
Original Article

मवलाना शेख़ हिशाम कब्बानी (क़) के वास्तविकताओं से जैसा कि शेख़ नूरजान मीरअहमदी ने सिखाया है।
पनाह माँगता हूँ मै अल्लाह की शैतान मर्दूद से,
शुरू अल्लाह का नाम लेकर, जो बड़ा मेहरबान, निहायत रहम वाला है।
A’udhu Billahi Minash Shaitanir Rajeem
Bismillahir Rahmanir Raheem
हर चीज़ अल्लाह (अज़्ज़ व जल) की तारीफ़ कर रही है और उसकी एक आवृत्ति है।
हम विज्ञान के माध्यम से जानते हैं कि ऊर्जा को कभी नष्ट नहीं किया जा सकता है। हम जितना भी ध्यान ऊर्जा पर लगाते हैं तो पाते हैं कि ऊर्जा सदा रहेगी; वह अनन्त है। हम उस ऊर्जा को अपने साथ ले जायेंगे जब हम इस पृथ्वी से प्रस्थान करेंगे। ऊर्जा पे फ़ोकस ही हमारे लिए सब कुछ है, उस ऊर्जा का निर्माण।
आजकल विज्ञान से वे जानते हैं कि हर ऊर्जा की एक आवृत्ति होती है जिस में वह कम्पन है। ऊर्जा के स्तर पर हमारे चारों और एक अलग आवृत्ति होती है। तो वो अब समझते हैं कि यदि वे इस ग्लास की आवृत्ति पा सकते हैं, और अपने उपकरणो के साथ एक आवृत्ति वापस गूँजने लगाते है, तो वापस ग्लास की ही आवृत्ति गूँजती है, क्यों ? क्योंकि अल्लाह क़ुरान में कहता है, “हर चीज़ मेरी प्रशंसा कर रही है।” हर चीज़ का एक मंत्र होता है, हर चीज़ की एक आवृत्ति होती है, यह ध्वनि द्वारा विद्यमान है
﴾تُسَبِّحُ لَهُ السَّمَاوَاتُ السَّبْعُ وَالْأَرْضُ وَمَن فِيهِنَّ ۚ وَإِن مِّن شَيْءٍ إِلَّا يُسَبِّحُ بِحَمْدِهِ وَلَـٰكِن لَّا تَفْقَهُونَ تَسْبِيحَهُمْ ۗ إِنَّهُ كَانَ حَلِيمًا غَفُورًا ﴿٤٤
17:44 – “Tusabbihu lahus samawatus sab’u wal ardu wa man fee hinna wa in min shayin illa yusabbihu bihamdihi wa lakin la tafqahoona tasbeehahum innahu kana haleeman ghafoora.” (Surat Al-Isra)
सातों आसमान और ज़मीन और जो कुछ इनमे हैं सब उसकी तसबिह करते हैं और सारे जहाँ मैं कोई चीज़ ऐसी नहीं जो (अल्लाह) की हमद व सना की तसबी ना करती हो, मगर तुम लोग उनकी तसबी नहीं समझते। इसमें शक नहीं की वह बड़ा बुर्दबार बख्श्ने वाला है। (पवित्र क़ुरान, सूरत अल इसरा १७:४४)
हमद (प्रशंसा)- ध्वनि ऊर्जा का स्त्रोत है।
इसका अर्थ है कि ध्वनि ऊर्जा का स्रोत है; ऊर्जा प्रकाश का स्रोत है; प्रकाश सभी अभिव्यक्तियों का स्रोत है। वे इसे वैज्ञानिक रूप से सही मानते हैं। जो कुछ भी प्रकट हो रहा है वह एक प्रकाश है: यह क्वांटम वास्तविकता है। उस प्रकाश को ऊर्जा में घटाया या उसका परिमाण निकाला जा सकता है। वह ऊर्जा वास्तव में एक कंपन और एक ध्वनि है।
अब वे इसका कुशलतापूर्वक प्रयोग कर सकते हैं। इसलिए यदि वे इस ग्लास की आवृत्ति पाते हैं, तो जब वे उस ग्लास की आवृत्ति से खेलना शुरू करते हैं, तो वह चकनाचूर हो जाती है। उनके पास अधिक परिश्क्र्त उपकरण हैं जो वे दीवार और स्टील (इस्पात) पर लागू कर सकते हैं।आप हचिंसन सिद्धांत को जानते होंगे; जिसमें वे आवृत्ति को वापस दालते हैं, क्योंकि हर चीज़ की एक ध्वनि होती है, हर चीज की एक आवृत्ति होती है। वे उस आवृत्ति को लागू करते हैं और यह चकनाचूर होने लगता है और कुचलने लगता है। [ध्वनि से लोहा पिघलाना]
