
रमदान में, अल मुंतक़िम शैतान से हमारा बदला लेता है
मौलाना (क़) के वास्तविकताओं से, जैसा कि शेख़ नूरजान मीरअहमदी ने सिखाया है।
A’udhu Billahi Minash Shaitanir Rajeem
Bismillahir Rahmanir Raheem
पनाह माँगता हूँ मैं अल्लाह की शैतान मर्दूद से,
शुरू अल्लाह का नाम लेकर, जो बड़ा मेहरबान, निहायत रहम वाला है।
अल्लाह (अज़्ज़ व जल) की हम पर सबसे बड़ी रहमत सय्यिदिना मुहम्मद ﷺ हैं
रमदान के पवित्र महीने में, रमदान के पहले दस दिन रहमाह और दया के होते हैं।
[عَنْ سَلْمَانِ اَلْفَارِسِيْ رَضِيْ اللهُ عَنْهُ، أَنْ رَسُوْلُ اللَّهِ ﷺ قال: ” شَهْرُ رَمَضَانَ أَوَّلُهُ رَحْمَةٌ ، وَأَوْسَطُهُ مَغْفِرَةٌ ، وَآخِرُهُ عِتْقٌ مِنَ النَّارِ.” [المصدر: الإمَامْ اَلْألْبَانِي
(مِشْكَاةْ اَلْمَصَابِيحْ) ، كتاب ٧، حديث ٩
‘An Salman al Farsi (ra), an Rasulullahiﷺ qala: “Shahru Ramadana awwalahu rahmatun, wa awsatuhu maghfiratun, wa akhiruhu ‘itqun minan naar.” [Al Imam al Albani, Meshkat al Misabih, Kitab 7, Hadith 9]
सलमान अल फ़ारसी (र.अ) द्वारा वर्णित है कि, अल्लाह के रसूल ﷺ ने कहा, “रमदान के महीने के पहले (दस दिन) रहमत है, मध्य (दस दिन) क्षमा है, और अंतिम (दस दिन) मुक्ति/आग से मोक्ष है। [इमाम अल अल्बानी मिश्कत अल मसाबिह – 1965, किताब 7, हदीस 9]
और अल्हम्दुलिल्लाह, औलियाल्लाह की तालीम से कि अल्लाह (अज़्ज़ व जल) की सबसे बड़ी रहमत सय्यिदिना मुहम्मद ﷺ हैं। तो, आप एक और एक को एक साथ रखते हैं और समझते हैं कि अल्लाह (अज़्ज़ व जल) आत्माओं को दर्शन प्रदान करता है और सय्यिदिना मुहम्मद ﷺ से निकटता। और रमदान के सियाम (उपवास) के माध्यम से इन महान ज्योतियों और महान आशीषों को प्राप्त करना है।
हर क्रिया उसके इरादे के अनुसार होती है
और हमेशा एक त्वरित अनुस्मारक कि, रहमा (दया) के इन पहले दस दिनों में, जब लोग इमसाक (उपवास शुरू करने के लिए खाना बंद करना) के समय को लेकर चिंतित हो जाते हैं, और आपकी पीठ कितनी सीधी होनी चाहिए, और कितनी देर तक तरावीह होनी चाहिए, यह सब अच्छा है लेकिन यह आपकी वास्तविकता से बहुत बड़ा ध्यान भटकाने वाला है। कि,अल्हम्दुलिल्लाह, सलातुल फ़ज्र से आधा घंटा कुछ पहले या कुछ बाद, और आप फिर ठीक हैं (इमसाक के लिए)। और जब आप उन बिंदुओं के बारे में बहुत अधिक चिंता करते हैं जिन्हें आप महत्वपूर्ण मानते हैं, लेकिन आप बड़ी तस्वीर से चूक जाते हैं। और वह सेवक के लिए मुश्किल हो जाता है।
कि अल्हम्दुलिल्लाह, अहलुल हक़ाएक़ और वास्तविकताओं के लोगों से, वे हमें अपना सर्वश्रेष्ठ करना सिखा रहे हैं, “कुलुन ‘अमलू बिननियात” और अल्लाह (अज़्ज़ व जल) ग़फ़ूर उर रहीम (समस्त क्षमाशील, सबसे दयालु) है।
عَنْ أَمِيرُ الْمُؤْمِنِينَ عُمَرَ بْنِ الْخَطَّابِ عَلَيْهِ السَّلَامُ قَالَ: قَالَ رَسُولُ اللَّهِ ﷺ: «إِنَّمَا الْأَعْمَال بِالنِّيَّاتِ.”
