अल्लाह की रस्सी को कस कर पकड़ लो, अपने आप को उस से बाँध लो जो दृढ़ है।
मौलाना (क़) के वास्तविकताओं से, जैसा कि शेख़ नूरजान मीरअहमदी ने सिखाया है।
पनाह माँगता हूँ मैं अल्लाह की शैतान मर्दूद से,
शुरू अल्लाह का नाम लेकर, जो बड़ा मेहरबान, निहायत रहम वाला है।
A’udhu Billahi Minash Shaitanir Rajeem
Bismillahir Rahmanir Raheem
﴾وَاعْتَصِمُوا بِحَبْلِ اللَّـهِ جَمِيعًا وَلَا تَفَرَّقُوا ۚ ﴿١٠٣
3:103 – “Wa’tasimo bihab lillahi jamee’an wa la tafarraqo…” (Surat Ali-Imran)
“और सब मिलकर अल्लाह की रस्सी को मज़बूती से पकड़ लो और विभेद में न पड़ो…” (सूरत अल-इमरान, ३:१०३)
Alhamdulillahi Rabbil ‘aalameen, was salaatu was salaamu ‘alaa Ashraful Mursaleen, Sayyidina wa Mawlana Muhammadul Mustafa ﷺ. Madad ya Sayyidi ya Rasulul Kareem, Ya Habibul ‘Azeem, unzur halana wa ishfa’lana, ‘abidona bi madadikum wa nazarekum.
हमारी आज्ञाकरिता अल्लाह (अज़्ज़ व जल), साय्यिदिना मुहम्मद ﷺ और अधिकार रखने वालों के लिए है।
अल्हमदुलिल्लाह, अल्हमदुलिल्लाह, कि अल्लाह (अज़्ज़ व जल) ने हमें एक अच्छा जीवन दिया, एक लंबा जीवन दिया पवित्र दिनों और पवित्र रातों को देखने के लिए। और हम हमेशा हम ख़ुद स्वीकार करते हैं कि हम कुछ भी नहीं हैं, कि मैं कुछ भी नहीं हूं और अल्लाह (अज़्ज़ व जल) की कृपा से हम आज भी अस्तित्व में हैं। और रहमा और दया के सागर में रहने के लिए माँग रहे हैं और अल्लाह (अज़्ज़ व जल) हमेशा हमें याद दिलाता है, “बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम। अतिउल्लाह अतिउर रसूल व उलिल अमरी मिंकुम।”
﴾ ياأَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُوا أَطِيعُواللَّه وَأَطِيعُوٱلرَّسُولَ وَأُوْلِي الْأَمْرِ مِنْكُمْ…﴿٥٩
4:59 – “Ya ayyu hal latheena amanoo Atiullaha wa atiur Rasula wa Ulil amre minkum…” (Surat An-Nisa)
“ऐ ईमान लानेवालो, अल्लाह की आज्ञा का पालन करो और रसूल का कहना मानो और उनका भी कहना मानो जो तुममें अधिकारी लोग हैं…” (सूरत अन-निसा, ४:५९)
अल्लाह (अज़्ज़ व जल) की रस्सी को कस कर पकड़ लो और विभेद में न पड़ो!