अल्लाह (अज़्ज़ व जल) पवित्र क़ुरान में उल्लेख करता है: “ यह केवल एक चिल्लाहट थी, हमने तुम्हें नष्ट कर दिय और ऊठाया”
अल्लाह ने पवित्र क़ुरान में कहा है, “सैहतन वाहिदतन – वह केवल एक चिल्लाहट थी और हमने तुम्हें तुम्हारे स्थान पर स्थिर कर दिया; और तुम हिल नहीं पाओगे।वह केवल एक चिल्लाहट थी और हमने तुम्हें उठाया।” यह ईश्वरीय शिक्षा है: सब कुछ ध्वनि पर आधारित है। ध्वनि हमारे अस्तित्व की बुनियाद और हमारे वास्तविकता का रहस्य है।
﴾إِن كَانَتْ إِلَّا صَيْحَةً وَاحِدَةً فَإِذَا هُمْ خَامِدُونَ ﴿٢٩
36:29 – “In kanat illa sayhatan wahidatan fa idha hum khamidoon.” (Surat YaSeen)
“वह तो केवल एक प्रचंड चीत्कार थी। तो सहसा क्या देखते हैं कि वे बुझ कर रह गए।“ (पवित्र क़ुरान ३६:२९)
﴾مَا يَنظُرُونَ إِلَّا صَيْحَةً وَاحِدَةً تَأْخُذُهُمْ وَهُمْ يَخِصِّمُونَ ﴿٤٩
36:49 – “Ma yanZhuroona illa sayhatan wahidatan ta akhudhuhum wa hum yakhissimoon.” (Surah YaSeen)
“वह नहीं प्रतीक्षा कर रहे हैं, परन्तु एक कड़ी ध्वनि (धमाका) की, जो उन्हें पकड़ लेगी और वो झगड़ रहे होंगे!” (पवित्र क़ुरान ३६:४९)
﴾إِن كَانَتْ إِلَّا صَيْحَةً وَاحِدَةً فَإِذَا هُمْ جَمِيعٌ لَّدَيْنَا مُحْضَرُونَ ﴿٥٣
36:53 – “In kanat illa sayhatan wahidatan fa idha hum jamee’un ladayna muhdaroon.” (Surah YaSeen)
“बस यह एक सख़्त धमाका (आवाज़) होगा, फिर एक ही दम सब के सब हमारे सामने हाज़िर कर दिए जाएँगे!” (पवित्र क़ुरान, ३६:५३)
आपकी आवृत्ति ऊर्जा का उत्सर्जन करती है, ऊर्जा प्रकाश को प्रकट करती है।
ध्वनि => ऊर्जा => प्रकाश
इसलिए ध्वनि और हमारे द्वारा किए गये कंपन के आधार पर एक यही सूत्र (फ़ॉर्म्युला) है: ध्वनि, ऊर्जा, प्रकाश – यह तीन हैं। आप यह नहीं कह सकते कि, ‘मेरे पास प्रकाश है’, मगर आपके पास आवृत्ति नहीं है। तब आपकी आवृत्ति बहुत निम्न स्तर की ध्वनि होती है, जहाँ आपके कार्य बहुत कम होते हैं और आप एक रौशन आत्मा होने का दावा करते हैं; यह असंभव है। आपके प्रकाश की आवृत्ति आपके ऊर्जा से निकलेगी; आपकी ऊर्जा अपने प्रकाश को प्रकट कर रही होगी।
तो कालातीत वास्तविकता में ही हमारी पूरी खोज है; समय की वास्तविकता में नहीं। समय की वास्तविकता का मतलब है, खाओ, पियो और सो जाओ और वह सब शारीरिक चीज़ें हैं, जैसे के चलना और बात करना। पर वो जो आपसे चाहते हैं, वह है आपकी आत्मा की समयहीन वास्तविकता, उसे एक ऊर्जा की ज़रूरत होती है। उसे अधिक ऊर्जा की ज़रूरत होती है; आपकी रोशनी उस स्पेक्ट्रम को उत्सर्जित नहीं कर रही है जिसकी उसे आवश्यकता है। यह प्रकाश के एक स्पेक्ट्रम पर एक असीम क्षमता है।
हमद (प्रशंसा) और ज़िक्र से अपने प्रकाश के स्पेक्ट्रम को बुलंद करो।