[صَحِيِحْ مُسْلِم: رقم ١٩٠٧، كتاب ٣٣، حَديث ٢٢.]
‘An Amirul Mumineen ‘Umar ibn al Khattab (as) qala: qala Rasulullahi ﷺ: “Innama al ‘aamaalu bin niyaat.”
[Sahih Muslim, Raqam 1907, Kitab 33, Hadith 22]
विश्वासियों के नेता ‘उमर इब्न अल- ख़त्ताब (अ.स.) ने बताया कि अल्लाह के रसूल (ﷺ) ने कहा: “वास्तव में सभी कर्म / कार्य उनके इरादों पर आधारित हैं।” [स्रोत: मुस्लिम द्वारा प्रामाणिक: संख्या 1907, पुस्तक 33, हदीस 22]
अपने आप से पूछें कि क्या आप बुरे कार्यों में भाग ले रहें हैं
रमदान की ज़बरदस्त हक़ीक़त यह नहीं है कि आप दो मिनट आगे या पीछे हैं और दो डिग्री कम हैं, और आपकी पीठ पूरे 45 डिग्री के कोण पर नहीं है। यह वह नहीं है, बल्कि यह है कि क्या उपवास की स्थिति में आपके हृदय में करुणा और दया है। उपवास की स्थिति में, क्या आप गपशप कर रहे हैं और चुगली कर रहे हैं और अल्लाह (अज़्ज़ व जल) के हर नियम को तोड़ रहे हैं और बुरे कार्यों, बुरी ऊर्जाओं में प्रवेश कर रहे हैं? आपने रमदान को खो दिया, तो अगर इमसाक टाइमिंग सही नहीं है तो चिंता क्यों करें?
इसका मतलब है कि शैतान ने हमें उन चीजों के बारे में चिंतित किया है जो…आप नहीं कह सकते कि महत्वपूर्ण नहीं हैं लेकिन लक्ष्य नहीं है। और जो वस्तुएँ वास्तव में महत्वपूर्ण हैं, वह हमें भुलक्कड़ बना देता है। और यही कठिनाई है। लेकिन अल्हम्दुलिल्लाह, सही मार्गदर्शकओँ की संगति रखने से वे भुलक्कड़ नहीं होते। उनका दिल खुला है, उनकी आँखें खुली हैं और उनका मार्गदर्शन किया जा रहा है। वे पुरस्कार नहीं चूकते।
अच्छे चरित्र बिना आपका उपवास नकारा जाता है
रमदान का इनाम अल्लाह (अज़्ज़ व जल) आपको इन वसातविकताओं से, अच्छे चरित्र से प्रदान करना चाहता है। अच्छे चरित्र का पालन करने से, चुगली न करने से, ग़ुस्सा न करने से, धोका न देने से, चोरी न करने से, बल्कि अच्छे चरित्र वाले होने से, तो अल्लाह (अज़्ज़ व जल) अपने नेमत को पूरा कर सकता है, उस सेवक पर अपना एहसान पूरा कर सकता है। वह पोशाक है, वह आशीर्वाद है, और अच्छे चरित्र के साथ, आत्मा सय्यिदिना मुहम्मद ﷺ के साथ अपनी निकटता और नज़दीकी पाती है; ना की आप अपना उपवास शुरू करने में पाँच मिनट आगे पीछे हैं। ये वे बातें हैं जिन्हें आपने समझा। इससे छुटकारा लो, यह समाप्त हो गया।
लेकिन मुख्य वास्तविकता यह है कि अल्लाह (अज़्ज़ व जल) अच्छा चरित्र चाहता है। इसका मतलब है कि यदि आप उपवास की स्थिति में हैं और आप समय पर अपनी प्रार्थना नहीं करते, और आपके पास अच्छा चरित्र नहीं है, और आप ग़ुस्से में हैं, आप चिल्ला रहे हैं, चीख रहे हैं, चोरी कर रहे हैं, धोखा दे रहे हैं और ग़लत तरीके से उन लोगों से बातचीत कर रहे हैं जो विश्वास करते हैं या अविश्वास। इससे अल्लाह (अज़्ज़ व जल) को कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता, उसके बन्दे, वह सब उसी के बन्दे हैं। फिर उपवास का प्रयोजन क्या? सब कुछ नकारा हो जाता है और उपवास वह हासिल नहीं कर पाया जो अल्लाह (अज़्ज़ व जल) इसके के लिए चाहता था!