चाहे दुनिया (भौतिक दुनिया) और स्वर्गीय अधिकार और अल्लाह (अज़्ज़ व जल) पवित्र क़ुरान के माध्यम से याद दिलाता है कि, ‘अल्लाह (अज़्ज़ व जल) की रस्सी को मज़बूती से पकड़ो और विभेद में न पड़ो।’
﴾وَاعْتَصِمُوا بِحَبْلِ اللَّـهِ جَمِيعًا وَلَا تَفَرَّقُوا ۚ ﴿١٠٣
3:103 – “Wa’tasimo bihab lillahi jamee’an wa la tafarraqo…” (Surat Ali-Imran)
“और सब मिलकर अल्लाह की रस्सी को मज़बूती से पकड़ लो और विभेद में न पड़ो…” (सूरत अल-इमरान, ३:१०३)
और हबलिल्लाह, अल्लाह (अज़्ज़ व जल) की रस्सी, इसका मतलब है कि हबलिल्लाह के हुरूफ (अरबी अक्षरों) में भी हुब (प्यार) के लोगों से हमें सिखा रहा है। उनके पास अहलुल हयात (हमेशा रहने वाले लोग) से हा है, वे बाहरूल क़ुद्रा (शक्ति के सागर) के बा से हैं, कि हुब और प्यार के लोग जुड़े हुए हैं। और वे हब्ल हैं। वे अल्लाह (अज़्ज़ व जल) की रस्सी हैं। वे उस वास्तविकता का एक विस्तार हैं, ‘अल्लाह का पालन करें, रसूल ﷺ का पालन करें और असली उलुल अम्र (संत)’ (पवित्र क़ुरान, ४:५९)। यह उस रस्सी की तरह है जो स्वर्ग से नीचे आ रही है। और हमारा पूरा जीवन उस रस्सी को कसकर पकड़ने में है और सुरक्षा की उस रस्सी को मत छोड़ो, खासकर जब आप कठिनाइयों में प्रवेश कर रहे हैं।
शक्तिशाली यक़ीन (निश्चितता) के आधार पर संत आत्माएँ मार्गदर्शन देते हैं।
और हम आज बात कर रहे थे, और मेरे लिए एक अनुस्मारक, हमेशा मेरे लिए एक अनुस्मारक है, कि संत आत्माएं हैं और जब वे मार्गदर्शन देते हैं, तो यह कल होने वाली घटनाओं पर आधारित नहीं है। इसका मतलब कोई बोलता है और कहता है, ‘ओह, कल सड़क पर बस की दुर्घटना हो जाएगी।’ इसका मतलब वह स्तर है जिसमें उनकी निश्चितता और आध्यात्मिक समझ है, जिसे हम यक़ीन कहते हैं।
उनके यक़ीन का स्तर आपको यह बताने के लिए काफ़ी था कि कल क्या हो रहा है। यह एक छोटा यक़ीन है। यह निश्चितता की एक छोटी राशि है। अधिक शक्तिशाली वह है जब वे बोलते हैं, वे बोल रहे है आठ साल, दस साल, २० साल, १५ साल आगे का बोलते हैं और लोग समझ नहीं पाते हैं और कहते हैं, ‘ओह, शेख़ ने बहुत कुछ कहा पर वह नहीं हुआ। उन्हें पता नहीं वे क्या कह रहे हैं।’ वे कहते हैं, ‘नहीं, वे इतने निचले स्तर से नहीं बात कर रहे हैं कि इसकी घटनाएँ जो कल हो रही हैं।’
पैग़म्बर ﷺ के दिल से औलियाल्लाह का फ़िरासाह गहराई से जुड़ा है।
लेकिन ये घटनाएँ हमारी वास्तविकता में हो रही हैं। वे पांच साल में हो सकते हैं। वे छह साल में हो सकते है। लेकिन लाभ है अगर आप आज्ञाकरिता में हैं और उस वास्तविकता में हैं, तो आपको इसके लिए सुशोभित और तैयार किया गया है ताकि कोई आश्चर्य न हो कि ऐसा कुछ नहीं हुआ और क्या हुआ? इसका मतलब यह है कि उनका फिराहसाह, वह शक्ति जिसमें उनके पास निश्चितता और कनेक्शन है और गहराई जिसमें वे पैग़म्बर ﷺ के दिल से जुड़े हुए हैं, लगातार उनका यक़ीन (निश्चितता) आगे होने वाले घटनाओं के इशारात (संकेत) दे रहा है, उन घटनाओं के लिए आवश्यक तैयारी और यक़ीन (निश्चितता) का स्तर।
और हमारे लिए, जब हम दुनिया को देखते हैं जिसमें हम रहते हैं ऐसी आपदा में है, तो यह एक निरंतर अनुस्मारक है। मुझे उस समय से याद है जब हम आए थे, कि पृथ्वी पर बड़ी कठिनाइयाँ आ रही हैं। और अल्लाह (अज़्ज़ व जल)) हमारे लिए क्या चाहता है – अपनी रस्सी बांधो। उस वास्तविकता के चारों ओर अपनी रस्सी बांधें। उस वास्तविकता से चिपके रहें और खुद को उससे अलग न करें!