जब वे आपको प्रकाश दिखाते हैं, तो पता चलता है कि, प्रकाश की एक असीम क्षमता है। हम जो प्रकाश के स्पेक्ट्रम को उपयोग में लाते हैं वह इलेक्ट्रोमैग्नेटिक (विद्युत चुंबकीय) के सबसे निम्नतम स्तर का होता है। यह मान लीजिए कि प्रकाश की आवृत्ति और उसके डिग्रीज़ एक असीम दराजात और पद पर हैं।
मतलब यह है की हम प्रकाश के सबसे कम स्तर पर हैं, और अल्लाह चाहता है की हम आगे बढ़ें, और अपने प्रकाश को बुलंद करें। अपनी आत्मा को अधिक शक्तिशाली करें। आप अपनी आत्मा को कैसे अधिक शक्तिशाली बनाएँगे ?आपको अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होगी। आप अपनी आत्मा के लिए कैसे लाएँगे अधिक ऊर्जा ? यह आपके द्वारा की गई ध्वनि से होता है। जो ध्वनि आप बनाते हैं, जो ज़िक्र और जप आप करते हैं, उसका सीधा प्रभाव आपके प्रकाश और ऊर्जा, और आपके प्रकाश और उसकी आवृत्ति पर होता है, आपके प्रकाश के स्तर और आत्मा पर होता है।
इसका मतलब यह है कि, अब वे हमें समझाना शुरू करते हैं कि वह वास्तविकता ही हमारे लिए सब कुछ है । जितना हम बदलाव लाते हैं, जितना हम जप करते हैं, जितना हम उस ऊर्जा में साँस लेते हैं, प्रकाश का वह स्पेक्ट्रम उच्च से उच्च्तर होता जाता है।
ध्वनि की वास्तविकता और पवित्र आत्माओं की सिफ़ारिश।
फिर हमारे मार्गदर्शक हमें सिखाते हैं: जैसे कि अभी की तरह, वे दूसरे यंत्र की आवृत्ति ला सकते हैं। इस ग्लास की अपनी एक आवृत्ति है, उसका अपना एक जप है जो वह कर रही है। वे बाहर से आवृत्ति उस तक ला सकते हैं और उसको चकनाचूर कर सकते हैं।
सिफ़ारिश की संकल्पना ही वह वास्तविकता है। यह बहुत पवित्र आत्माओं के उपकरण हैं ।जब आप मुझे (अल्लाह अज़्ज़ व जल) को याद करते हैं और इन पवित्र आत्माओं को याद करते हैं तो वे चाहते हैं कि हम वास्तविकता के माध्यम से सोंचे। हम इस पर सोंचते हैं और विचार करते हैं। जब आप पवित्र आत्माओं को सभा में आह्वान करते हैं और ईश्वर की प्रशंसा करते है, ‘अपने नबियों को लाओ, अपने संतों को लाओ, स्वर्गदूतों को लाओ, उन्हें इस सभा में लाओ’, ये प्रकाश और प्रकाश की वास्तविकता यह है की वह अलग नहीं रहता। जब प्रकाश इस कक्ष में आता है तो वह तुरंत सब कुछ को अपनी बरकत से रोशन करना शुरू करता है।
अब हम एक निम्न स्तर पर हैं और उनकी (संतों की) रोशनी की शक्ति अकल्पनीय है और उच्च स्तर पर है। जब वह ऊर्जा कक्ष में आना शुरू होती है, तो तुरंत उस प्रकाश की आवृत्ति, उस प्रकाश की ऊर्जा, हमारी आवृत्ति को बढ़ाती है। यह हमारी उन सब ग़लत और बुरी विशेषताओं को चकनाचूर कर देती है जो हमारी आवृत्ति को उच्च स्तर पर जाने से रोकती है। वे उसे चकनाचूर करते हैं, और चकनाचूर करते हैं, और चकनाचूर करके अपनी आवृत्ति से उसे तैयार करना शुरू करते हैं। वे अपने रोशनी के स्तर से और अपने शक्ति के स्तर से तैयार करते हैं।