9वां महीना 81 की वास्तविकता खोलता है
हमारे हाथ 81 और 18 के साथ एंकोडेड हैं
औलियाल्लाह के ज्ञान से, और उनकी वास्तविकताओं और शिक्षाओं से यह है कि हर महीना एक हिजाब (घूँघट) है और यह जहाज़ मारिफ़ा (प्रज्ञानवाद) के महासागरों की ओर बड़ रहा है, जहां वे उनकी समझ से बाब अत तौबा (पश्चाताप का द्वार) के द्वार से जाते हैं। और मदीने मुनव्वरा में एक बाब अत तौबा है नबी ﷺ की उपस्थिति में प्रवेश करने के लिए।
कि बाब अत तौबा के माध्यम से और नौ की वास्तविकताओं के माध्यम से, और संख्या नौ की सल्तनत के माध्यम से, वे आगे बढ़ रहे हैं। नौवें महीने में, वे अब शक्ति के एक ज़बरदस्त महासागर में प्रवेश कर रहे हैं। 9×9, 81 की वास्तविकताओं को खोलता है और आपके बाएं हाथ पर 81 की मुहर लगी है। यह आपका ‘उल्टा त्रिकोण’ है जिस पर एक रेखा है वह 81 हैं। दाहिना हाथ 18 है – आपके अस्तित्व की सही समरूपता।
अल्लाह (अज़्ज़ व जल) का 81वां नाम – अल मुंतक़िम,
पैग़म्बर मुहम्मद ﷺ का 81वां नाम – दुल फ़दल
आपका बायां हाथ आपको यह याद दिलाने के लिए है कि दलाएल उल ख़ैरात (नबी ﷺ पर प्रशंसा की किताब) से अल्लाह (अज़्ज़ व जल) का 81वां नाम अल मुंतक़िम है, जो बदला लेता है। नबी ﷺ का 81वां नाम वह पोशाक है; इसका मतलब है कि अल्लाह (अज़्ज़ व जल) के हर नाम में नबी ﷺ के नाम की पोशाक होनी चाहिए। यह चाबी है, अल मिफ़्ताह उर रहमा, यह सभी दया की चाबी है। कि जब पैग़म्बर ﷺ का नाम इस्मुल्लाह (अज़्ज़ व जल) को खोलता है। इसका मतलब है कि उस नाम के लिए, अल-मुंतक़िम को खोलने के लिए, यह हर अनुग्रह के स्त्रोत दुल फ़दल के नाम से खुलता है। सय्यिदिना मुहम्मद ﷺ का [81वां] नाम दुल फ़दल है, जिसका अर्थ है कि वह अल्लाह (अज़्ज़ व जल) के सभी अनुग्रह का स्त्रोत है।
शैतान उन वास्तविकताओं को नष्ट करना चाहता है जिन्हें अल्लाह (अज़्ज़ व जल) ने हमारे लिए अभिप्रेत किया है
फिर तफ़क़्क़ुर और चिंतन के साथ, वे सिखाना शुरू करते हैं कि जब अल्लाह (अज़्ज़ व जल) हमें यह पोशाक और यह सम्मान देना चाहता है, तो वह मुंतक़िम, क्योंकि लोग कहते हैं कि इतना शक्तिशाली नाम क्यों? क्योंकि इसकी बहुत ज़रूरत है। जहाँ औलियाल्लाह नबी ﷺ से फरियाद कर रहे हैं, अपने से ऊपर के सभी औलिया से फरियाद कर रहे हैं कि “या रब्बी, अलस्तु बी रब्बिकुम से, क़ालू बला।”