अपनी जड़ें पेड़ की तरह गहरी जमाएं, चट्टान पर फूल की तरह नहीं।
इसका मतलब है कि जब हम देखते हैं, और मैंने डिस्कवरी चैनल पर इन टीवी शो को देखा है जब बवंडर आता है या तूफान आना शुरू होता है। इसका मतलब यह है कि जो लोग खुद को बंद कर लेते हैं और खुद को किसी ठोस चीज पर सुरक्षित कर लेते हैं। इसका मतलब है कि आप अपने आप को जीवन में किसी ठोस चीज़ पर सुरक्षित रखते हैं; एक फूल पर नहीं जो एक चट्टान पर है, अल्लाह (अज़्ज़ व जल) जिस पहली हवा का वर्णन करता है वह एक फूल की तरह है जो एक चट्टान पर है। कि हवा आते ही वह फूल चला गया। लेकिन एक पेड़ – उन्होंने इसे एक पेड़ की तरह वर्णित किया, एक देवदार के पेड़ की तरह, सदाबहार पेड़ों की तरह कि उनकी जड़ें बहुत गहरी हैं यानी वे अपने विश्वास में दृढ़ हैं।4
अवताद, वे पहाड़ की तरह खूंटे के समान हैं, कि उनका अस्तित्व उनकी जड़ों में बहुत गहराई तक जाता है।
﴾وَالْجِبَالَ أَوْتَادًا ﴿٧
78:7 – “Wal jibala awtadan.” (Surat An-Naba)
“और पहाड़ों को मेख़ें।” (सूरत अन-नबा, ७८:७)
उनका यक़ीन (निश्चितता) बहुत मज़बूत है। उनके विश्वास में उनके इस्तेक़ाम और उनकी दृढ़ता का परीक्षण किया गया है और इस्पात की तरह लगातार पीटा गया है। उन्हें आग में झोंका गया है, उन्होंने उन्हें पीटा। वे उन्हें पानी में डालते हैं, वे वापस इस्पात में डालते हैं। वे उन्हें पीटते है, वे वापस पानी में डालते हैं। इसका मतलब है कि उनकी वास्तविकता का परीक्षण किया गया है। नतीजतन, उनकी जड़ें बहुत गहरी हैं और यह कुछ ऐसा है जो एक सदाबहार की तरह दृढ़ है।
तूफ़ान के दौरान अपनी रस्सी ना खोलें!
इसका मतलब है कि हमारे जीवन में जब हम ख़ुद को उस वास्तविकता से जोड़ते हैं, तो यह एक बवंडर या तूफ़ान की तरह है जो आ रहा है। वह समय बाँधने का है।वह समय थामने का है। वह समय हमें हमारा सारा विश्वास उस वास्तविकता में रखने का है, उस वास्तविकता से हमें ख़ुद को बंद करने का है।
और शैतान (दुर्जन) आ कर उस को चबाना चाहता है। तो, आप ‘तूफान वाले लोग’ देखते हैं क्योंकि जब कोई तूफान आता है और वे देखते हैं, ‘ओह, ठीक है, सभी हवाएँ चल रही हैं, हवाएँ चल रही हैं। ओह, हो सकता है कि मैंने खुद को किसी ऐसी चीज़ से बांध लिया है, जो ऐसा लगता है कि वह उड़ने वाली है।’ और वे खुद को खोलना शुरू कर देते हैं और ऊपर और नीचे सड़क पर दौड़ पड़ते हैं। तब तक, बहुत देर हो चुकी होती है। क्योंकि जैसे ही आपने रक्षा और सुरक्षताता से खुद को अलग किया, वह हवा पहले ही चल चुकी है और उस व्यक्ति को ले कर चली गई है।
अपने दिल में दृढ़ता के साथ खुद को आध्यात्मिक पथ पर रोपित करें।