अब वे आत्माएँ बुलंद हो जाती हैं एक समयहीन वास्तविकता में क्योंकि वहाँ समय नहीं होता। वे हमारे साथ यहाँ ५ मिनट के लिए बैठने नहीं आए हैं। वे हमें इस वास्तविकता के बारे में क्या सिखाना चाह रहे हैं, इसे शब्दों में कहना बहुत मुश्किल है। यह एक खिड़की की तरह है जो साई-फ़ाई फ़िल्म की तरह खुलती है।
मर्गदर्शक हमारे प्रकाश को वरदान दे रहे हैं एक समयहीन क्षेत्र से।
जैसी ही जप शुरू होता है और यह सभा आरम्भ होती है, तो ये एक खिड़की खुलने के समान है, जहाँ से आत्मिक प्रकाश आता है और हमारे प्रकाश को वरदान देता है। यह प्रकाश अब एक समयहीन क्षेत्र में है। यह एक ऊर्जा का स्थान है जो अनन्त है, क्योंकि स्वर्ग से हमारे कुछ चीज़ को सजाया है इस धरती पर हमारे होने से। वह तुरंत एक क्षेत्र खोलता है जो एक समयहीन वास्तविकता है।
यह एक पन्ने जैसा है। हर जप, हर सभा, और हर स्वर्गीय क्रिया जो हम करते हैं वह वास्तविकता के एक अनन्त पन्ने को खोलती है और वहाँ ऊर्जा हो रही है। वे स्वर्गदूत अब आत्माओं को सदा के लिए वरदान दे रहे हैं; पैग़म्बरों की वास्तविकता अब आत्मा को वरदान दे रही है; संत आत्मा को वरदान दे रहे हैं। मतलब यह है कि उनके साथ सहयोग अनन्त है, अब वह एक अनन्त क्षेत्र में प्रवेश कर रहा है; वह जो उच्च है, वह जो अनन्त है और वह जो समयहीन है।
प्रकाश और अनन्त काल की दुनिया के साथ एक सम्बंध बनाएँ।
तो वे हमें सिखाते हैं कि: सबसे बड़ा उपहार और सबसे बड़ी वास्तविकता है कि हम चिंतन करें। नबी ﷺ का इरशाद है कि, ‘अगर आप १ घंटे का चिंतन करते हैं, (तफक्कर साअती), और अच्छा तफ़्फ़ककूर (चिंतन) करते हैं तो वह ७० साल की इबादत बराबर है।
تَفَكُرْ سَاعَةٍ خَيْرٌ مِنْ عِبَادَةِ سَبْعِينْ سَنَةً
“Tafakkur sa’atin khairun min ‘Ibadati sab’een sanatan.”
“एक घंटे का चिंतन सत्तर साल की इबादत से अधिक मूल्यवान है।” (नबी मुहम्मद ﷺ)
इसका मतलब यह है कि, वे हमें आइन्स्टायन की थिरी दे रहे हैं क्योंकि आइन्स्टायन ने कहा है कि, यदि हम प्रकाश की गति से यात्रा करते हैं, और हम धरती छोड़ कर वापस आते हैं तो इस धरती पर ७० साल बीत चुके होंगे।
मार्गदर्शक हमें सिखा रहे हैं कि: जैसे ही आप चिंतन की दुनिया में प्रवेश करते हैं, तो सब कुछ जो इस्लाम में है उसका उपयोग करें, शारिरिकता को अनुशासित करने के लिए अपनी सभी प्रथाओं का उपयोग करें। फिर खुलना शुरू होती है आत्मा और प्रकाश की वास्तविकता। हमें इस प्रकाश पर ध्यान देना चाहिए। जैसे ही प्रकाश की दुनिया खुलना शुरू होती है और आप इन आत्माओं का आह्वान करते हैं, इन माहिर उस्तादों का आह्वान करते हैं, स्वर्गदूतों का आह्वान करते है और दिव्य उपस्थिति का आह्वान करते हैं, तो ऊर्जा का एक क्षेत्र खुलता है और अनन्त काल के साथ एक रिश्ता शुरू होता है। हमारे अस्थायी दुनिया से, एक थोड़े समय की ज़िंदगी से, हम वास्तव में वह जो अनन्त है उससे रिश्ता रख सकते हैं: वह है प्रकाश की दुनिया।
प्रकाश के लोगों की संगति रखो।