﴾وَإِذْ أَخَذَ رَبُّكَ مِن بَنِي آدَمَ مِن ظُهُورِهِمْ ذُرِّيَّتَهُمْ وَأَشْهَدَهُمْ عَلَىٰ أَنفُسِهِمْ أَلَسْتُ بِرَبِّكُمْ ۖ قَالُوا بَلَىٰ ۛ شَهِدْنَا ۛ أَن تَقُولُوا يَوْمَ الْقِيَامَةِ إِنَّا كُنَّا عَنْ هَـٰذَا غَافِلِينَ ﴿١٧٢
7:172 – “Wa idh akhadha rabbuka min banee adama min Zhuhorihim dhurriyyatahum wa ashhadahum ‘ala anfusihim alastu biRabbikum qalo bala shahidna an taqolo yawmal qiyamati inna kunna ‘an hadha ghafileen.” (Surat Al-A’raf)
“और [याद दिलाओ] जब तुम्हारे रब ने आदम की सन्तान से अर्थात उनकी परमाणुओं/पीठों से – उनकी सन्तति निकाली और उन्हें स्वयं उनके ऊपर गवाह बनाया कि “क्या मैं तुम्हारा रब नहीं हुँ?” बोले, “हाँ, हम गवाह हैं।” [ऐसा] – इसलिए किया कि तुम क़ियामत के दिन कहीं यह न कहने लगो कि ‘हमें तो इसकी ख़बर ही न थी।‘” (सूरत अल-अराफ़, 7:172)
या रब्बी (हे मेरे प्रभु), जिसे हमने स्वीकार किया और इस प्रभुत्व में प्रवेश किया, आपने हमें एक भयंकर प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ खड़ा कर दिया। शयातीन के खिलाफ वह सब कुछ नष्ट कर रहे हैं जो हमने सोचा था कि हम इस दुनिया (भौतिक दुनिया) में हासिल करने जा रहे हैं। उसके पास [शैतान] अनंत जीवन जीने का लाभ है। वह सारी तरकीबें जानता है। हम थोड़े समय के लिए आते हैं और जब तक आप तरकीबें सीखते हैं, तब तक आपका खेल खत्म हो चुका होता है। उसने पहले ही सब कुछ हरा दिया। तो, इसका मतलब यह है कि वह हमारी वास्तविकता को नष्ट कर रहा है, उन सभी मक़ामों और स्थानों को नष्ट कर रहा है जो अल्लाह (अज़्ज़ व जल) ने सेवक के लिए अभिप्रेत किया था।
रमदान में अल्लाह (अज़्ज़ व जल) हमें दिव्य रोशनी से सजाना चाहता है
तो, रमदान और रमदान की वास्तविकताओं से यह है कि आप नौ और शक्ति के महासागरों में प्रवेश कर रहे हैं। वह ज़िक्र जो अल्लाह (अज़्ज़ व जल) 12 हिजाबों पर कर रहा है। ये 12 हिजाब और रोशनी हैं जो अल्लाह (अज़्ज़ व जल) सदा के लिए पैग़म्बर ﷺ की वास्तविकता पर एक ज़िक्र (ईश्वरीय स्मरण) कर रहा है, कोई समय नहीं है। तो, इसका मतलब है कि अल्लाह (अज़्ज़ व जल) इन ज़िक्रों को असीम और लगातार कर रहा है। इस महीने में पैगंबरी का हिजाब, उसकी रिसालत है। इसका ज़िक्र है “सुभाना मन तक़र्रब बिल क़ुदरती वल बक़ा।”
سُبْحَانَ مَنْ تَقَرَّبْ بِالْقُدْرَةِ وَالْبَقَا
“Subhana man taqarrab bil qudrati wal baqa.”