इसका मतलब है कि ये हमें समझने के लिए, तरीक़ा के लोगों के लिए समझने के लिए समानताएं हैं, क्योंकि ये शुद्धिकरण के तरीके हैं। ये शुद्धिकरण के स्कूल हैं। कि जब आपका दिल बंद हो और आप अपनी दृढ़ता स्थापित करते हैं कि, ‘या रब्बी, मुझे मेरे दिल में वह दृढ़ता, मेरे दिल में वह यक़ीन (निश्चितता) प्रदान करें। सैय्यदीना मुहम्मद ﷺ का प्यार यह है कि मैं खुद को रोपित करना चाहता हूं और मैं अपनी रस्सी बांध रहा हूं। मैं इन उलुल अम्र के चारों ओर अपनी रस्सी बांध रहा हूं और मैं अलग नहीं होऊंगा।’
और हमारे जीवन में सब कुछ वह समझ है। कि मेरी रस्सी मौलाना (क़) से बंधी है। मेरा पूरा अस्तित्व उसी पर आधारित है और शैतान बस इतना करना चाहता है कि आकर उस रस्सी को काटता रहे। खुद को डिस्कनेक्ट करें, खुद को डिस्कनेक्ट करें। क्यों? क्योंकि डिस्कनेक्ट करने का मतलब है कि आपने अपना कनेक्शन खो दिया है। यदि आप अपना कनेक्शन खो देते हैं, तो आप अब शैतान के लिए भोजन की तरह हैं। कि आप वास्तविकता की उस रस्सी से अलग हो गए हैं और शैतान (शैतान) हमारे जीवन में यही चाहता है कि वह आपकी पकड़ को धीरे धीरे काटता रहे। और वह हमारा पूरा जीवन है।
शैतान चाहता है कि हम अपने विश्वास की रस्सी को छोड़ दें।
अगर हमें यह याद रहे कि यह हमारे विश्वास का एक स्तंब है, तो आप इसे लिख लें। वह शैतान – वह सिर्फ़ मेरे हाथों को काटना चाहता है ताकि मैं छोड़ दूं। छोड़ दूं वह जिसमें मैं विश्वास करता हूं क्योंकि मेरे पास आने वाली हर परीक्षा इसलिए है क्योंकि मैं वह रस्सी पकड़ा हुआ हूँ। और शैतान यही चाहता है कि यदि आप वह रस्सी छोड़ देते हैं, मैं तुम्हारी परीक्षा लेना बंद कर दूंगा। मैं तुम्हें इतना ज़ोर से नहीं काटूँगा। मैं तुम्हें इतना परेशान नहीं करूंगा।
क्योंकि आप चारों ओर देखते हैं, बाएँ और दाएँ, और लोगों का परीक्षण नहीं किया जा रहा है। ओह, क्योंकि वे उस रस्सी को पकड़े हुए नहीं हैं। वे बहुत पहले ही जाने दे चुके हैं। और अगर हम इस दुनिया (भौतिक जगत) की वास्तविकता को नहीं समझते हैं, तो हमारा नफ्स (अहंकार) हमारे साथ खेलता रहता है। कि आप जो कर रहे हैं उसे केवल समर्पण क्यों नहीं करते हैं और शैतान का अनुसरण करते हैं?
धर्म में कोई सहजता नहीं है।
और हमारा पूरा अस्तित्व है, ‘नहीं, नहीं, मेरा पूरा जीवन इसे थामे रहना हैं। जितना काटना है, काटने दो।’ ‘हाथ को काटो, हाथ को काटो, हाथ को काटो और जो अल्लाह (अज़्ज़ व जल) हमसे चाहता था – उस रस्सी को कस कर पकड़ो। जैसे ही आप उस रस्सी को कस कर पकड़ लेते हैं, तो आप समझ जाते हैं कि आप के जीवन में सब कुछ उस परीक्षा के बारे में होने वाला है। और पैग़म्बर ﷺ ने वर्णन किया है कि धर्म में कोई सहजता नहीं है।
لا راحة في الدين
“La Rahata fid deen.”