इसलिए सभी परम्पराएँ प्रकाश के (रोशनी) लोगों का आह्वान करते हैं, रोशनी के वास्तविकता का आह्वान करते हैं, क्योंकि जब आप ध्यान और चिंतन करते हैं और जब आप उनका आह्वान करते हैं तो आप एक रिश्ता बनाते हैं। अल्लाह पवित्र क़ुरान में कहता है, “इत्तखूल्लाहि व कुनु माअस सादिखींन।”
﴾يَا أَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُوا اتَّقُوا اللّهَ وَكُونُوا مَعَ الصَّادِقِينَ ﴿١١٩
9:119 – “Ya ayyuhal ladheena amanoo ittaqollaha wa kono ma’as sadiqeen.” (Surat At-Tawbah)
“ऐ ईमान लाने वालों , अल्लाह का डर रखो और सच्चे लोगों के साथ हो जाओ।” (सुरे तौबा ९:११९)
सत्यवादी (सादिखींन) लोगों की संगति रखें, क्यो – क्योंकि ये है वह वास्तविकता है। वे रोशनि वाले लोगों की संगति इसलिए रखते हैं क्योंकि जब उनकी संगत आप तक आती है और आप अपने आप को प्रशिक्षित (ट्रेन) करना शुरू करते हैं कि कैसे आप उनकी संगत रख सकते हैं, तो अन्नत काल के क्षेत्र खुलना शुरु होते हैं।हर समय जब आप उनसे मिलते हैं और ताल्लुक़ स्थापित करते हैं, तो वह एक अनन्त वरदान है। यह असम्भव है कि आप मवलाना शेख़ से ताल्लुक़ स्थापित कर पाते हैं, आप नबी ﷺ से ताल्लुक़ स्थापित कर पाते हैं तो वह सभा कभी ख़त्म हो सकती है। यह एक अनन्त सभा है; उनके क्षेत्र में कोई समय नहीं है।
अब आप कल्पना कीजे कि आप अपने ह्रदय की वास्तविकता को खोल रहे हैं और जैसे ही आप ये विचार करते है, आप उनके साथ हैं। अन्नत काल का वह क्षेत्र आपको सिखा रहा है और तय्यार कर रहा है। आपकी हर सभा जो प्रकाश की दुनिया में है वह अब आपकी वास्तविकता का एक अन्नत पन्ना बन जाती है।
यह ऐसी चीज़ है जिसकी माली दुनिया से कोई तुलना नहीं की जा सकती है। हम इस माली दुनिया में क्या कर सकते हैं जो इसकी तुलना भी करेगा। इसलिए नबी ﷺ हमें निर्देशित कर रहें हैं: तफ़्फ़ाक्कूर और चिंतन करो; क्योंकि जब हम चिंतन करते हैं और स्वर्गदूतों का आह्वान करते है और संतों, दिव्य उपस्थिति और नबियों का आह्वान करते हैं तो हमारा ह्रदय खुलना शुरू होता है। हम ईश्वर से माँग रहे हैं, “मैं उन लोगों के साथ रहूँ जिनके साथ आप (ईश्वर) प्रसन्न हो।”
यदि वह ऊर्जा का क्षेत्र खुलता है, तो वह ऐसी चीज़ नहीं जिसके बारे में आप बात कर सकते हैं, जीभ को उसका वर्णन करना कठिन होगा। वे हमसे यही चाहते हैं, एक समयहीन वास्तविकता। यह है उस समय में प्रवेश करना जो कालातीत और शाश्वत है, इंशाल्लाह, यह अनन्त वरदान होगा! उसके उपर कालातीतता है जहाँ वह दिव्य की इच्छा बन जाती है जो नबी के ह्रदय में प्रकट होती है!
Subhana rabbika rabbal ‘izzati ‘amma yasifoon, Wa salaamun ‘alal mursaleen, walhamdulillahi rabbil ‘aalameen. Bi hurmati Muhammad al-Mustafa wa bi sirri surat al-Fatiha.
इस सोहबाह का प्रतिलेखन करने में हमारे प्रतिलेखकों के लिए विशेष धन्यवाद।
सुहबा की मूल तारीख: जून २७, २०१७
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