“उसकी जय हो जो उसकी सर्वशक्तिमत्ता और अमरता के निकट आता है।”
यह हमारे शम्स उल आरिफ़ीन के आरेख पर है, “महिमा उसकी हो जो सर्वशक्तिमान है, जो हर जगह मौजूद है।” वह शक्ति जो सर्वत्र विद्यमान है, जो न कभी सोती है, न ऊंघती है, न कभी नष्ट होती है। वह प्रकाश, वह ऊर्जा वही है जो अल्लाह (अज़्ज़ व जल) आत्मा को पहनाना चाहता है। क्यों? क्योंकि यह ‘आरीफ़ीन (ज्ञानी) और पैग़म्बर ﷺ का तरीका है। इस पवित्र महीने में अल्लाह (अज़्ज़ व जल) जो पोशाक पहना रहा है, “सुभाना मन तक़र्रब बिल क़ुदरती वल बक़ा” पैगंबर ﷺ की आत्मा को सजा रहा है। [क्यूएन]
﴾لَا تَأْخُذُهُ سِنَةٌ وَلَا نَوْمٌ. لَّهُ مَا فِي السَّمَاوَاتِ وَمَا فِي الْأَرْضِ ۗ...وَسِعَ كُرْسِيُّهُ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضَ ۖ ... ﴿٢٥٥
2:255 – “…laa taakhuzuhoo sinatunw wa laa nawm; lahu maa fis samaawaati wa maa fil ard;…” (Surat Al-Baqarah)
“…उसे न ऊँघ लगती है और न निद्रा। उसी का है जो कुछ आकाशों में है और जो कुछ धरती में है …” (सूरत अल-बक़रा, 2:255)
उपवास द्वारा अल्लाह (अज़्ज़ व जल) हमें ऐसी बरकतें प्रदान करता है जिसे कोई नहीं जानता
हम माँग रहे हैं, या रब्बी, कि हम इन ‘आशिक़ीन (प्रेमियों) और’ आरिफ़ीन (ज्ञानियों) से होने के लिए माँग रहे हैं और जो उनके जैसे हैं। कि हमारा जहाज़ उनके जहाज़ पर हो, और उनका जहाज़ उस वास्तविकता में आगे बढ़ रहा है और पारपथ कर रहा है। तो, हम उस तक कैसे पहुँचेंगे? अल्लाह (अज़्ज़ व जल) फ़रमाता है, ‘उन्हें उपवास करने दो। यह वह वास्तविकता नहीं है जिसे वे अपनी सलाह (प्रार्थना) से प्राप्त कर सकते हैं। यह वास्तविकता नहीं है जिसे वे अपनी ज़कात (दान) से ख़रीद सकते हैं। यह वास्तविकता है जिसे मैं उनके सियाम (उपवास) के ज़रिए ही उन्हें प्रदान करूंगा। कि कोई नबी नहीं जानता, कोई फ़रिश्ता नहीं जानता कि मैं उन्हें कौन-सी रोशनी प्रदान करूंगा।
औलिया की आत्माएँ, प्रकाश के जहाज़ की तरह, सवार सभी यात्रियों को सजाती हैं
वे इस फ़ुलूक में केवल यात्री हैं और ये फ़ुलकिल मशहून हैं, कि वे लदे हुए जहाज़ हैं।’
﴾وَآيَةٌ لَّهُمْ أَنَّا حَمَلْنَا ذُرِّيَّتَهُمْ فِي الْفُلْكِ الْمَشْحُونِ ﴿٤١
36:41 – “Wa ayatul lahum anna hamalna dhurriyyatahum fil fulkil mashhooni.” (Surat YaSeen)
“और एक निशानी उनके लिए यह है कि हमने उनके परमाणुओं/पूर्वजों को भरी हुई नौका में सवार किया।” (सूरत अल-या सीन, 36:41)