“धर्म में कोई सहजता नहीं है।”
की यदि आप कुछ सही कर रहे हैं और लगातार कठिनाइयों में हैं, हमेशा परीक्षण के अधीन हैं, तो फिर आप कुछ सही कर रहे हैं। क्योंकि अल्लाह (अज़्ज़ व जल) नित्य शुद्ध कर रहा है, नित्य सिद्ध करने वाला, और नित्य ऊपर उठाने वाला है।
हमारा जीवन विश्वास करना है और हमारे विश्वास के लिए लगातार संघर्ष करना है।
लेकिन अगर एक दिन ऐसा आता है जहाँ कोई परीक्षण नहीं है, कोई ऊपर उठाना नहीं है। तो कुछ ठीक नहीं हैं। और वह कुछ शैतान (दुर्जन) को भाता है, इसलिए वह अब परेशान नहीं कर रहा है। इसलिए, इन कठिनाइयों के दिनों में हमारा पूरा जीवन एक अनुस्मारक है। क्योंकि लोग दाएँ और बाएँ देखते हैं और कहते हैं, ‘अच्छा तो तुम्हें पता है, यहाँ और वहाँ क्या हो रहा है? वह क्या है?’
और सब कुछ आस्तिक के बारे में विश्वास करना है और अपने विश्वास को मज़बूती से पकड़ना और लगातार उनके विश्वास के लिए संघर्ष करना है; वह जो सही है, और जो साफ़ है, और जो शुद्ध है उसका उदाहरण देने के लिए लगातार संघर्ष करना है। और हमारा जीवन कस कर पकड़ने के बारे में है। और शैतान बस चाहता कि हम इसे छोड़ दें। जैसे ही हम इसे छोड़ देते हैं, हम कठिनाइयों के तूफ़ान (तूफ़ान) में आ जाते हैं।
कठिनाइयों से बचने के लिए पैग़म्बर ﷺ और उनके परिवार के उदाहरण का अनुसरण करें।
हम जो सलवात (प्रशंसा) का पाठ कर रहे थे वह सब हमेशा इन वास्तविकताओं के बारे में है। या रब्बी हमें नजात (मोक्ष) के रूप में बचाओ, कि अहलुल बैत (पैग़म्बर ﷺ का पवित्र परिवार) और ऊलुल अम्र (संत) के माध्यम से ही नजात है सभी कठिनाइयों से, सभी मुश्किलात से, सभी बीमारियों से।
وَسَفِيْنٌ للِنَّجَاةِ إِذَا خِفْتَ مِنْ طُوْفَانِ كُلِّ اَذَى
فَانْجُ فِيْهَا لَا تَكُوْنَ كَذَا وَإعْتَصِمْ بِاللهِ وَاسْتَعِنِ
Wa safi nun lin najati idha Khifta min tufani kulli adha
Fanju-fiha la takunu kadha W’atasim billahi wasta’ini
वे मोक्ष के जहाज़ हैं, सो जब आप कठिनाइयों और मुश्किलात के तूफ़ान में डूब रहे हो,
तो लापरवाह ना होना, उनकी रस्सी को कस कर पकड़ो और अल्लाह (अज़्ज़ व जल) से मदद मांगो।
साय्यिदिना मुहम्मद ﷺ की मुहब्बत से, असहाबी अन-नबी ﷺ (नबी ﷺ के पवित्र साथी) की मुहब्बत से, अहलुल बैत अन-नबी ﷺ की मुहब्बत से सब कुछ दूर कर दी जाएगी। उस मुहब्बत से और उस चरित्र से जिसमें हम उनके मार्ग का अनुसरण करते हैं, उनके उदाहरण का अनुसरण करते हैं, हम उन मुश्किलों से बचने लगते हैं। हम प्रार्थना करते हैं कि अल्लाह (अज़्ज़ व जल) हमारे दिल में यक़ीन (निश्चितता) प्रदान करें, हमारे दिल में एक बचाव और सुरक्षा प्रदान करें। चाहे जो भी कठिनाई आए, उस वास्तविकता से अपनी पकड़ को कभी ना छोड़ें और सब कुछ वही परीक्षण करने के लिए आ रहा है, ताकि आस्तिक छोड़ दे और कठिनाइयों के तूफ़ान में खो जाएं।
Subhana rabbika rabbal ‘izzati ‘amma yasifoon, wa salaamun ‘alal mursaleen, walhamdulillahi rabbil ‘aalameen. Bi hurmati Muhammad al-Mustafa wa bi sirri surat al-Fatiha.
इस सोहबाह का प्रतिलेखन करने में हमारे प्रतिलेखकों के लिए विशेष धन्यवाद।
सुहबा की मूल तारीख: अगस्त २० २०१६
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