प्रत्येक आत्मा, यदि हम मलकुत और प्रकाश की दुनिया को समझते हैं, कि उनकी आत्माएँ विशाल ‘प्रकाश के जहाज़’ हैं। और जो भी उनके संपर्क में आता है, वह चाहता है या नहीं चाहता है, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। उनकी आत्मा दूसरे लोगों के परमाणुओं, उनकी अन्य रोशनी को पकड़ लेगी, उन्हें पकड़ लेगी और उन्हें अपनी आत्मा पर एक यात्री बना देगी। और जैसा कि उनके जहाज़ पैग़म्बर ﷺ के महासागरों में चल रहे हैं, हर ज़िक्र, हर ‘इबादत, हर आराधना जो वे कर रहे हैं, उन सभी यात्रियों को अपने परमाणु के साथ तैयार करेंगे। उनका केवल एक अणु उस जहाज़ पर उस सेवक की उस आत्मा पर होगा जो प्रकाश के उन महासागरों में जा रही है।
अल-मुंतक़िम शैतान द्वारा हम पर रखी हर चीज़ को नष्ट कर देता है
और इसीलिए जब वे उस सागर में आ रहे होते हैं तो वह हिजाब खुलने लगता है; हिजाब अर-रहमा, हिजाब अल-मग़फ़िराह , व इत्क़ुन मिनन नार।
عَنْ سَلْمَانِ اَلْفَارِسِيْ رَضِيْ اللهُ عَنْهُ، أَنْ رَسُوْلُ اللَّهِ ﷺ قال: ” شَهْرُ رَمَضَانَ أَوَّلُهُ رَحْمَةٌ ، وَأَوْسَطُهُ مَغْفِرَةٌ ، وَآخِرُهُ عِتْقٌ مِنَ النَّارِ.” [المصدر: الإمَامْ اَلْألْبَانِي ( مِشْكَاةْ اَلْمَصَابِيحْ) ، كتاب ٧، حديث ٩]
‘An Salman al Farsi (ra), an Rasulullahiﷺ qala: “Shahru Ramadana awwalahu rahmatun, wa awsatuhu maghfiratun, wa akhiruhu ‘itqun minan naar.” [Al Imam al Albani, Meshkat al Misabih, Kitab 7, Hadith 9]
सलमान अल फ़ारसी (रा) द्वारा वर्णित है कि, अल्लाह के रसूल ﷺ ने कहा, “रमदान के महीने के पहले (दस दिन) रहमत है, मध्य (दस दिन) क्षमा है, और अंतिम (दस दिन) मुक्ति/आग से मोक्ष है।“ [इमाम अल अल्बानी मिश्कत अल मसाबिह – 1965, किताब 7, हदीस 9]
फिर वे माँग रहे हैं, ‘या रब्बी, आपके सिफत अल-मुंतक़िम से, कि हमारा बदला लो। या रब्बी, शैतान ने हम पर जो कुछ डाला है और इन सभी मकामों और इन सभी रोशनी और इन सभी वास्तविकताओं को जो तुमने हमारे लिए इरादा किया था उसने नष्ट कर दिया है उसका बदला लो। और केवल वह सिफत (गुण) एक हथौड़े की तरह आ सकता है और वह सब जो शैतान (शैतान) कर रहा है नष्ट कर सकता है।
उसने जो कुछ भी बनाया, उसने इस खूबसूरत आत्मा पर एक भयानक आकृति डाल दी, और उस पर हर गंदगी और मलिनता डाल दी, और यह सोचकर कि वह दण्ड से बच जाएगा। अल्लाह (अज़्ज़ व जल) फ़रमाता है, ‘नहीं, नहीं, तुम रमदान तक रुको और तुम देखो कि मैं इसे चकनाचूर करने जा रहा हूँ और इसे मिटा दूंगा जैसे कि कुछ भी नहीं है।’
हमारा उपवास हमें कठिनाई से बचाता है
जब सिफत अल-मुंतक़िम आता है, तो वह आता है और वह सब कुछ चकनाचूर कर देता है और मिटा देता है जिससे अल्लाह (अज़्ज़ व जल) खुश नहीं है। इसीलिए रमदान के महीने में आपको धरती पर इतनी मुश्किलें नज़र आती हैं। एह, क्योंकि अल्लाह (अज़्ज़ व जल) अपनी सारी रचना से प्यार करता है। यदि आप उपवास कर रहे हैं, तो आप बहुत धन्य हैं क्योंकि उपवास की अवस्था आपकी रक्षा करती है और सभी अशुद्धियों को मिटा देती है। यदि उपवास की स्थिति में नहीं हैं, तो आपको यह महीना अत्यधिक कठिन, बहुत अधिक अत्याचार, बहुत कठिनाई वाला लगना चाहिए। अल्लाह (अज़्ज़ व जल) सारी पृथ्वी के चकनाचूर करने की प्रक्रिया शुरू करता है, उसकी सारी बाढ़ के साथ, उसके सारे ज़िलज़िलह (भूकंप), उसके सारे विनाश के साथ। क्यों? क्योंकि सिफत अल-मुंतक़िम पृथ्वी पर गतिमान है।
अल्लाह (अज़्ज़ व जल) हमारी बुराईयों को नष्ट करता है और पैग़म्बर ﷺ हमें सुन्दरता प्रदान करते हैं
कि यदि आप उपवास की स्थिति में हैं, तो आपको इसे आनंद के साथ ग्रहण करना चाहिए क्योंकि उस उपवास का द्वार दुल फ़ज़ल (सभी अनुग्रह का स्रोत) से आ रहा है। इसका मतलब है कि सय्यिदिना दुल फ़दल ﷺ आ रहे हैं और हर उत्सर्जन के साथ सिखा रहे हैं, “क़ुल या नारू, कूनी बरदन व सलामन ‘अला इबराहीम व अहले मुहम्मद ﷺ।” इसका अर्थ यह है कि पवित्र क़ुरान की वास्तविकता जो सय्यिदिना इबराहीम (अलैहिस सलाम) पर खुली थी वह नबी ﷺ की विरासत है।
﴾قُلْنَا يَا نَارُ كُونِي بَرْدًا وَسَلَامًا عَلَىٰ إِبْرَاهِيمَ ﴿٦٩
21:69 – “Qulna ya Naaru, kuni Bardan wa Salaman ‘ala Ibrahim.” (Surat Al-Anbiya)
“हमने कहा, ऐ आग, ठंडी हो जा और सलामती बन जा इबराहीम पर।” (सूरत अल-अंबिया, 21:69)
यह कि जो अल्लाह (अज़्ज़ व जल) अशुद्धियों को नष्ट कर देता है, पैग़म्बर ﷺ वापस सुंदर महासागरों और सुंदर रहमा (दया) के साथ तैयार करते हैं। कि, ‘या रब्बी, आपने इसकी सारी कुरूपता दूर कर दी। मुझे इसे अपनी रोशनी से तैयार करने दो, मुझे उस आत्मा पर अपनी रोशनी से हस्तक्षेप करने दो। आपने मुझे जिस से सुसज्जित किया है, मैं उन्हें इससे सुसज्जित करता हूं, उन्हें आपके दिव्य महासागर में सुंदर मोती बनाता हूं और उन्हें आपको भेंट करता हूं।’ ईद उल फ़ितर पर, पैग़म्बर ﷺ इन आत्माओं को शुद्ध और स्वच्छ कर के, दिव्य उपस्थिति में पेश कर रहे हैं।
हम प्रार्थना करते हैं कि अल्लाह (अज़्ज़ व जल) हमारे लिए इन वास्तविकताओं और इन समझ को खोल दें। ये कोई छोटे महीने नहीं हैं। ये ज़बरदस्त वास्तविकताएं हैं जो हमसे ज़ुल्म को दूर करती हैं, हमसे कठिनाइयों को दूर करती हैं और यह कि अल्लाह (अज़्ज़ व जल) हमें ईश्वरीय कृपा से सुसज्जित करें और यह कि अल्लाह (अज़्ज़ व जल) हमें सय्यिदिना मुहम्मद ﷺ, अहलुल बैत उन नबी (अलैहिस सलाम) (पैग़म्बर मुहम्मद ﷺ का परिवार), असहाब उन नबी (पैग़म्बर मुहम्मद ﷺ के साथी) और औलियाल्लाह (संत) की निकटता प्रदान करें समा व फ़िल अर्द (स्वर्ग और पृथ्वी) से।
Subhaana rabbika rabbil izzati `amma yasifoon wa salaamun `alal mursaleen wal hamdulillahi rabbil `aalameen.
इस सोहबाह का प्रतिलेखन करने में हमारे प्रतिलेखकों के लिए विशेष धन्यवाद।
सुहबा की मूल तारीख :जून 12, 2016
अद्यतन : अप्रैल 29, 2021
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